HC ने IIT Mandi के डायरैक्टर, रजिस्ट्रार एवं बोर्ड ऑफ गवर्नर से मांगा जवाब, पढ़ें क्या है मामला

Edited By Vijay, Updated: 10 Jul, 2019 03:39 PM

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हिमाचल हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस वी रामासुब्रमन्यन एवं जस्टिस अनूप चिटकारा की बैंच ने आई.आई.टी. मंडी की अनियमितता की जांच की मांग करने वाली जनहित याचिका में सुनवाई करते हुए आई.आई.टी. मंडी के डायरैक्टर, रजिस्ट्रार एवं बोर्ड ऑफ गवर्नर से 4 सप्ताह के अंदर...

शिमला/मंडी: हिमाचल हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस वी रामासुब्रमन्यन एवं जस्टिस अनूप चिटकारा की बैंच ने आई.आई.टी. मंडी की अनियमितता की जांच की मांग करने वाली जनहित याचिका में सुनवाई करते हुए आई.आई.टी. मंडी के डायरैक्टर, रजिस्ट्रार एवं बोर्ड ऑफ गवर्नर से 4 सप्ताह के अंदर जवाब मांगा है। आई.आई.टी. मंडी के पूर्व कर्मचारी सुजीत स्वामी एवं देवांग नाइक की ओर से हिमाचल हाईकोर्ट में बीते माह जनहित याचिका दायर की गई थी, जिसमें यूनियन ऑफ इंडिया, मानव विकास संसाधन मंत्रालय सहित 11 अन्य को पार्टी बनाया गया था।

जनहित याचिका में बताया गया कि आई.आई.टी. मंडी में टैंडर, भर्तियां, भाई-भतीजावाद जैसी कई अनियमितताएं हैं जिनकी जांच बहुत जरूरी है। आई.आई.टी. मंडी में नियम-कायदों को ताक पर रखकर कार्य किया जा रहा है। केंद्र सरकार के आदेशों के विपरीत छोटे पदों पर भी साक्षत्कार कर अपने चहेतों को भर्ती किया जा रहा है। इसी के साथ याचिका में आई.आई.टी. कैंपस में चल रहे निजी स्कूल को खोलने पर भी जांच की मांग की गई, साथ ही कैग की रिपोर्ट का हवाला देकर बताया गया है कि किस तरह से जनता के पैसे का दुरुपयोग हो रहा है।

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता देवेन कृष्णन खन्ना ने अपना पक्ष रखा जबकि दूसरे पक्ष की ओर से रमेश कुमार शर्मा, असिस्टैंट सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया, वरिष्ठ अधिवक्ता एवं हिमाचल प्रदेश के बार काऊंसिल अध्यक्ष रमाकांत शर्मा एवं देवयानी शर्मा ने पक्ष रखा। दोनों पक्षों को सुनने के बाद चीफ जस्टिस वी रामासुब्रमन्यन एवं जस्टिस अनूप चिटकारा की बैंच ने आई.आई.टी. मंडी के डायरैक्टर, बोर्ड ऑफ गवर्नर एवं रजिस्ट्रार आई.आई.टी. मंडी से 4 सप्ताह में जवाबतलब किया है जबकि उस जवाब के बाद याचिकाकर्ता से भी अगले 4 सप्ताह बाद उसके जवाब में प्रति उत्तर देने को कहा है। 8 सप्ताह बाद कोर्ट में पुन: सुनवाई के लिए यह मामला लाया जाएगा।

बता दें कि गत वर्ष आई.आई.टी. मंडी के ही तत्कालीन कर्मचारी सुजीत स्वामी ने 21 मई, 2018 को आई.आई.टी. मंडी की कार्यप्रणाली के ऊपर गंभीर आरोप लगाए थे, जिसमें चहेतों को नौकरी, एडमिशन में अनियिमितताएं, बेतहाशा सैलरी इंक्रीमैंट व लास्ट डेट के बाद भी फॉर्म का जमा होना आदि शामिल थे। उनकी प्रैसवार्ता के कुछ दिन बाद ही आई.आई.टी. के एक और तत्कालीन अफसर देवांग नाइक ने भी उनके आरोपों को हवा दी और कंस्ट्रक्शन में घोटाले के आरोप आई.आई.टी. मंडी पर लगाए, जिसके बाद आई.आई.टी. मंडी में हो रही अनियमितता का मामला तूल पकड़ता नजर आया। सी.एम. ने भी इस मामले में संज्ञान लेने की बात कही थी और उसके बाद मंडी के ही सांसद रामस्वरूप शर्मा ने भी इसको लोकसभा में उठाया लेकिन उसके बाद सुजीत स्वामी को आई.आई.टी. मंडी ने कंडक्ट रूल का हवाला देते हुए नौकरी से बर्खास्त कर दिया था।

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