शिमला के कुलियों को नहीं पता कि सामाजिक दूरी बनाना क्या होता है

Edited By PTI News Agency, Updated: 01 Apr, 2020 06:57 PM

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शिमला, एक अप्रैल (भाषा) दिन भर पीठ पर सामान ढोने के बाद स्थानीय मस्जिद में रैनबसेरा करने वाले कश्मीरी मजदूरों के लिये सामाजिक दूरी बनाये रखना किसी सूरत में मुमकिन नहीं है ।

शिमला, एक अप्रैल (भाषा) दिन भर पीठ पर सामान ढोने के बाद स्थानीय मस्जिद में रैनबसेरा करने वाले कश्मीरी मजदूरों के लिये सामाजिक दूरी बनाये रखना किसी सूरत में मुमकिन नहीं है ।
पोर्टर का काम करने वाले इन मजदूरों में से एक बिलाल ने कहा ,‘‘ कम से कम 300 कश्मीरी मजदूर यहां मस्जिद में रहते हैं । जगह ही नहीं है तो दूरी कैसे बनाकर रख सकते हैं ।’’
लॉकडाउन के कारण मजदूरों के पास काम नहीं है । कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में लोगों को सामाजिक दूरी का पालन करने के लिये कहा गया है ।

जम्मू कश्मीर के कोकरनाग इलाके के रहने वाले बिलाल शिमला के मॉल रोड के पास जामा मस्जिद में पांच साल से रह रहे हैं ।

बीच के बाजार में उनके जैसे 300 और हैं जो पोर्टर का काम करते हैं और स्थानीय लोग उन्हें ‘खान’ कहकर बुलाते हैं ।
हिमाचल प्रदेश सरकार ने देशव्यापी लॉकडाउन से एक दिन पहले ही राज्य में कर्फ्यू लगा दिया था जिससे वे बाहर भी नहीं जा सके ।
बिलाल ने कहा ,‘‘ करीब सौ लोग एक छोटे से हॉल में सोते हैं । कुछ दो ढाबों पर और मस्जिद परिसर के प्रांगण में सोते हैं । करीब 50 लोग मस्जिद में ही सोते हैं ।’’
उन्होंने कहा कि मौका मिलने पर सभी अपने घर लौटना चाहते हैं । उन्होंने प्रशासन से मजदूरों के लिये गाड़ी का इंतजाम करने का अनुरोध किया ।
इन मजदूरों को मस्जिद परिसर में स्थित दो ढाबों से खाना मिल रहा है । अपने पास जो थोड़े बहुत पैसे जमा है, उसी से ये भुगतान कर रहे हैं ।
बिलाल ने कहा कि प्रशासन से आये कुछ लोगों ने मजदूरों को सूखा राशन देने का वादा किया था लेकिन अभी तक कुछ नहीं मिला ।
जिला अधिकारियों से इस बारे में संपर्क नहीं हो सका है ।


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