हिमाचल में स्क्रब टायफस की दस्तक, चपेट में आए 4 मरीज

Edited By Kuldeep, Updated: 04 Jul, 2022 05:19 PM

shimla himachal scrub typhus

हिमाचल में जहां कोरोना के मामले लगातार आ रहे हंै। इसी बीच अब स्क्रब टायफस ने भी दस्तक दे दी है। आर्ई.जी.एम.सी. में चार मामले स्क्रब टायफस के आए हैं। इस सीजन में यह चार मामले पहली बार आए हैं।

शिमला (जस्टा): हिमाचल में जहां कोरोना के मामले लगातार आ रहे हंै। इसी बीच अब स्क्रब टायफस ने भी दस्तक दे दी है। आर्ई.जी.एम.सी. में चार मामले स्क्रब टायफस के आए हैं। इस सीजन में यह चार मामले पहली बार आए हैं। अब लोगों को सतर्क रहना होगा। स्क्रब टायफस को लोग बिल्कुल भी हल्के में न लें। अगर लापवाही बरती तो आपकी जान पर भारी पड़ सकती है। हर वर्ष स्क्रब टायफस लोगों को अपना ग्रास बनाता है। ध्यान रहें कि अगर आपको इसके लक्षण दिखाई देते हंै तो तुरंत डाक्टर के पास जाएं। स्क्रब टायफस के मामले आना अब शुरू हो गए हैं।

चिकित्सक द्वारा कोरोना के साथ-साथ अब स्क्रब टायफस के टैस्ट किए जा रहे हंै। हर साल मामले को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग भी अलर्ट रहता है। पहले ही विभाग ने लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी है। चिकित्सक ने लोगों को निर्देश दिए हंै कि अगर कोई लोग घास काटता है तो वे चिकित्सक को बताएं, ताकि चिकित्सक समय से उसका इलाज कर सके। बरसात के दिनों में स्क्रब टायफस के अधिक मामले आते हैं। विभाग का दावा है कि स्क्रब टायफस की स्थिति पर पूरी नजर रखी जा रही है, लेकिन महज नजर रखने से इस बीमारी पर काबू पाना मुश्किल है।

स्क्रब टायफस  एक जीवाणु से संक्रमित पिस्सू के काटने से फैलता है जो खेतों, झाडिय़ों व घास में रहने वाले चूहों में पनपता है। जीवाणु चमड़ी के माध्यम से शरीर में फैलता है और स्क्रब टाइफस बुखार बन जाता है। चिकित्सकों का तर्क है कि लोगों को चाहिए कि इन दिनों झाडिय़ों से दूर रहें और घास आदि के बीच न जाएं, लेकिन किसानों और बागवानों के लिए यह संभव नहीं है, क्योंकि आगामी दिनों में खेतों और बगीचों में घास काटने का अधिक काम रहता है। यही कारण है कि स्क्रब टायफस का शिकार होने वाले लोगों में किसान और बागवानों की संख्या ज्यादा रहती है।

कोरोना के चलते स्क्रब टायफस के कम हो रहे टैस्ट
कोरोना महामारी के चलते दो साल से स्क्रब टायफस के कम टैस्ट हो रहे हैं। इसका कारण यह है कि जिस लैब में कोरोना के टैस्ट होते हैं, उसी लैब में स्क्रब टायफस के टैस्ट होते हैं। यहां पर कोरोना के टैस्ट भी कई बार पैंङ्क्षडग में रहते हैं। ऐसे में स्क्रब टायफस के टैस्ट करवाने के लिए लैब में कम समय बचा होता है। चिकित्सक  भी जरूरत के हिसाब से ही स्क्रब टायफस के टैस्ट करवा रहे हैं, लेकिन प्रशासन की यह लापरवाही भारी पड़ सकती है। इस बार तो अब कोरोना की सैंपलिंग भी कम हो रही है। ऐसे में स्क्रब टायफस के ज्यादा से ज्यादा टैस्ट होने चाहिए।

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