Edited By kirti, Updated: 20 Jul, 2019 10:42 AM
क्षेत्र के गांव मोगीनंद में बरसात ने कहर बरपाना शुरू कर दिया है। यहां पर रहने वाले लोग मकानों की खिसकती जमीन से सहमे हुए हैं। मारकंडा नदी का बहाव जमीन को काट रहा है जिससे लोगों के मकानों की नींव हिल गई है। पिछले 5 वर्षों से इस भूमि कटाव का मुद्दा...
कालाअंब : क्षेत्र के गांव मोगीनंद में बरसात ने कहर बरपाना शुरू कर दिया है। यहां पर रहने वाले लोग मकानों की खिसकती जमीन से सहमे हुए हैं। मारकंडा नदी का बहाव जमीन को काट रहा है जिससे लोगों के मकानों की नींव हिल गई है। पिछले 5 वर्षों से इस भूमि कटाव का मुद्दा उठाने के बावजूद इस समस्या का समाधान नहीं निकाला गया है। लोगों का कहना है कि सरकार इस गांव की तबाही के बाद ही शायद कोई कार्रवाई करेगी। अगर जल्द कोई उचित कदम नहीं उठाए गए तो यहां भी सोलन जैसा हादसा हो सकता है। अब मजबूर होकर प्रशासन व सरकार के लापरवाह रवैये के चलते लोगों ने राष्ट्रपति को खत लिखने का मन बनाया है।
कांग्रेस सरकार के दौरान बना था प्राकलन
लोगों का कहना है कि पिछली सरकार के समक्ष लोगों ने इस भूमि कटाव को रोकने की मांग उठाई थी। इस पर सरकार द्वारा एक प्राकलन 2015 में बनवाकर कार्य पूरा करने के निर्देश दिए थे परंतु सरकार बदलते ही न तो प्रशासन का अधिकारी यहां आया और न ही कोई प्राकलन बना। स्थानीय लोगों नरेंद्र, शिवम व शिव कुमार ने बताया कि सूचना के अधिकार के तहत प्राकलन की कॉपी मांगी थी तो वह प्राकलन गायब पाया गया। लोगों ने इस समस्या को लेकर 8 अप्रैल, 2018 को भी ई-समाधान के जरिए शिकायत दर्ज करवाई थी परंतु उस पर निराशा ही हाथ लगी। इतना ही नहीं, लोगों द्वारा विधानसभा अध्यक्ष डा. राजीव बिंदल के समक्ष भी इस समस्या को रखा गया लेकिन आश्वासनों के अलावा कुछ हाथ नहीं लगा है।
15 से 20 परिवारों पर मौत का साया
मोगीनंद गांव में मारकंडा नदी से लगते 15 से 20 परिवार रहते हैं। इन मकानों की नींव पर लगातार मारकंडा नदी का तेज बहाव मार कर रहा है। साल दर साल मकानों के नीचे से जमीन कटती जा रही है। यदि समय रहते समाधान नहीं निकाला गया तो यहां के आधा दर्जन भवन कभी भी जमींदोज हो सकते हैं। यहां के लोगों के पास कहीं दूसरी जगह जाकर रहने का भी कोई विकल्प नहीं है।