अपनी ही सरकार में पूर्व विधायक बेगानी, जनमंच पर नहीं मिली जगह

Edited By Vijay, Updated: 08 Sep, 2019 11:38 PM

former mla in una

राजनीति में चढ़ते सूरज को सलाम होता है। जिसके पास सत्ता होती है, लोग उसी का स्तुतिगान करते हैं। एक बार कुर्सी से दूर हुए नहीं कि लोग मुंह फेरने में देर नहीं लगाते। रविवार को ऊना जिला के चिंतपूर्णी में सजे जनमंच में कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला,...

ऊना (विशाल): राजनीति में चढ़ते सूरज को सलाम होता है। जिसके पास सत्ता होती है, लोग उसी का स्तुतिगान करते हैं। एक बार कुर्सी से दूर हुए नहीं कि लोग मुंह फेरने में देर नहीं लगाते। रविवार को ऊना जिला के चिंतपूर्णी में सजे जनमंच में कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला, जहां भाजपा की पूर्व विधायक सुषमा शर्मा पहचान की मोहताज हो गईं। जनमंच में मंत्री राजीव सहजल प्रशासनिक अमले के साथ मंच पर आसीन थे लेकिन पूर्व विधायक को किसी ने पहचाना तक नहीं और वे चुपचाप जनता के बीच कुर्सी पर जाकर बैठ गईं। कभी उनके दर पर लोगों का जमघट लगा रहता था लेकिन आज वही जमघट आज उनकी तरफ पीठ करके मंच की ओर टकटकी लगाए खड़ा था। अपने बेहद सौम्य व सरल स्वभाव के लिए जानी जाने वाली सुषमा पूरे कार्यक्रम को चुपचाप देखती रहीं। हैरानी की बात यह है कि स्थानीय भाजपा नेता भी अपनी पूर्व विधायक को पहचान नहीं पाए।

1990 में चुनी गई थीं विधायक

सुषमा शर्मा 1982 से भाजपा की प्राथमिक सदस्य रहीं। इसके बाद उन्हें स्टेट डैलीगेट बनाया गया। उनके पति महेश दत्त सी.एंड वी. नेता थे, जिनकी भाजपा में अच्छी पकड़ थी व इलाके में भी उनका अच्छा खासा रुतबा था। इसके चलते सुषमा को 1990 में ङ्क्षचतपूर्णी विधानसभा क्षेत्र से भाजपा का टिकट मिला और उन्होंने जीत भी दर्ज की। सुषमा शर्मा को 13619 वोट व उनकेप्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के हरिदत्त शर्मा को 10718 वोट मिले थे।

अब पति संग संभालती हैं खेती

साल 1992 में बाबरी विध्वंस के बाद शांता सरकार बर्खास्त होने के बाद 1993 में हुए चुनाव में सुषमा शर्मा को टिकट नहीं दिया गया। नाराज सुषमा ने पार्टी छोड़कर वर्ष 1998 में पं. सुखराम की पार्टी हिमाचल विकास कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा लेकिन उन्हें हार झेलनी पड़ी। बाद में सुषमा ने हिविकां छोड़ कर कांग्रेस का हाथ थामा लेकिन 2 साल बाद उन्होंने कांग्रेस भी छोड़ दी और 2004 में दोबारा भाजपा में लौट गईं। वर्तमान में वह पार्टी के कार्य के साथ पति के साथ खेती का काम भी संभालती हैं। उनके 2 वकील बेटे ऊना में प्रैक्टिस कर रहे हैं, जबकि उनकी बेटी लॉ कॉलेज बढेड़ा में प्रिंसीपल है।

यह वक्त की बात है : सुषमा

सुषमा शर्मा का कहना है कि जब वह विधायक थीं तो उनके आसपास हर वक्त लोगों का जमावड़ा रहता था। वह बेहद चकाचौंध भरा समय था। आज मंच पर कुर्सी नहीं मिली तो इसका मलाल नहीं है क्योंकि यह समय-समय की बात है। कभी मंचों पर उनका भी साम्राज्य हुआ करता था लेकिन अब समय बदल गया है। उन्होंने कहा कि वह पार्टी को मजबूत करने के कार्य में लगी हुई हैं और आगे भी पार्टी का कार्य करती रहेंगी।

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