हाईकोर्ट ने उपाध्यक्ष को पद से हटाने के सरकार के फैसले को सही ठहराया

Edited By Kuldeep, Updated: 16 Jul, 2024 05:32 PM

shimla high court vice president removal correct

प्रदेश हाईकोर्ट ने अध्यक्ष का इस्तीफा स्वीकार न करने पर नगर परिषद बद्दी के उपाध्यक्ष को पद से हटाने के सरकार के फैसले को सही ठहराया है।

शिमला (मनोहर): प्रदेश हाईकोर्ट ने अध्यक्ष का इस्तीफा स्वीकार न करने पर नगर परिषद बद्दी के उपाध्यक्ष को पद से हटाने के सरकार के फैसले को सही ठहराया है। प्रार्थी मान सिंह ने उन्हें उपाध्यक्ष पद से हटाए जाने के आदेशों को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। प्रार्थी पर आरोप था कि वह नगर निगम अधिनियम की धारा 24 में निहित प्रावधान के अनुसार अपने कर्त्तव्यों का निर्वहन करने में विफल रहा। इससे नगर परिषद की कार्यप्रणाली प्रभावित हुई और याचिकाकर्त्ता को सत्ता के दुरुपयोग का दोषी माना गया। इसके बाद अधिनियम की धारा-26 के तहत प्रदत्त शक्ति का प्रयोग करते हुए हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल ने याचिकाकर्त्ता को तत्काल प्रभाव से उपाध्यक्ष के पद से हटा दिया था।

मामले के अनुसार याचिकाकर्त्ता को जनवरी 2021 में नगर परिषद बद्दी में पार्षद के रूप में चुना गया था और बाद में उस समय उक्त नगर परिषद में उपाध्यक्ष के रूप में भी चुना गया। याचिकाकर्त्ता के साथ-साथ जस्सी राम को नगर परिषद का अध्यक्ष चुना गया था। अध्यक्ष जस्सी राम ने 22 जून 2023 को अपना इस्तीफा उपायुक्त सोलन को सौंप दिया। इस इस्तीफे को डीसी सोलन ने नगर परिषद के कार्यकारी अधिकारी को भेजते हुए निर्देश दिए थे कि वह अध्यक्ष का इस्तीफा कानून के अनुसार उपाध्यक्ष से स्वीकार करवाएं। परंतु उपाध्यक्ष ने इस्तीफा मंजूर करने की बजाए कहा कि इस्तीफा स्वीकार करने पर निर्णय 28 जून 2023 तक ले लिया जाएगा। इसके बावजूद प्रार्थी ने इस्तीफा स्वीकार नहीं किया। इस पर जांच अधिकारी एसडीएम नालागढ़ ने 5 जुलाई 2023 को प्रार्थी को कारण बताओ नोटिस जारी किया। प्रार्थी ने अपने जवाब में कहा कि अध्यक्ष ने इस्तीफा सीधा डीसी सोलन को दिया था जबकि कानून के अनुसार अध्यक्ष को इस्तीफा उपाध्यक्ष के सामने जाकर सौंपना होता है।

प्रार्थी ने कहा कि अध्यक्ष 22 जून से 10 जुलाई 2023 तक अपना इस्तीफा लेकर उसके समक्ष उपस्थित नहीं हुआ इसलिए उसने इस्तीफा स्वीकार नहीं किया। हालांकि बाद में डीसी सोलन ने अध्यक्ष का इस्तीफा 23 जुलाई 2023 को स्वीकार कर लिया था। जांच अधिकारी ने जवाब से असंतुष्ट होते हुए कहा कि इस्तीफा कार्यकारी अधिकारी से होता हुआ उपाध्यक्ष के पास पहुंचा और कार्यकारी अधिकारी के बार-बार अनुरोध करने पर भी उसने इस्तीफा स्वीकार नहीं किया। जबकि उपाध्यक्ष इस्तीफे पर निर्णय लेने के लिए बाध्य था। जांच अधिकारी ने पाया कि कानून में यह कहीं नहीं है कि इस्तीफा स्वयं जाकर सौंपना होता है। प्रार्थी को अपने कर्त्तव्यों का निर्वहन करने में विफल पाते हुए पद से हटाने की सिफारिश की गई थी जिसे शहरी विकास विभाग के प्रधान सचिव ने 19 दिसम्बर 2023 को स्वीकारते हुए प्रार्थी को पद का दुरुपयोग करने का दोषी पाया। इसके बाद राज्यपाल ने अधिनियम की धारा 26 का इस्तेमाल करते हुए प्रार्थी को पद से हटाने के आदेश जारी किए थे।

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