Edited By Dishant Kumar, Updated: 12 Apr, 2021 09:39 PM
हिमाचल प्रदेश में नगर निगमों के चुनावों को लेकर भाजपा ने प्रदेश में दो निर्णय लिए थे | पहला निर्णय कांग्रेस की चुनौती पर सिंबल पर चुनाव करवाए गए,.. जिसमें भाजपा और कांग्रेस की आमने सामने की टक्कर देखने को मिली,.. तो वही दूसरा निर्णय एंटी डिफेक्शन...
हिमाचल प्रदेश में नगर निगमों के चुनावों को लेकर भाजपा ने प्रदेश में दो निर्णय लिए थे | पहला निर्णय कांग्रेस की चुनौती पर सिंबल पर चुनाव करवाए गए,.. जिसमें भाजपा और कांग्रेस की आमने सामने की टक्कर देखने को मिली,.. तो वही दूसरा निर्णय एंटी डिफेक्शन लॉ को भी चुनावों में लगा दिया गया,.. यह दोनों निर्णय ख़ास कर पालमपुर, धर्मशाला और सोलन में बेहद गलत साबित हुए या यूँ कहें कि भाजपा की गले की फांस बन गए | ऐसा हम इस लिए कह रहे है क्योकी अब प्रदेश में भाजपा चाह कर भी अपनी नगर निगम नहीं बना सकती,..
अगर वह कांग्रेस खेमे में सेंध मारी भी करती है,.. तो भी वह अपने मंसूबों में कामयाब नहीं हो सकती | यह जानकारी वरिष्ठ अधिवक्ता मनोज वर्मा ने मीडिया को दी,.. अधिवक्ता मनोज वर्मा ने बताया कि कोई भी नेता किसी भी दूसरी पार्टी में पद और धन के लालच में शामिल न हो जाए इसके लिए यह क़ानून बनाया गया था,.. उन्होंने भाजपा नेताओं को सलाह दी और कहा कि भाजपा सरकार जब खुद एंटी डिफेक्शन लॉ लेकर आई है तो उनका कर्तव्य बनता है कि वह जनता के फैंसले का स्वागत करे और जोड़ तोड़ की राजनीति से दूर रहे