हाईकोर्ट ने रद्द की पीएच.डी. की प्रवेश परीक्षा, जानिए क्या है वजह

Edited By Kuldeep, Updated: 01 Jul, 2024 06:27 PM

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हाईकोर्ट ने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित पीएच.डी. (शारीरिक शिक्षा) की प्रवेश परीक्षा को रद्द कर दिया है। न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ ने विश्वविद्यालय के शारीरिक शिक्षा विभाग में पीएच.डी. प्रवेश परीक्षा प्रक्रिया को रद्द करते हुए...

शिमला (मनोहर): हाईकोर्ट ने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित पीएच.डी. (शारीरिक शिक्षा) की प्रवेश परीक्षा को रद्द कर दिया है। न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ ने विश्वविद्यालय के शारीरिक शिक्षा विभाग में पीएच.डी. प्रवेश परीक्षा प्रक्रिया को रद्द करते हुए विश्वविद्यालय को फिर से प्रवेश परीक्षा आयोजित करने की छूट दी है। 13 मई 2024 को शारीरिक शिक्षा में पीएच.डी. के लिए दाखिले हेतु प्रवेश परीक्षा का आयोजन किया गया था। कोर्ट ने प्रवेश परीक्षा को यूजीसी नियम 2022 के नियम संख्या 5(2)(ii) के विपरीत पाया। कोर्ट ने कहा कि विश्वविद्यालय यूजीसी नियमों के विपरीत प्रवेश परीक्षा करवाने का हक नहीं रखता। अक्षय कुमार सहित 10 प्रार्थियों का आरोप था कि यूजीसी नियम संख्या 5(2)(ii) के तहत पीएच.डी. की प्रवेश परीक्षा में 50 प्रतिशत प्रश्न अनुसंधान पद्धति और 50 प्रतिशत प्रश्न विषय-विशिष्ट के होने थे। परंतु विश्वविद्यालय ने 80 प्रश्नों की प्रवेश परीक्षा में मात्र 10 प्रश्न ही अनुसंधान पद्धति के पूछे जबकि इनकी संख्या 40 होनी चाहिए थी।

मामले के अनुसार विश्वविद्यालय ने अन्य विभागों सहित शारीरिक शिक्षा विभाग में पीएच.डी. की 6 सीटों के लिए प्रवेश हेतु 12 मार्च 2024 को आवेदन आमंत्रित किए। 13 मई 2024 को प्रवेश परीक्षा आयोजित की गई और 27 मई को परिणाम घोषित किया गया। प्रार्थियों का नाम सफल परीक्षार्थियों की सूची में नहीं आया। प्रार्थियों ने परिणाम घोषित होने के बाद विश्वविद्यालय के समक्ष प्रतिवेदन किया परंतु कोई फायदा नहीं हुआ। मजबूरन उन्हें कोर्ट में आना पड़ा। विश्वविद्यालय का कहना था कि परीक्षा में पूछे गए प्रश्नों के संदर्भ में यूजीसी नियमों को न मानने की वजह उनके नियम और यूजीसी के नियमों में विरोधाभास था। कोर्ट ने मामले का निपटारा करते हुए कहा कि नियमों में कोई विरोधाभास नहीं है बल्कि एचपीयू के नियमों में प्रश्नों से जुड़े सिलेबस की बात ही नहीं है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि विश्वविद्यालय यूजीसी द्वारा निर्धारित नियमों पर अमल करने के लिए बाध्य है।

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