भोटा कोविड सैंटर में पहली मौत से निकला सरकार के प्रबंधों का जनाजा : राजेंद्र राणा

Edited By Vijay, Updated: 16 May, 2020 10:28 PM

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राज्य कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं विधायक राजेंद्र राणा ने सरकार पर सीधा हमला बोलते हुए कहा है कि भोटा कोविड सैंटर में कोरोना से हुई पहली मौत ने सरकार के दावों और प्रबंधों का जनाजा निकाल कर रख दिया है। कोविड सैंटर के अंदर से आई जानकारी ने यह पूरी तरह साफ...

हमीरपुर (ब्यूरो): राज्य कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं विधायक राजेंद्र राणा ने सरकार पर सीधा हमला बोलते हुए कहा है कि भोटा कोविड सैंटर में कोरोना से हुई पहली मौत ने सरकार के दावों और प्रबंधों का जनाजा निकाल कर रख दिया है। कोविड सैंटर के अंदर से आई जानकारी ने यह पूरी तरह साफ कर दिया है कि कोरोना पॉजीटिव मरीजों को उपचार के नाम पर सिर्फ नाजी कैंपों की तरह बंद करके मरने के लिए छोड़ दिया है। उन्होंने कहा कि 12 घंटे से लगातार तड़प रहे मरीज को वैंटिलेटरी सपोर्ट तक नहीं दी गई। कोविड सैंटर के डॉक्टरों द्वारा प्रीलिमिनरी स्पैशलिस्ट को एमरजैंसी की सूचना के बावजूद डॉक्टर वहां नहीं पहुंचा।

उन्होंने कहा कि कोविड सैंटर में भर्ती मरीजों के परिजनों की वेदना को सुनें तो उनके वार्डों में इतनी ज्यादा सेनिटाइजेशन की जा रही है कि वह वार्ड एक गैस चैंबर में तबदील हो चुके हैं। फोन कॉल पर भी डॉक्टर घंटों बाद मरीजों की पुकार पर पहुंचते हैं। मरीजों के परिजनों ने बताया कि अत्याधिक सेनिटाइजेशन से उनकी आंखें उबल कर बाहर को आ रही हैं, जिनमें लगातार खुजली हो रही है। दमघोटु माहौल में खांसी कर-करके उनकी जान निकल रही है जबकि उनके नाक से लगातार पानी बह रहा है।

उन्होंने कहा कि कोविड-19 पर करोड़ों रुपए खर्चे के दावे के बावजूद भोटा कोविड सैंटर में 15 मई को वैंटिलेटर स्थापित किया गया है लेकिन आपात स्थिति में सफेद हाथी बने इस वैंटिलेटर की मदद भी मरीज को नहीं दी गई। घुटन से तड़प-तड़प कर जीने वाले मरीज को रैफर करती दफा एंडोट्रेकिपब किट तक एंबुलैंस में नहीं रखी गई, मतलब तड़प रहे मरीज को अंतिम समय में भी कृत्रिम सांस की कोई व्यवस्था नहीं थी। डॉक्टरों का ड्यूटी रोस्टर सिफारिशों के आधार पर बार-बार बदला जा रहा है। दम घुटने की इस बीमारी में अभी तक एक बार भी श्वास तंत्र विशेषज्ञ कोविड सैंटर नहीं भेजा गया है। ये सारी ऐसी बातें हैं जो न केवल कुप्रबंधन का खुलासा कर रही हैं बल्कि मेडिकल स्तर पर भी प्रशासनिक नाकामियों व मनमानियों को उजागर कर रही हैं।

कोविड सैंटर भोटा में मरीजों के पास डॉक्टर कब जाते हैं, जाते हैं या नहीं जाते हैं, जैसा कि आरोप है कि मरीजों के पास पीपीई किट में वार्ड ब्वाय और आऊटसोर्स कर्मचारियों को ही भेजा जाता है। कोविड सैंटर के अंदर उपचार कैसे चल रहा है, इसको चैक करने या जानने का सरकार व सिस्टम के पास कोई जरिया नहीं है। इन सब कमियों व खामियों का जनाजा भोटा में हुई कोरोना पॉजीटिव की पहली मौत से निकला है। क्या इस कुप्रबंधन को लेकर सरकार कोई जवाबदेही फिक्स करेगी। उन्होंने कहा कि जनता में आक्रोश इस बात का है कि अगर कोई इस महामारी की चपेट में आ जाता है तो उसे भी इलाज के नाम पर सिर्फ सेनिटाइज्ड चेंबर में मरने के लिए छोड़ दिया जाएगा?

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