Edited By Kuldeep, Updated: 10 Jan, 2025 05:30 PM
बागवानी के क्षेत्र में आकांक्षी जिला चम्बा में अक्सर सेब की बंपर फसल की उम्मीद रहती है जिससे हर साल लाखों रुपए की मार्कीट फीस से सरकारी खजाना भी भरता है लेकिन इस बार सीजन में सेब से अर्जित फीस के मुकाबले चम्बा में कसमल से दोगुना राजस्व प्राप्त हुआ।
चम्बा (रणवीर): बागवानी के क्षेत्र में आकांक्षी जिला चम्बा में अक्सर सेब की बंपर फसल की उम्मीद रहती है जिससे हर साल लाखों रुपए की मार्कीट फीस से सरकारी खजाना भी भरता है लेकिन इस बार सीजन में सेब से अर्जित फीस के मुकाबले चम्बा में कसमल से दोगुना राजस्व प्राप्त हुआ। चम्बा जिले के प्रवेश द्वार तुनुहट्टी में स्थापित बैरियर में एपीएमसी द्वारा काटी गई फीस में सेब व कसमल की फीस में 50 प्रतिशत का फर्क है।
एपीएमसी द्वारा जिले से बाहर ले जाने व जिले में लाई जाने वाली फसलों पर 1 प्रतिशत मार्कीट फीस काटी जाती है। बीते सीजन में बर्फबारी व बारिश समय पर न होने के कारण सेब की फसल पर असर देखने को मिला है, जिससे एपीएमसी की मार्कीट फीस पर भी असर देखने को मिला है। आमतौर पर हर साल एपीएमसी द्वारा सेब की फसल पर करीब 8 लाख रुपए मार्कीट फीस जुटाई जाती है, जिसे किसानों के हित में विकास कार्य पर खर्च किया जाता है लेकिन इस बार यह आंकड़ा 6 लाख तक ही पहुंच पाया है, वहीं कसमल से 12 लाख रुपए फीस वसूली है। सेब की फसल से एपीएमसी का घाटा कसमल से पूरा हो गया है।
अब तक 12 करोड़ रुपए की कसमल का निर्यात हो चुका है। वन विभाग की तरफ से इस बार जिले में करीब 16 व्यापारियों को कसमल उखाड़ने के लिए लाइसैंस जारी किए गए हैं, जिसमें इस बार एपीएमसी की मांग पर उसे लाइसैंस जारी किए गए हैं, जिसके लिए लाइसैंस फीस काटी गई है। सचिव एपीएमसी चम्बा भानू प्रताप सिंह ने बताया कि 31 दिसम्बर तक तुनुहट्टी चैकपोस्ट में जांच के दौरान चम्बा से बाहर ले जाई जा रही 1 प्रतिशत के हिसाब से एपीएमसी ने करीब 12 लाख रुपए तक की फीस कसमल से वसूली है।