मरीजों से खिलवाड़: प्रदेश में 200 में से सिर्फ 26 एंबुलेंस में ही वैंटीलेटर

Edited By Ekta, Updated: 12 Jun, 2019 10:32 AM

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गंभीर मरीजों को बड़े अस्पताल में पहुंचाते समय आखिर मौत क्यों होती है। इसका मुख्य कारण प्रदेश में चलाई जा रही एंबुलेंस में वैंटीलेटर न होना है, जिसके चलते मरीजों को समय से बड़े अस्पताल में नहीं पहुंचाया जा रहा है और ऐसे में मरीजों की मौत हो जाती हैं।...

शिमला (रविंद्र जस्टा): गंभीर मरीजों को बड़े अस्पताल में पहुंचाते समय आखिर मौत क्यों होती है। इसका मुख्य कारण प्रदेश में चलाई जा रही एंबुलेंस में वैंटीलेटर न होना है, जिसके चलते मरीजों को समय से बड़े अस्पताल में नहीं पहुंचाया जा रहा है और ऐसे में मरीजों की मौत हो जाती हैं। इसका ताजा उदाहरण बीते दिन हिमाचल के सबसे बड़े अस्पताल आई.जी.एम.सी. में एंबुलेंस में वैंटीलेटर की सुविधा न मिलने से एक ऑफिसर की मौत होना है। यहां पर सरकार की इतनी बड़ी लापरवाही सामने आ रही है कि प्रदेश में 200 एंबुलेंस चलाई जा रही हैं लेकिन उनमें से सिर्फ 26 एंबुलेंस में वैंटीलेटर की सुविधा है, बाकी किसी भी एंबुलेंस में वैंटीलेटर की सुविधा नहीं है। 

26 में से भी कुछ में वैंटीलेटर खराब पड़े हैं, जिनकी अभी रिपेयर की जा रही है। सरकार ने एंबुलेंस को चलाने का जिम्मा जी.वी.के. ई.एम.आर.आई. कंपनी को दिया है। जब इससे संबंधित कंपनी के अधिकारी से बात की जाती है कि वैंटीलेटर की सुविधा इममें क्यों नहीं है तो कंपनी के अधिकारी का जवाब है कि एंबुलेंस में वैंटीलेटर की व्यवस्था करना सरकार की जिम्मेदारी है। सरकार ने सिर्फ कंपनी को एम्बुलैंस चलाने का जिम्मा सौंपा है। यहां पर सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि प्रदेश में मरीजों की अनदेखी क्यों हो रही है। जब प्रदेश में एंबुलेंस की सुविधा दी है तो सरकार का यह भी दायित्व बनता है कि वह इसमें वैंटीलेटर की व्यवस्था उपलब्ध करवाए।

एक बार एंबुलेंस को चलाने के निर्देश तो दे दिए हैं लेकिन अब इसकी सुध तक नहीं ली जा रही है। इसमें सुविधा न होने से कई बार कंपनी और सरकार पर आरोप लगे हैं, बावजूद इसके सरकार की नींद खुलती नजर नहीं आ रही है। हमेशा ही देखा गया है कि जब भी कोई बड़ा मामला सामने आता है तो कंपनी और सरकार एक-दूसरे पर आरोप लगाते हैं। प्रदेश में चलाई जा रहीं एम्बुलैंस रामभरोसे हैं। प्रदेश को हाल ही में सरकार ने 46 नई एम्बुलैंस दी हैं। एक भी एंबुलेंस में वैंटीलेटर की सुविधा नहीं है, ऐसे में लोगों के सरकार पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं। सरकार दावे तो एक से बढ़कर एक करती है लेकिन स्थिति कुछ और ही नजर आ रही है। 

एंबुलेंस को चलाने वाले स्पैशलिस्ट नहीं

एंबुलेंस में जो वैंटीलेटर होते हैं, उन्हें चलाने के लिए स्पैशलिस्ट की जरूरत होती है। हालांकि फार्मासिस्ट ही इन्हें चलाते हैं। प्रत्येक एम्बुलैंस के साथ एक स्पैशलिस्ट का होना जरूरी है। प्रदेश के हर जिला में 2 या 1 एंबुलेंस में वैंटीलेटर की व्यवस्था है। उतनी ही एम्बुलैंस में स्पैशलिस्ट रखे होते हैं। यहां पर ये भी दिक्कतें हैं कि अगर एंबुलेंस में वैंटीलेटर स्थापित भी कर दें तो स्पैशलिस्ट नहीं हैं।

हैदराबाद में होती है फार्मासिस्टों की ट्रेनिंग

जब किसी फार्मासिस्ट को एम्बुलैंस में रखा जाता है तो उसकी ट्रेनिंग हैदराबाद में होती है। ट्रेनिंग के दौरान वैंटीलेटर से संबंधित जानकारी दी जाती है। एम्बुलैंस में वही फार्मासिस्ट रखा जाता है जोकि ट्रेनिंग पूरी करता है। सरकार ने प्रदेश में एम्बुलैंस की सुविधा अगर ठीक से देनी है तो जल्द ही फार्मासिस्टों को ट्रेनिंग देनी होगी और फार्मासिस्टों को ट्रेनिंग देकर एम्बुलैंस में तैनाती दी जानी चाहिए। सभी एम्बुलैंस में वैंटीलेटर की सुविधा होनी चाहिए ताकि मरीजों को किसी भी प्रकार की दिक्कतों का सामना न करना पड़े।

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