पैंशन के लिए तरस रहे नौसेना के सेलर्स,SC के फैसले को नहीं मान रहा मंत्रालय

Edited By kirti, Updated: 27 Aug, 2018 12:43 PM

navy s sellers craving for a pension

भारतीय नौसेना के लगभग 3 हजार सेलर्स आज तक पैंशन के लिए तरस रहे हैं। ये सेलर्स रक्षा मंत्रालय से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक की लड़ाई लड़ चुके हैं। उसके बाद भी उन्हें पैंशन नहीं लग पाई है। भारतीय नौसेना के सेवानिवृत्त सेलर्स छतरपुर निवासी राम स्वरूप गर्ग...

ऊना : भारतीय नौसेना के लगभग 3 हजार सेलर्स आज तक पैंशन के लिए तरस रहे हैं। ये सेलर्स रक्षा मंत्रालय से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक की लड़ाई लड़ चुके हैं। उसके बाद भी उन्हें पैंशन नहीं लग पाई है। भारतीय नौसेना के सेवानिवृत्त सेलर्स छतरपुर निवासी राम स्वरूप गर्ग ने बताया कि वर्ष 1971 की जंग में हिस्सा लेने वाले इस समय लगभग 3 हजार सेलर्स बिना पैंशन के गुजर-बसर करने के लिए मजबूर हैं। उन्होंने बताया कि वर्ष 1966 से 1976 के बीच नियुक्त किए गए सेलर्स को इस पीड़ा का दंश भोगना पड़ रहा है। उस दौरान नियुक्त किए गए सेलर्स को 10 साल लगातार व 10 साल रिजर्व सेवा देना होती थी। वर्ष 1976 में रिजर्व सेवा की नीति समाप्त कर दी गई।सेवा समाप्त होने पर उन सभी सेलर्स से स्वेच्छापूर्वक नौकरी छोड़कर जाने का सर्टीफिकेट ले लिया गया। आज उसी सर्टीफिकेट को आधार मानकर रक्षा मंत्रालय पैंशन देने से आनाकानी कर रहा है। उन्होंने बताया कि नौकरी छोडऩे के बाद जब रक्षा मंत्रालय को पत्र लिखने शुरू किए, फिर ट्रिब्यूनल कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उसके बाद वर्ष 2011 में सभी सेलर्स की एक समिति बनी।

उन्होंने एकजुट होकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में उन्हें स्पैशल पैंशन का हकदार बताते हुए 3 महीने में पैंशन का भुगतान करने के आदेश दिए, लेकिन मंत्रालय ने पैंशन नहीं दी, बल्कि एक और लैटर निकाल दिया, जिसमें यह लिखा गया कि इन सेलर्स ने अपनी इच्छा से नौकरी छोड़ी है। इसको लेकर अभी इन सेलर्स ने सुप्रीम कोर्ट में अवमानना का केस दर्ज किया है। उन्होंने बताया कि पहले कुल 3600 के करीब सेलर्स थे, जिन्हें पैंशन नहीं मिलती थी। इनमें से 530 को पैंशन का भुगतान कर दिया गया है। इन सभी ने नौकरी एक साथ ही छोड़ी थी। 

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