Edited By Simpy Khanna, Updated: 16 Jan, 2020 01:53 PM
प्रदेश कांग्रेस सोशल मीडिया के चेयरमैन अभिषेक राणा ने केंद्र सरकार को देश के गृह मंत्रालय के नैशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़ों से सबक लेते हुए जनता से माफी मांगने की नसीहत दी है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2016 में सरकार ने नोटबंदी यह जुमला कहकर लागू...
हमीरपुर : प्रदेश कांग्रेस सोशल मीडिया के चेयरमैन अभिषेक राणा ने केंद्र सरकार को देश के गृह मंत्रालय के नैशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़ों से सबक लेते हुए जनता से माफी मांगने की नसीहत दी है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2016 में सरकार ने नोटबंदी यह जुमला कहकर लागू की थी कि देश में व्याप्त फेक करंसी रैकेट का पर्दाफाश होने के साथ ब्लैक मनी व भ्रष्टाचार पर अंकुश लगने की बात कही थी लेकिन भ्रष्टाचार पर अंकुश लगने की बजाय और बढ़ गया है। उन्होंने कहा कि नैशन क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2017 व 2018 में ही 2,000 रुपए के 56 प्रतिशत नकली नोट जब्त किए गए हैं।
उन्होंने कहा कि 8 नवम्बर, 2016 की रात नोटबंदी लागू होने के बाद सरकार ने 1,000 रुपए व 5,00 रुपए के नोट बंद कर दिए थे, जिसके बाद महीनों तक देशवासियों को ए.टी.एम. में जाकर अपने ही पैसों के लिए घंटों कतारों में लगकर परेशान होना पड़ा था। उस समय भी कांग्रेस पार्टी ने केंद्र सरकार के इस फैसले को गलत करार दिया था लेकिन सरकार इसे ऐतिहासिक निर्णय बताते हुए अपनी पीठ थपथपाती रही। अब एन.सी.आर.बी. के आंकड़ों ने ही सरकार के दावों की पोल खोल दी है।
अभिषेक राणा ने कहा कि 2,000 रुपए की फेक करंसी पर सरकार को अपना पक्ष रखना चाहिए कि आखिर सरकार के नोटबंदी के निर्णय में कहां गलती हो गई। ऐसी क्या खामियां रही जिससे इतनी बड़ी संख्या में नकली करंसी पकड़ी गई। आखिर क्यों नकली करंसी का कारोबार क्यों नहीं थमा। नोटबंदी को सरकार सही तरीके से लागू नहीं कर सकती थी तो निर्णय लेने में इतनी हड़बड़ाहट क्यों दिखाई गई। उसी तर्ज पर अब एन.आर.सी. व सी.ए.ए. लागू कर सरकार इन्हें भी देश हित में बता रही है जबकि अगले कई सालों तक देश की जनता को इन थोपे गए निर्णयों का खमियाजा भुगतना पड़ेगा, क्योंकि इन निर्णयों से देश की जनता को लड़ाने का मसौदा तैयार किया है। हर राज्य में इन निर्णयों का विरोध हो रहा है लेकिन सरकार अपनी धुन में मस्त होकर जनता को भ्रमित करने को जनता के बीच अपना पक्ष रख रही है। उन्होंने कहा कि झूठ का भंडाफोड़ आखिर होकर ही रहता है।