30 रुपए ज्यादा वसूले थे शराब के दाम, अब ठेकेदार को भरना होगा इतना जुर्माना

Edited By Vijay, Updated: 06 Aug, 2019 10:14 PM

consumer commission punish the liquor contractor

शराब की ज्यादा कीमत वसूलना विक्रेता को उस समय महंगा साबित हुआ जब राज्य उपभोक्ता आयोग ने अधिक वसूले 30 रुपए खरीददार के पक्ष में ब्याज सहित लौटाने और 10 हजार रुपए अदा करने का फैसला सुनाया। इस माह देश में अपनी तरह का यह हिमाचल में दूसरा मामला है,...

मंडी (नीरज): शराब की ज्यादा कीमत वसूलना विक्रेता को उस समय महंगा साबित हुआ जब राज्य उपभोक्ता आयोग ने अधिक वसूले 30 रुपए खरीददार के पक्ष में ब्याज सहित लौटाने और 10 हजार रुपए अदा करने का फैसला सुनाया। इस माह देश में अपनी तरह का यह हिमाचल में दूसरा मामला है, जिसमें राज्य उपभोक्ता आयोग ने शराब खरीद में ओवरचार्ज करने और रसीद न देने वालों को सबक सिखाया है। राज्य उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष न्यायमूॢत पी.एस. राणा और सदस्यों सुनीता वर्मा व विजय कुमार खाची ने हिमाचल प्रदेश उपभोक्ता संघ की अपील को स्वीकारते हुए विक्रेता सी.पी.एस. त्यागी एल-2 ठेकेदार को खरीददार वेद कुमार के पक्ष में अधिक वसूले गए 30 रुपए 9 प्रतिशत ब्याज दर सहित लौटाने का फैसला सुनाया। इसके अलावा विक्रेता को खरीददार के पक्ष में 5000 रुपए हर्जाना तथा 5000 रुपए शिकायत व्यय भी अदा करने का आदेश दिया। आयोग ने विक्रेता को एक माह के भीतर इस आदेश की अनुपालना करने के निर्देश दिए हैं।

बोतल पर एम.आर.पी. था 300 रुपए, सेल्जमैन ने वसूल 330 रुपए

अधिवक्ता दिग्विजय सिंह और कीर्ति सूद के माध्यम से आयोग में दायर अपील के अनुसार प्रदेश उपभोक्ता संघ ने फोरम में शिकायत दायर की थी कि वर्ष 2016-17 में वेद कुमार और जितेंद्र भारद्वाज विक्रेता की दुकान से शराब खरीदने के लिए गए थे, जहां पर उन्होंने ऑफि सर च्वाइस ब्रांड की वाइन खरीदनी चाही। शराब की बोतल पर अधिकतम रिटेल मूल्य 300 रुपए अंकित था लेकिन विक्रेता के सेल्जमैन ने उनसे 330 रुपए वसूले जिस पर खरीददार वेद कुमार ने विरोध प्रकट करते हुए सेल्जमैन से रसीद की मांग की लेकिन सेल्जमैन ने रसीद देने से इंकार कर दिया।

खरीददार ने आबकारी विभाग और डी.सी. मंडी से की थी शिकायत

हालांकि खरीददार ने इस बारे में आबकारी एवं कराधान विभाग और डी.सी. मंडी को इस बाबत शिकायत की थी लेकिन उनकी शिकायत का निराकरण नहीं किया जा सका, जिसके चलते उपभोक्ता संघ ने जिला उपभोक्ता फोरम में शिकायत दायर करते हुए न्याय की गुहार लगाई थी लेकिन फोरम ने इस शिकायत को खारिज कर दिया था। उपभोक्ता संघ के सचिव लवण ठाकुर ने फोरम के फैसले को चुनौती देते हुए राज्य उपभोक्ता आयोग के समक्ष अपील दायर की थी।

अब इस तरीके से मिला न्याय

आयोग ने अपील को स्वीकारते हुए कहा कि विवादित मामलों को 2 तरीकों से साबित किया जा सकता है। पहला तरीका चश्मदीद गवाहों के बयान से और दूसरा तरीका दस्तावेजों के साक्ष्यों से है। इस मामले में चश्मदीद गवाह जितेंद्र कश्यप ने खरीददार वेद कुमार के शपथ पत्र को अपने शपथ पत्र से साबित किया है कि विक्रेता के सेल्जमैन ने उनसे अधिक राशि वसूल की थी जबकि विक्रेता की ओर से चश्मदीद गवाह सेल्ममैन का शपथ पत्र दाखिल नहीं किया गया था, जिससे विक्रेता का पक्ष साबित नहीं हो सका, ऐसे में राज्य उपभोक्ता फोरम ने अपील को स्वीकारते हुए खरीददार से ज्यादा वसूली गई राशि को ब्याज सहित लौटाने और विक्रेता की सेवाओं में कमी के कारण खरीददार को हुई परेशानी के बदले हर्जाना और शिकायत व्यय भी अदा करने का फैसला सुनाया है। 

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