Himachal: कइयों के लिए वरदान तो कइयों के लिए अभिशाप बन चुका है एशिया का सबसे बड़ा बांध

Edited By Kuldeep, Updated: 04 Jun, 2025 04:53 PM

una bhakra dam problem

एशिया के बड़े बांधों में शुमार भाखड़ा भले ही असंख्य लोगों को बिजली उत्पन्न कर उनके घरों को रोशन कर रहा हो, यह जल के रूप में खेतों को सिंचित तो प्यास बुझाने का काम कर रहा हो लेकिन इसका खमियाजा इस बांध के आसपास बसे लोग भुगत रहे हैं।

ऊना (सुरेन्द्र शर्मा): एशिया के बड़े बांधों में शुमार भाखड़ा भले ही असंख्य लोगों को बिजली उत्पन्न कर उनके घरों को रोशन कर रहा हो, यह जल के रूप में खेतों को सिंचित तो प्यास बुझाने का काम कर रहा हो लेकिन इसका खमियाजा इस बांध के आसपास बसे लोग भुगत रहे हैं। पंजाब, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए यह भाखड़ा बांध वरदान तो डैम के आसपास के लोगों के लिए यह बांध अभिशाप बन चुका है। जब से भाखड़ा बांध बना है, बांध के दोनों तरफ बिलासपुर और ऊना की तरफ रहने वाले लोगों का जीवन पूरी तरह से बंध गया है। यह लोग एक तरीके से कई प्रकार की बंदिशों में कैद होकर रह गए हैं।

असंख्य लोगों के हलक गीले करने वाला यह बांध अपने आसपास बसे लोगों के गले सूखे कर रहा है। लोगों के मन में पीड़ा इतनी कि न तो वह व्यक्त कर पा रहे हैं और न सह पा रहे हैं। दिक्कतें बेशुमार हैं लेकिन उनकी पुकार सुनने वाला नहीं है। इसका मुख्य कारण यह है कि बांध के दोनों तरफ जहां एक तरफ पीने के पानी का संकट है, वहीं प्रतिबंधित आवाजाही की वजह से यह विकास से भी अछूता है। चाहे बिलासपुर जिला के अंतिम छोर पर बसी ग्राम पंचायत भाखड़ा, माकड़ी, सलोआ तो डैम के दूसरी तरफ जिला ऊना के गांव प्रोइयां, कुयिाला व दोबड़ सहित आसपास के कई गांव हैं। इन गांवों में पीने के पानी की कमी के साथ-साथ कई बंदिशें भी हैं।

सबसे बड़ी दिक्कत तो यह है कि भाखड़ा बांध के ऊपर से आर-पार जाने पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी गई है। यह पाबंदी सुरक्षा कारणों से भी लगी है। हालांकि दोनों तरफ सुरक्षा के लिए पुलिस तैनात है परन्तु यदि बिलासपुर गांव के भाखड़ा ग्राम पंचायत के लोग अपने निकट संबंधियों को मिलने के लिए दूसरी तरफ जिला ऊना के प्रोइयां जाना चाहें तो उन्हें डैम के करीब 100 मीटर की क्रॉसिंग की जगह करीब 10 किलोमीटर अप-डाऊन करना पड़ता है। दोनों तरफ लोगों की रिश्तेदारियां हैं, सामाजिक समारोह होते हैं, लेकिन इनके बीच में बांध की दीवार ने कई किलोमीटर की दूरियां पैदा कर दी हैं। कई वर्ष तक तो स्थानीय लोगों को डैम से आने-जाने की छूट थी लेकिन अब डैम से आने-जाने पर पूरी तरह से रोक लगी है। करीब 10 वर्ष पहले से यह व्यवस्था लागू की गई है।

ग्राम पंचायत भाखड़ा के उपप्रधान प्रभात सिंह चंदेल, पूर्व बीडीसी सदस्य शमशेर सिंह, राजीव चंदेल, विकास, पविंद्र चंदेल, बलवंत सिंह सहित कई अन्य गांववासियों ने कहा कि उनका जीवन इस बांध की वजह से काफी मुश्किल हो गया है। नंगल से भाखड़ा गांव तक आने के लिए उन्हें 2 बैरियरों का सामना करना पड़ता है। इनमें पंजाब पुलिस की चैक पोस्ट के बाद हिमाचल की चैक पोस्ट भी शामिल है। इसके साथ ही यदि वह अपने गांव से डैम की दूसरी तरफ ऊना क्षेत्र प्रोइयां सहित आसपास के गांव में जाना चाहें तो उन्हें कई किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है। वह लगातार मांग कर रहे हैं कि भाखड़ा बांध में स्थानीय लोगों के दोपहिया या छोटी गाड़ियों से आवाजाही की अनुमति दी जाए। पंचायत प्रतिनिधियों ने कहा कि उनके गांव में पीने के पानी सहित कई अन्य समस्याएं हैं लेकिन इसका हल नहीं हो रहा है। डैम की वजह से यह पूरा क्षेत्र विकास की दृष्टि से काफी पिछड़ेपन का शिकार है।

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