Himachal: छात्र संघ चुनावाें की बहाली को लेकर शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने कही ये बड़ी बात

Edited By Vijay, Updated: 21 Aug, 2025 11:40 PM

education minister rohit thakur

शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने कहा कि छात्र संघ चुनावों की बहाली को लेकर अभी गहन चिंतन करने की आवश्यकता है, ताकि हिंसा मुक्त वातावरण में चुनाव हों।

शिमला (भूपिन्द्र): शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने कहा कि छात्र संघ चुनावों की बहाली को लेकर अभी गहन चिंतन करने की आवश्यकता है, ताकि हिंसा मुक्त वातावरण में चुनाव हों। यह बात उन्होंने वीरवार को विधानसभा में विधायक विपिन सिंह परमार की ओर से गैर सरकारी कार्य दिवस के तहत छात्र राजनीति-भविष्य के नेताओं का निर्माण अथवा छात्रों की बर्बादी पर नीति बनाने को लेकर लाए गए संकल्प पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कही जिसमें पक्ष व विपक्ष के लोगों ने अपनी-अपनी बात रखी। शिक्षा मंत्री ने कहा कि छात्र संघ चुनाव नई लीडरशिप उभारने के लिए महत्वपूर्ण हैं लेकिन छात्र संघ चुनावों के साथ हिंसा का इतिहास किसी से छिपा नहीं है। उन्होंने कहा कि चुनावों में हिंसा की प्रवृत्ति बढ़ी थी, जिसके बाद छात्र संघ चुनावों पर रोक लगा दी थी। आने वाले समय में चुनावों को बहाल करने के लिए चिंतन करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश विश्वविद्यालय की स्थापना प्रदेश के पहले सीएम डाॅ. वाईएस परमार ने की थी। इसके अलावा इसकी स्थापना में पहले कुलपति आरके सिंह का भी अहम योगदान रहा है।

छात्र राजनीति भविष्य के नेताओं की निर्माता, यह समय की बर्बादी नहीं : परमार
विधायक विपिन सिंह परमार ने संकल्प प्रस्तुत करते हुए छात्र संघ चुनाव की बहाली की मांग की तथा कहा कि छात्र राजनीति भविष्य के नेताओं की निर्माता है। यह समय की बर्बादी नहीं है। यह समाज व देश से जुड़ा विषय है। उन्होंने कहा कि विधानसभा में कई नेता छात्र राजनीति से आए हैं। उन्होंने कहा कि ये विषय देश व समाज के साथ जुड़े हुए हैं। आज का छात्र कल का नेता है। जो विद्यार्थी कॉलेज या विश्वविद्यालय में पहुंचता है, वह केवल अपनी पढ़ाई तक ही केंद्रित रहे, यह जरूरी नहीं है। युवा देश में घट रही घटनाओं का हिस्सा बनें। भावनात्मक तौर पर सामाजिक विषय से जुड़ें, जिससे देश आगे बढ़े। इसलिए कैंपस में छात्र राजनीति का होना जरूरी है। छात्र राजनीति से बच्चों का व्यक्तित्व निखरता है। उन्होंने कहा कि नेता शब्द का अर्थ नेतृत्व करना है। उन्होंने कहा कि अगर 19 साल की युवती माऊंट एवरैस्ट तक पहुंचती है तो वह नेतृत्व है। उन्होंने कहा कि नेता वह है जो एनजीओ के रूप में, स्वच्छता के रूप में क्रांति ले आए। एआई में क्रांति लाने वाले नेता हैं। उन्होंने कहा कि 140 करोड़ से अधिक जनसंख्या में 35 साल से कम उम्र के नौजवान 65 प्रतिशत हैं। भारत युवा देश है। डिजिटल भुगतान भारत में 85 प्रतिशत हो रहा है, जबकि दुनिया में केवल 50 फीसदी है। उन्होंने कहा कि भारत छोड़ो आंदोलन सबसे पहले विश्वविद्यालयों से शुरू हुआ था।

छात्र संघ चुनावों से सहमत नहीं : धर्माणी
तकनीकी शिक्षा मंत्री राजेश धर्माणी ने कहा कि वह छात्र संघ चुनावों से सहमत नहीं हैं। इसमें हिंसा हुई है, ऐसे में वह इसका समर्थन नहीं कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि अभी भी महाविद्यालयों व विश्वविद्यालयों में छात्र संगठन सक्रिय हैं, जो बच्चों को अपने साथ जोड़ते हैं। उन्होंने छात्रों को राजनीतिक मूल्यों के बारे में जानकारी देने की बात कही। उन्होंने कहा कि जब वह एनएसयूआई में काम करते थे तथा सीएम राज्य अध्यक्ष थे तो उस समय चुनाव होते थे, लेकिन हिंसा की घटनाएं होती थीं। उस समय कैंपस में 3-3 मर्डर हुए। इस कारण सरकार ने निर्णय लिया कि यदि चुनावों के कारण बच्चे एक-दूसरे को मारना शुरू कर देें तो वह ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि लीडरशीप क्वालिटी बेहद जरूरी है।

होने चाहिएं छात्र संघ चुनाव : विनोद
विधायक विनोद कुमार ने चर्चा में भाग लेते हुए छात्र संघ चुनावों का समर्थन करते हुए कहा कि छात्र संघ चुनाव होने चाहिएं ताकि समाज को अच्छे नेता मिल सकें। जब भी कॉलेज में छात्र संघ चुनाव की बात आती है तो कुछ एजैंट बनकर काम करते हैं। कॉलेज राजनीति में किसी भी दल का दबाव नहीं होना चाहिए। जब राजनीतिक दल का दबाव छात्र संगठन पर होता है तो वह उस तरह से कार्य नहीं कर पाते जिस तरह से उन्हें करना होता है।

विधानसभा में अधिकांश नेता छात्र पहुंचे : पठानिया
केवल सिंह पठानिया ने कहा कि ज्यादातर लीडर छात्र संगठन चुनावों के बाद ही विधानसभा पहुंचे हैं। उन्होंने कहा कि लगभग सारा सदन छात्र राजनीति के नेताओं से भरा है। उन्होंने कहा कि हिंसा मुक्त कॉलेज कैंपस हो।

पढ़ाई के साथ राजनीति की भी होनी चाहिए समझ : हंसराज
हंसराज ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि जो भी छात्र-छात्राएं भविष्य में नेता बनना चाहते हैं तो उन्हें पढ़ाई के साथ-साथ राजनीति की भी समझ होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर हम बच्चों को भविष्य के लिए तैयार नहीं करेंगे तो बेहतर लीडर नहीं बनेंगे। उन्होंने कहा कि चुराह के लोगों को भी नहीं पता था कि अंतिम कौन सा नेता निकलेगा। लीडर एक दिन में नहीं बन जाता, इसके लिए आत्मा देनी पड़ती है।

सभी पहलुओं पर करना चाहिए विचार : सुरेश
सुरेश कुमार ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि सदन में 80 फीसदी विधायक ऐसे बैठे हैं, जिन्होंने अपने जीवन में कभी न कभी छात्र राजनीति में भाग लिया हो। उन्होंने कहा कि हिमाचल विश्वविद्यालय ने कई नेता इस राज्य को दिए हैं। हिमाचल विश्वविद्यालय की राजनीति का स्तर उच्च रहा है लेकिन यहां पर कई छात्र हमने खोए भी हैं। उन्होंने कहा कि नासिर खान के मर्डर में वह स्वयं गवाह रहे हैं। छात्र राजनीति के जहां अच्छे अनुभव हैं, वहीं इसके बहुत सारे दुष्प्रभाव भी हैं। सभी पहलुओं पर विचार करना चाहिए।

छात्र राजनीति से निकला नेता किसी भी फील्ड में फेल नहीं : राकेश
राकेश जम्वाल ने कहा कि छात्र राजनीति से निकलकर कई नेता देश व प्रदेश का नेतृत्व कर रहे हैं। हिमाचल विश्वविद्यालय से निकले जगत प्रकाश नड्डा केंद्र की मोदी सरकार में स्वास्थ्य मंत्री हैं। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर, सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू भी छात्र राजनीति से आए हैं। छात्र राजनीति से निकला हुआ कोई भी नेता किसी भी फील्ड में फेल नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा कि छात्र संघ चुनाव बहाल होने चाहिए।

चुनाव बंद होने के बाद आ रहे अच्छे रिजल्ट : जनारथा
विधायक हरीश जनारथा ने कहा कि छात्र चुनाव 2013 में बंद हुए थे। जब चुनाव बंद हुए तो रिजल्ट भी अच्छे आने शुरू हुए हैं। उन्होंने कहा कि और भी कई साधन हैं जिनके जरिए छात्र राजनीति सीख सकते हैं। उन्होंने कहा कि अभिभावक बड़ी मुश्किल से बच्चों को पढ़ा रहे हैं। उन्होंने कहा कि नड्डा का खास आदमी आज रिज मैदान पर फोटोग्राफी करता है। हिंसा में कइयों पर केस दर्ज हुए, जिससे वह नौकरी नहीं कर पाए। विवाह नहीं कर पाए। उन्होंने कहा कि जब छात्रों के पढ़ने का समय है तो क्या वे दराट लेकर चलेंगे।

जब बीज डालेंगे तब बट पेड़ बनेगा : त्रिलोक
त्रिलोक जमवाल ने चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि जब छात्र राजनीति नहीं होगी तो नेता कहां से बनेंगे। उन्होंने कहा कि छात्र राजनीति से हमें पता चला कि राष्ट्र की चिंता क्या है। उन्होंने कहा कि जब बीज डालेंगे तब जाकर ही बट पेड़ बनेगा। जब हमारे पास इतने बड़े विश्वविद्यालय थे, तो हम गुलाम किसलिए हो गए। उन्होंने कहा कि हम गुलाम इसलिए हुए क्योंकि हमारी मानसिकता गुलाम हो गई। उन्होंने कहा कि छात्र चुनाव बहाल होने चाहिए।

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