Edited By Vijay, Updated: 24 Aug, 2025 01:22 PM
हिमाचल प्रदेश में मानसून का असर कम होने का नाम नहीं ले रहा है। राज्य के कई इलाकों में बीती रात से लगातार बारिश हो रही है, जिससे आम जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है।
हिमाचल डैस्क: हिमाचल प्रदेश में मानसून का असर कम होने का नाम नहीं ले रहा है। राज्य के कई इलाकों में बीती रात से लगातार बारिश हो रही है, जिससे आम जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। ऊंचाई वाले इलाकों में हल्की बर्फबारी भी दर्ज की गई है जिससे ठंड में इजाफा हुआ है। मौसम विभाग ने आने वाले दिनों में भी कुछ जगहों पर भारी बारिश की चेतावनी दी है। 27 अगस्त तक यैलो अलर्ट जारी किया गया है, जबकि 28 से 30 अगस्त के बीच भी मौसम खराब रहने का अनुमान है, हालांकि इस अवधि में कोई विशेष चेतावनी जारी नहीं की गई है।

मंडी के पंडोह इलाके में 123 मिलीमीटर वर्षा दर्ज
पिछली रात से आज सुबह तक सबसे अधिक वर्षा मंडी जिले के पंडोह इलाके में दर्ज की गई जहां 123 मिलीमीटर वर्षा हुई है। इसके अलावा सोलन के कसौली में 105 मिलीमीटर, चम्बा के जोत में 104 मिलीमीटर, मंडी और करसोग में 68-68 मिलीमीटर वर्षा रिकाॅर्ड की गई है। यह बारिश न केवल यातायात व्यवस्था को प्रभावित कर रही है, बल्कि कई क्षेत्रों में भूस्खलन के कारण रास्ते बंद हो गए हैं। चम्बा जिले के कुछ इलाकाें में भी भारी बारिश के चलते बादल फटने जैसे हालात हाे गए हैं, जिससे नदी-नाले उफान पर आ गए हैं। वही भारी बारिश के चलते चंबा-खजियार मार्ग पर सुल्तानपुर के समीप मलबा सड़क पर आ गया है। पर्यटन स्थल डल्हाैजी में भी बारिश के चलते बाढ़ जैसे हालात बने हुए हैं। तलाई नामक स्थान पर नाले में आई बाढ़ का पानी गुनियाला गांव तक पहुंच गया, जहां तीन से चार चौपहिया वाहनों सहित कुछ दोपहिया वाहनाें के बहने की सूचना है। वही बिजली के ट्रांसफार्मर सहित खंभों व तारों को भी भारी नुक्सान हुआ है।
कुल्लू के बरशौणा में फ्लैश फ्लड से तबाही
कुल्लू जिले की भुंतर तहसील में स्थित बरशौणा पंचायत का स्थानीय नाला उफान पर आ गया। इस फ्लैश फ्लड से खेतों में मलबा भर गया जिससे किसानों की फसलें खराब हो गईं और जमीन बर्बाद हो गई। ग्रामीणों का कहना है कि यह नाला अक्सर शांत रहता था, लेकिन अचानक आई बाढ़ ने भारी नुक्सान किया है। लाहौल-स्पीति जिले में भी रातभर बारिश होती रही और ऊंचाई वाले क्षेत्रों में हल्की बर्फ गिरने से तापमान में गिरावट दर्ज की गई है।
राष्ट्रीय राजमार्ग और वैकल्पिक मार्ग प्रभावित
मंडी जिले में वर्षा और भूस्खलन का असर राष्ट्रीय राजमार्गों पर भी पड़ा है। कुल्लू-मनाली नैशनल हाईवे पर पंडोह से औट के बीच मलबा जमा होने से यह सड़क बंद हो गई थी। नतीजतन सैंकड़ों वाहन कई घंटों तक जाम में फंसे रहे। हालांकि, एनएचएआई और लोक निर्माण विभाग की ओर से लगातार प्रयास किए गए और सुबह 10 बजे के करीब मलबा हटाने के बाद हाईवे आंशिक रूप से चालू कर दिया गया। कुछ जगहों पर अभी भी केवल एक ओर का यातायात ही सुचारू रूप से चल रहा है। मंडी से कुल्लू जाने वाला वैकल्पिक मार्ग कन्नौज के पास सड़क धंसने से बंद हाे गया है। वही भारी वर्षा के चलते चंबा-भरमौर एनएच सहित कई मुख्य व संपर्क मार्गों पर भारी भूस्खलन हुआ है, जिस कारण मार्गों पर वाहनों की आवाजाही बाधित हो गई है। चंबा-भरमौर एनएच लाहड़ के समीप भारी भूस्खलन होने के कारण बंद है। मार्ग के बंद होने की सूचना मिलते ही एनएच प्राधिकरण की ओर से मशीनरी व कर्मचारियों को इसे बहाल करने के लिए भेज दिया है। भारी वर्षा से चंबा-भरमौर एनएच कलसुईं के समीप भी बंद हो गया है।

2 राष्ट्रीय राजमार्ग और 380 से अधिक सड़कें बंद
प्रदेश में वर्तमान में 2 राष्ट्रीय राजमार्ग और 380 से अधिक सड़कें बंद पड़ी हैं। सबसे अधिक 220 सड़कें मंडी और 101 कुल्लू जिले में बंद हैं, जबकि चम्बा में 24 और कांगड़ा में 21 रास्ते प्रभावित हुए हैं। साथ ही पूरे राज्य में 208 बिजली ट्रांसफार्मर और 51 पेयजल योजनाएं भी बंद हो चुकी हैं। इनमें से मंडी जिले में 134 ट्रांसफार्मर और 36 पेयजल योजनाएं पूरी तरह से ठप्प हैं।
मानसून सीजन में अब तक 298 लोगों की जान गई
20 जून से पूरे प्रदेश में सक्रिय मानसून ने अब तक 298 लोगों की जान ले ली है। मंडी और कांगड़ा जिलों में सबसे अधिक 48-48 लोग जान गंवा चुके हैं। इसके अलावा चंबा में 35, शिमला में 28, किन्नौर और कुल्लू में 26-26 लोगों की मौत हुई है। इस दौरान करीब 356 लोग घायल हुए हैं और 37 लोग अभी भी लापता हैं।
बड़े पैमाने पर संपत्तियों को नुक्सान
अब तक की रिपोर्ट के अनुसार राज्य में 3041 मकान क्षतिग्रस्त हो चुके हैं, जिनमें से 675 पूरी तरह ढह गए हैं। अकेले मंडी जिले में 1456 मकानों को नुकसान हुआ है जिसमें 490 पूरी तरह नष्ट हो गए हैं। इसके अलावा, 391 दुकानें और 2728 पशुशालाएं भी बर्बाद हो गई हैं। इस प्राकृतिक आपदा में करीब 1824 पालतू पशु और 25755 पोल्ट्री पक्षियों की भी मौत हो चुकी है। अभी तक अनुमानित कुल नुक्सान करीब 2347 करोड़ रुपए आंका गया है। इसमें सबसे अधिक हानि लोक निर्माण विभाग को हुई है जिसे 1310 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है, जबकि जलशक्ति विभाग को करीब 769 करोड़ रुपये की हानि झेलनी पड़ी है।
मानसून सीजन में अब तक 75 फ्लैश फ्लड की घटनाएं दर्ज
प्रदेश में इस मानसून सीजन में अब तक कुल 75 फ्लैश फ्लड की घटनाएं दर्ज की गई हैं। सबसे ज्यादा 41 घटनाएं लाहौल-स्पीति जिले में हुई हैं। वहीं भूस्खलन की कुल 74 घटनाएं हुई हैं जिनमें शिमला सबसे आगे रहा है जहां 14 घटनाएं रिकॉर्ड की गई हैं। बादल फटने की 40 घटनाएं दर्ज की गई हैं और इनमें मंडी जिले में सबसे अधिक 18 बार ऐसा हुआ है। कुल्लू जिले में 10, चंबा में 5, शिमला और लाहौल-स्पीति में 3-3 बार बादल फटा है, जबकि किन्नौर में एक बार ऐसा मामला सामने आया है। बिलासपुर, हमीरपुर, कांगड़ा, ऊना, सोलन और सिरमौर जिले इन घटनाओं से अब तक अछूते रहे हैं।