Edited By Vijay, Updated: 30 Nov, 2025 06:45 PM

लगभग 10000 फुट की ऊंचाई पर स्थित श्री आदि हिमानी चामुंडा मंदिर के कपाट 1 दिसम्बर को विधिवत रूप से बंद कर दिए जाएंगे। आमतौर पर 15 नवम्बर को मंदिर के कपाट बंद करने की परंपरा रही है।
पालमपुर (भृगु): लगभग 10000 फुट की ऊंचाई पर स्थित श्री आदि हिमानी चामुंडा मंदिर के कपाट 1 दिसम्बर को विधिवत रूप से बंद कर दिए जाएंगे। आमतौर पर 15 नवम्बर को मंदिर के कपाट बंद करने की परंपरा रही है। मौसम के साफ रहने तथा मंदिर के नए भवन का निर्माण कार्य जारी रहने के कारण इस बार देरी से मंदिर के कपाट बंद किए जा रहे हैं। अब कपाट आगामी वर्ष मार्च में नवरात्र के अवसर पर खोले जाएंगे।
इंटीरियर का कार्य किया जाना शेष
वर्ष 2014 में मंदिर परिसर रहस्यमयी आग के कारण चल कर राख हो गया था जिसके पश्चात नए भवन का निर्माण कार्य आरंभ किया गया है। धन की कमी तथा किए गए कार्य की असेसमेंट न होने के कारण निर्माण कार्य में देरी हुई हैं परंतु इस वर्ष निर्माण कार्य के लिए सरकार की ओर से अतिरिक्त धनराशि जारी गई है। इस वर्ष मंदिर में ट्रिपल लेयर छत डालने का कार्य पूर्ण कर लिया गया है। जबकि मंदिर के अंदर के इंटीरियर का कार्य किया जा इसके इसके लिए डिजाइनदार लकड़ी के पैनल की ढुलाई आरंभ की गई है।
कलश तथा सनातन पताका स्थापित
इस वर्ष मंदिर के ऊपर कलश तथा सनातन पताका की स्थापना भी कर दी गई है। इसके लिए विशेष रूप से मुरादाबाद से कलश तैयार करवाया गया है। इस कलश पर विशेष रूप से कोटिंग की गई है ताकि मौसमीय परिस्थितियों के दृष्टिगत उसकी चमक खराब न हो। इसके ऊपर एविएशन लाइट भी स्थापित की गई है जिस कारण मंदिर अब दूर से भी दिखाई देता है।
इस कारण निर्माण कार्य को रोकने का लिया निर्णय
मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए तथा निर्माण कार्य के लिए पानी की कमी होने के कारण भी निर्माण कार्य को रोकने का निर्णय लिया गया है। पदार्थ की ढुलाई में जुटे घोड़े तथा खच्चरों के लिए भी रास्ते में पानी की कमी हो गई है। वहीं अधिक ऊंचाई पर होने के कारण तापमान में भी कमी आई है, जिस कारण काम करना कठिन हो रहा है।
इस वर्ष कम रही श्रद्धालुओं की संख्या
मंदिर परिसर पहुंचने वाले श्रद्धालुओं का क्रम फिलहाल जारी है। अभी भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु मंदिर परिसर पहुंच रहे हैं। शनिवार को भी प्रशासनिक अधिकारियों का एक ग्रुप मंदिर परिसर पहुंचा। वहीं के अन्य अधिकारी भी मंदिर परिसर माथा टेकने पहुंचे हैं। यद्यपि इस बार अधिक बारिश के कारण गत वर्ष की अपेक्षा मंदिर पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की संख्या कुछ कम रही।