Edited By Kuldeep, Updated: 13 Sep, 2025 05:22 PM

हिमाचल के उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने साफ कहा है कि पहाड़ी प्रदेश का पुनर्गठन राजनीतिक हित पूरे करने के लिए हुआ था व वित्तीय व्यवहार्यता के मानदंडों पर प्रदेश आज भी कहीं खरा नहीं उतरता है।
शिमला/धर्मशाला (सौरभ कुमार): हिमाचल के उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने साफ कहा है कि पहाड़ी प्रदेश का पुनर्गठन राजनीतिक हित पूरे करने के लिए हुआ था व वित्तीय व्यवहार्यता के मानदंडों पर प्रदेश आज भी कहीं खरा नहीं उतरता है। ऐसे में लगभग एक लाख करोड़ रुपए के कर्ज तले दबे प्रदेश की पटरी से उतरती जा रही आर्थिकी को सबल 16वें केंद्रीय वित्त आयोग की मार्च, 2026 में लागू होने वाली सिफारिशों से ही मिल सकता है। इनमें प्रदेश को मिलने वाले राजस्व घाटा अनुदान में भारी इज़ाफ़ा और केंद्रीय योजनाओं में केंद्र-राज्य की फंडिंग का अनुपात 90:10 करना शामिल है। उप मुख्यमंत्री ने राज्य की कमज़ोर होती आर्थिक स्थिति, इससे उबरने के रोडमैप और अपने विभागों जलशक्ति, परिवहन, सहकारिता तथा भाषा एवं संस्कृति को लेकर "पंजाब केसरी" से विशेष बातचीत में कई अहम बिंदु रखे।
उप मुख्यमंत्री ने आपदा से सर्वाधिक प्रभावित जलशक्ति विभाग को केंद्र से एकमुश्त फंडिंग की जरूरत बताई, जिसे पिछले 3 सालों में 4 हजार करोड़ रुपए का अनुमानित नुकसान हुआ है। अग्निहोत्री ने कहा कि वर्ष 2023 में 2150 करोड़, 2024 में 540 करोड़ और 2025 में अब तक अनुमानित 1291.51 करोड़ रुपए का नुक्सान विभाग को हुआ है। सराज, मंडी व धर्मशाला सहित सैंकड़ों करोड़ रुपए की कई जल आपूर्ति योजनाएं तबाह हो चुकी हैं। " हमने जलापूर्ति की अधिकतर योजनाएं अस्थायी तौर पर बहाल की हैं व कई योजनाओं को पुनः शुरू करने पर काम जारी है। हालांकि, प्रदेश भर में ध्वस्त हुई सड़कों के नीचे कई किलोमीटर तक पाइपलाइन टूटने व बिजली के बिना पंप हाउस न चलने से कई दिक्कतें आ रही हैं", अग्निहोत्री ने यह स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि 6600 करोड़ के जलजीवन मिशन के बकाया 1227 करोड़ केंद्र के समक्ष बार-बार बात रखने पर भी आज तक रिलीज नहीं हुए हैं। इसे लेकर प्रधानमंत्री को भी पत्र लिखा है। मिशन के तहत कई योजनाएं अधूरी हैं, वहीं 600 करोड़ का काम पूरा करने वाले ठेकेदारों को पेमेंट नहीं हो पा रही है।
एक हज़ार नई योजनाओं पर काम शुरू नहीं हो सका है। उप मुख्यमंत्री बोले-मैंने शुक्रवार को दिल्ली में मुलाकात के दौरान केंद्रीय जलशक्ति मंत्री को पूरे हालात बताए हैं। आपदा राहत के विभिन्न मापदंडों में छूट से ही जलापूर्ति व सिंचाई योजनाओं को दोबारा खड़ा किया जा सकता है। अभी 2023 के पीडीएनए के महज 123 करोड़ रुपए मिले हैं जोकि बहुत कम हैं। अग्निहोत्री ने कहा कि केंद्र को अन्य राज्यों से हटकर नियमों में ढील देकर हिमाचल की मदद करनी होगी। आपदा राहत में फंडिंग के अभी जो नियम हैं, उनसे एक टैंक तक नहीं बन सकता है। वहीं, प्रदेश में सहकारिता क्षेत्र में सुधारों पर जोर देते हुए कहा कि सभी सहकारी सभाओं के रिकॉर्ड व खातों को डिजिटल करने से पारदर्शिता बढ़ेगी। सहकारी सभाओं को मजबूत करने के लिए जिन सभाओं के सभी निदेशक हिमाचली हैं, उन सभाओं को नियमों में छूट देकर वित्तीय मदद की मांग केंद्र सरकार से की है।
संकट की 'सारथी' बनी एचआरटीसी, बेड़े को नया रूप देंगे
अग्निहोत्री ने कहा कि हिमाचल पथ परिवहन निगम (एचआरटीसी) प्रदेश के लोगों की लाइफ लाइन ही नहीं, बल्कि संकट की सारथी भी बनी है। एचआरटीसी सिर्फ प्रोफिट के लिए काम करने वाला निगम नहीं बल्कि घाटे वाले अधिकतर रूटों पर दिन- रात पब्लिक को सेवाएं देता है। मणिमहेश में बीते माह आई आपदा के बाद निगम की बसों ने 29 अगस्त से 6 सितम्बर तक चम्बा से पंजाब व कांगड़ा तक करीब 196 फेरे लगाकर 8518 मणिमहेश यात्रियों को निःशुल्क घरों तक पहुंचाया। हर माह सरकारी ग्रांट से ही हम वेतन-पेंशन का भुगतान कर पाते हैं। आगे कई चुनौतियां हैं जिनका सामना कर आय बढ़ाने के प्रयास जारी हैं। फिर भी अपने संसाधनों से 1000 नई बसें, टैम्पो ट्रेवलर व वॉल्वो बसें बेड़े में जल्द जोड़ेंगे।
कांगड़ा हवाई अड्डे के विस्तार का मसला मोदी से उठाया
उप मुख्यमंत्री ने खुलासा किया कि बीते मंगलवार को कांगड़ा आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सरकार ने हिमाचल में कांगड़ा हवाई अड्डे का जल्द विस्तार कर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के रूप में विकसित करने के लिए केंद्रीय फंडिंग का मसला उठाया है। प्रधानमंत्री ने सकारात्मक रुख अपनाया है। इसके अलावा प्रदेश में रेलवे प्रोजेक्ट्स में भूमि अधिग्रहण की लागत व राज्य के शेयर में भी छूट देने का आग्रह किया गया है। नैशनल परमिट की वोल्वो बसों के गलत तरीके से स्टेट कैरिज पर चलने का मसला भी केंद्र से उठाया है।
शिमला रोपवे के टेंडर जल्द, हिमानी चामुंडा सहित अन्य रोपवे पर आगे बढ़ेंगे
अग्निहोत्री बोले कि आपदा के समय व पर्यटन की दृष्टि से रोपवे कारगर साबित हुए हैं। माता नयना देवी रोपवे, मंडी में बगलामुखी रोपवे व परवाणू रोपवे सफलतापूर्वक चले हैं। शिमला में एशिया के सबसे बड़े रोपवे के निर्माण का काम जल्द शुरू होगा जिसके लिए टेंडर जल्द बुलाए जा रहे हैं। इसी प्रकार कांगड़ा जिले में माता हिमानी चामुंडा, बन्दला रोपवे सहित अन्य पर्यटन स्थलों पर रोपवे निर्माण की दिशा में आगे बढ़ेंगे। स्विट्जरलैंड की तर्ज़ पर प्रदेश में पर्यावरण संतुलित पर्यटन ढांचे के विकास पर भी ध्यान देने की जरूरत है।
धार्मिक पर्यटन सर्किट तैयार करने पर होगा काम
अग्निहोत्री ने कहा कि आपदा से उबरने के साथ ही प्रदेश के अपने संसाधन बढ़ाने के लिए धार्मिक पर्यटन सर्किट पर आगे बढ़ा जाएगा। केंद्र की प्रसाद योजना के तहत माता श्री चिंतपूर्णी मंदिर धाम को विकसित करने के लिए 75 करोड़ की फंडिंग मिली है। अन्य बड़े मंदिर में इस योजना में लाने के लिए केंद्र को प्रस्ताव भेजेंगे। भाषा व संस्कृति विभाग के तहत प्रदेश के मुख्य मेलों व आयोजनों को और बढ़ावा दिया जाएगा।