Edited By Kuldeep, Updated: 06 Sep, 2025 09:56 PM

हिमाचल को स्विट्जरलैंड की तर्ज पर पर्यटन हब बनाया जाएगा। उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि प्रदेश में पर्यटन और कनैक्टिविटी को बढ़ावा देने के लिए बड़े स्तर पर रोपवे परियोजनाएं शुरू की गई हैं।
शिमला (संतोष): हिमाचल को स्विट्जरलैंड की तर्ज पर पर्यटन हब बनाया जाएगा। उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि प्रदेश में पर्यटन और कनैक्टिविटी को बढ़ावा देने के लिए बड़े स्तर पर रोपवे परियोजनाएं शुरू की गई हैं। इन परियोजनाओं से धार्मिक पर्यटन के साथ-साथ परिवहन के वैकल्पिक साधन उपलब्ध होंगे। इससे प्रदेश की अर्थव्यवस्था सुदृढ़ होगी और युवाओं के लिए रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे।
उन्होंने कहा कि शिमला में 13.79 किलोमीटर लंबी रोपवे परियोजना को अंतिम स्वीकृति मिल चुकी है। करीब 1734.70 करोड़ रुपए की लागत से निर्मित हो रही इस परियोजना को आगामी चार वर्षों के भीतर पूरा करने का प्रयास किया जाएगा। इसमें 3 लाइनें, 14 सैक्शन और 13 स्टेशन होंगे। सचिवालय, अस्पताल, स्कूल, रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड को इस नैटवर्क से जोड़ा जाएगा। उन्होंने कहा कि स्मार्ट सिटी प्रोजैक्ट के तहत शिमला में 50 करोड़ रुपए की लागत से 19 इंफ्ररास्ट्रक्चर प्रोजैक्ट और 25 करोड़ रुपए की लागत से 3 प्रोजैक्ट इसी वर्ष दिसम्बर तक पूरे किए जाएंगे।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के दृष्टिगत तीन महत्वाकांक्षी रोपवे परियोजनाएं निर्मित की जा रही हैं। प्रदेश में 65 करोड़ रुपए की लागत से बाबा बालकनाथ मंदिर रोप-वे, 278.62 करोड़ रुपए की लागत से बिजली महादेव रोपवे और 76.50 करोड़ रुपए की लागत से माता चिंतपूर्णी मंदिर रोपवे परियोजना निर्मित की जा रही है। यह सभी परियोजनाएं जून, 2027 तक पूरी की जाएंगी।
उन्होंने कहा कि ग्रामीण कनैक्टिविटी की पहल को साकार करते हुए देश का पहला रोप-वे (बगलामुखी रोपवे) दिसम्बर, 2024 में शुरू किया गया। 53.89 करोड़ रुपए की लागत से निर्मित इस रोपवे से अब तक लगभग 69 हजार यात्री लाभ उठा चुके हैं। आपदा के समय यह रोपवे स्थानीय लोगों और राहत कार्यों के लिए जीवन रेखा साबित हुआ। पर्यटन कनैक्टिविटी की दिशा में लंबी छलांग लगाते हुए कुल्लू के ढालपुर से पीज रोपवे का निर्माण कार्य भी तेजी से चल रहा है। 1.20 किलोमीटर लंबे इस प्रोजैक्ट पर 80 करोड़ रुपए व्यय किए जाएंगेे और इसे जून 2027 तक पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने सड़कों पर वाहनों के अतिरिक्त दबाव को कम करने के लिए शिमला को परवाणू से रोपवे परियोजना के तहत जोड़ने की योजना बनाई है। इस 38 किलोमीटर लंबी परियोजना की अनुमानित लागत 5602.56 करोड़ रुपए है। इस परियोजना को पब्लिक प्राइवेट मोड पर पूरा करने की योजना है। पूरे देशभर में रोपवे परियोजना को वैकल्पिक ट्रांसपोर्ट की तर्ज पर लाने में यह परियोजना मील का पत्थर साबित होगी।
उन्होंने कहा कि हिमाचल में बनने वाली यह रोपवे परियोजनाएं यातायात जाम की समस्या को दूर करेंगी, ग्रीनहाऊस गैस उत्सर्जन घटाएंगी और आधुनिक, पर्यावरण अनुकूल परिवहन का विकल्प प्रदान करेंगी। उन्होंने विश्वास जताया कि इन परियोजनाओं से हिमाचल को स्विट्जरलैंड की तर्ज पर पर्यटन हब के रूप में विकसित किया जाएगा और युवाओं के लिए रोजगार के हजारों अवसर पैदा होंगे।