Edited By kirti, Updated: 06 Apr, 2020 02:46 PM
मम्मी जब अस्पताल में डयूटी पर जाती हैं तो डर लगता है कि कहीं उनको भी कोरोना का संक्रमण न हो जाए, लेकिन गर्व है कि मां स्वास्थ्य विभाग में डटकर सेवाएं दे रही हैं और इस आपदा की घड़ी में देशसेवा कर रही है।
ऊना (सुरेन्द्र): मम्मी जब अस्पताल में डयूटी पर जाती हैं तो डर लगता है कि कहीं उनको भी कोरोना का संक्रमण न हो जाए, लेकिन गर्व है कि मां स्वास्थ्य विभाग में डटकर सेवाएं दे रही हैं और इस आपदा की घड़ी में देशसेवा कर रही है। यह कहना है क्षेत्रीय अस्पताल ऊना में कार्यरत वार्ड सिस्टर अंजु राणा की बेटी पंजाब में माईक्रो बायोलॉजी में बी.एससी कर रही तक्षिका राणा का। अंजू राणा पिछले 23 साल से स्वास्थ्य विभाग में सेवाएं दे रही हैं और नित्यप्रति अपने कर्तव्य का निर्वहन कर रही है। कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए बनाए गए आइसोलेशन वार्ड में भी ड्यूटी निभा रही अंजू का परिवार उनके कर्तव्य निर्वहन में उनका पूरा साथ दे रहा है। मैहतपुर में एस.बी.आई. बैंक में कार्यरत अंजू राणा के पति संजीव राणा का कहना है कि उन्हें अपनी पत्नी की चिंता तो रहती है लेकिन देश सेवा करने का यही सही समय है।
उनकी पत्नी ने 1997 से लेकर अब तक स्वास्थ्य विभाग में पूरी तन्मयता से सेवाएं दी हैं और मौजूदा कठिन दौर में भी उसका पूरा ध्यान अपने कर्तव्य निर्वहन पर है। वह अंजू को पूरा हौसला देते हैं ताकि वह अच्छी तरह से ड्यूटी कर सके। अंजू घर आने पर पहले सब कुछ सैनेटाइज करती हैं फिर घर में प्रवेश करके परिवार के बीच बैठती है लेकिन एहतियातन परिवार से कुछ दूरी बनाए रखती है। अंजू के पारिवारिक सदस्य बच्चे आर्यन का कहना है कि आंटी पूरे जज्बे के साथ रोज अस्पताल जाती हैं और उनसे तब ही मिलती हैं जब वह सैनेटाइज हो जाती है। वह उन्हें यह भी सिखाती हैं कि कैसे कोरोना से बचा जा सकता है।
अंजू राणा का कहना है कि उनके सहित पूरा अस्पताल स्टाफ बेहतरीन जज्बे के साथ कोरोना के खिलाफ जंग में योगदान दे रहा है। पूरी एहतियात के साथ मरीजों को रखा गया है और ड्यूटियां निभाई जा रही हैं। अस्पताल प्रबंधन द्वारा भी स्टाफ को पूरा सहयोग और सुरक्षा का पूरा साजोसामान दिया जा रहा है। सभी को इस आपदा की घड़ी में सहयोग करना चाहिए ताकि मौजूदा दौर में कार्य कर रहे सभी वर्गों का हौसला बढ़ सके। कोराना संबंधित एडवायजरी सभी को माननी चाहिए ताकि यह वायरस आगे और न फैल सके। यह सामूहिक जिम्मेदारी है।