Edited By Jyoti M, Updated: 19 Feb, 2025 05:00 PM
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फर्जी अधिकारी बनकर लोगों से ठगी करने वाली महिला की गिरफ्तारी ने पुलिस विभाग को एक महत्वपूर्ण सफलता दिलाई है। यह महिला सिरमौर के पांवटा साहिब से गिरफ्तार की गई है, जहां वह ठगी के बाद छिपी हुई थी। यह घटना तब सामने आई जब मोनिका देवी पत्नी शशिकांत...
हिमाचल डेस्क। फर्जी अधिकारी बनकर लोगों से ठगी करने वाली महिला की गिरफ्तारी ने पुलिस विभाग को एक महत्वपूर्ण सफलता दिलाई है। यह महिला सिरमौर के पांवटा साहिब से गिरफ्तार की गई है, जहां वह ठगी के बाद छिपी हुई थी। यह घटना तब सामने आई जब मोनिका देवी पत्नी शशिकांत निवासी कुरियाला तहसील व जिला ऊना ने पुलिस को शिकायत दी। उसने बताया कि एक महिला ने औद्योगिक क्षेत्र ऊना में खुद को एक सरकारी अधिकारी बताते हुए कई लोगों से लाखों रुपये की ठगी की।
महिला ने खुद को औद्योगिक क्षेत्र ऊना में असिस्टेंट ऑफिसर और सेरीकल्चर विभाग में अतिरिक्त कार्यभार संभालने वाली बताया था। उसने कई लोगों को यह झांसा दिया कि वह सरकारी योजना के तहत शहतूत के पौधे लगवाने का काम करती है, जिसके बदले उन्हें हर माह 35,000 रुपये की आय होती है।
इसके अलावा, महिला ने शिकायतकर्ता से यह भी कहा कि वह सरकारी नौकरी दिलवाने का वादा कर रही है। इस झांसे में आकर शिकायतकर्ता ने महिला को रुपये दिए। महिला ने ना केवल 75,000 रुपये नौकरी के लिए दिए, बल्कि 14,000 रुपये का लोन दिलवाने का झांसा देकर और पैसे लिए। कुल मिलाकर आरोपी महिला ने शिकायतकर्ता से 99,000 रुपये की ठगी की। महिला ने नौकरी के नाम पर कोई पत्र नहीं भेजा, और न ही शहतूत के पौधे लगाए, जिससे शिकायतकर्ता को यह समझ में आया कि वह ठगी का शिकार हो चुकी है।
पुलिस ने इस मामले की जांच शुरू की और महिला के खिलाफ कार्रवाई की। पुलिस को जानकारी मिली कि आरोपी महिला पहले चंडीगढ़ और फिर पांवटा साहिब में ठिकाने बदल रही थी। जब पुलिस को पुख्ता सूचना मिली कि महिला पांवटा साहिब में छिपी हुई है, तो पुलिस की टीम ने वहां दबिश दी और उसे गिरफ्तार कर लिया। पुलिस अधीक्षक राकेश सिंह ने बताया कि महिला की गिरफ्तारी के बाद मामले की जांच को और भी गहरे स्तर पर बढ़ा दिया गया है और उम्मीद जताई है कि और भी बड़े खुलासे हो सकते हैं।
महिला के खिलाफ की गई जांच में यह सामने आया कि वह अकेले नहीं थी, बल्कि उसके पति ने भी उसकी ठगी में मदद की थी। यह भी पता चला कि महिला ने कई अन्य लोगों से भी पैसे लिए थे, जिनमें अधिकतर लोग रोजगार और शहतूत के पौधों के नाम पर ठगे गए थे।