Edited By Vijay, Updated: 16 Aug, 2025 01:11 PM

हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में पौंग बांध से छोड़े गए पानी ने मंड भोग्रवां गांव के लोगों के लिए तबाही ला दी है। ब्यास नदी का जलस्तर अचानक बढ़ने से गांव की कई एकड़ उपजाऊ जमीन पानी की भेंट चढ़ गई है।
नूरपुर (संजीव महाजन): हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में पौंग बांध से छोड़े गए पानी ने मंड भोग्रवां गांव के लोगों के लिए तबाही ला दी है। ब्यास नदी का जलस्तर अचानक बढ़ने से गांव की कई एकड़ उपजाऊ जमीन पानी की भेंट चढ़ गई है। वहीं लोगों के घर भी खतरे की जद में आ गए हैं। गांव में एक बहुमंजिला मकान अब ब्यास नदी में समाने की कगार पर है। हालांकि प्रशासन ने इसे पहले ही खाली करवा लिया था, लेकिन यह दृश्य ग्रामीणों के लिए दिल दहलाने वाला है। मंड भोग्रवां गांव के निवासियों के लिए यह समय बेहद कष्टदायक है। अपने आशियाने को अपनी आंखों के सामने पानी में बहते देखना किसी बुरे सपने से कम नहीं। गांव के लाेगाें ने नम आंखों से बताया कि हमने सालों की मेहनत से यह घर बनाए थे। बच्चों की शादी, परिवार का भविष्य, सब यहीं था। अब सब कुछ पानी में बह रहा है।
ग्रामीणों का आराेप है कि अवैध खनन इस तबाही का मुख्य कारण है। उनके अनुसार ब्यास नदी के किनारे खनन माफियाओं ने अवैध रूप से कैरेट (पत्थरों की संरचनाएं) डाल रखे हैं, जिसके कारण नदी का प्राकृतिक बहाव बिगड़ गया जाेकि अब खेतों और घरों की ओर आ रहा है। अगर समय रहते इस पर रोक लगाई जाती, तो शायद आज यह दिन न देखना पड़ता। ग्रामीणों का यह भी कहना है कि खनन माफियाओं को कथित तौर पर संबंधित विभागों का संरक्षण प्राप्त है, जिसका खमियाजा गांव के लाेगाें काे भुगतना पड़ा रहा है। खेत बर्बाद हो गए हैं और अब घर भी जा रहे हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि अब तक उन्हें प्रशासन से कोई तत्काल राहत नहीं मिली। कई परिवारों ने बताया कि प्रशासनिक अधिकारी तो मौके पर आए, लेकिन केवल स्थिति का जायजा लेकर चले गए। कोई ठोस मदद या राहत सामग्री अब तक नहीं पहुंची है। एक प्रभावित महिला ने बताया कि हमारे पास अब न खाने को कुछ है, न रहने की जगह। अधिकारी बस आते हैं, देखते हैं और चले जाते हैं। हमें नहीं पता कि अब हम कहां जाएंगे। हालांकि, प्रशासन का कहना है कि वे स्थिति पर नजर रखे हुए है। कांगड़ा के उपायुक्त हेमराज बैरवा ने हाल ही में प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर लाेगाें को हरसंभव मदद का आश्वासन दिया है, लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि यह आश्वासन केवल कागजी बातें हैं और जमीनी स्तर पर कोई बदलाव नहीं दिख रहा।
बता दें कि पिछले कुछ दिनों से पौंग बांध से लगातार पानी छोड़ा जा रहा है, जिसके कारण ब्यास नदी ने रौद्र रूप धारण कर लिया है। मंड भोग्रवां के अलावा रियाली, मंड घंडरां, मंड सनौर और मंड मियाणी जैसे आसपास के गांव भी प्रभावित हुए हैं। कई घर पानी में डूब गए हैं और कुछ गांव टापू बन गए हैं। खेतों में लगी फसलें पूरी तरह बर्बाद हो चुकी हैं, जिससे किसानों की कमर टूट गई है। मौसम विभाग ने आने वाले दिनों में भारी बारिश की चेतावनी दी है, जिससे ग्रामीणों में डर और बढ़ गया है। 2023 की बाढ़ की यादें अभी भी उनके जहन में ताजा हैं, जब पौंग बांध से पानी छोड़े जाने के कारण कई परिवारों को विस्थापन का दंश झेलना पड़ा था। ग्रामीणों का कहना है कि अगर अवैध खनन पर रोक नहीं लगी और नदी का चैनलाइजेशन नहीं किया गया, तो भविष्य में ऐसी घटनाएं बार-बार होंगी।