Kangra: जॉब ट्रेनी पॉलिसी के विरोध में धर्मशाला में युवाओं का जोरदार प्रदर्शन

Edited By Kuldeep, Updated: 04 Aug, 2025 05:04 PM

dharamshala job trainee policy youth demonstration

प्रदेश सरकार द्वारा हाल ही में लागू की गई जॉब ट्रेनी पॉलिसी के खिलाफ सोमवार को धर्मशाला में युवाओं ने प्रदर्शन किया।

धर्मशाला (प्रियंका): प्रदेश सरकार द्वारा हाल ही में लागू की गई जॉब ट्रेनी पॉलिसी के खिलाफ सोमवार को धर्मशाला में युवाओं ने प्रदर्शन किया। जिला मुख्यालय स्थित डीसी कार्यालय के बाहर विभिन्न क्षेत्रों से आए युवाओं ने सरकार के खिलाफ रोष जताते हुए इस नीति को अव्यवहारिक व शोषणकारी बताया। प्रदर्शनकारियों ने साफ किया कि यदि सरकार ने इस निर्णय को तत्काल प्रभाव से वापस नहीं लिया तो प्रदेशभर के युवा शिमला सचिवालय का घेराव करेंगे।

युवाओं की जुबानी विरोध के स्वर
हरीश कुमार ने कहा कि यह पॉलिसी युवाओं के भविष्य के साथ धोखा है। 2 साल की अस्थायी नौकरी के बाद फिर से परीक्षा लेना किसी भी लिहाज से तर्कसंगत नहीं है। हम मांग करते हैं कि इस नीति को लिखित आदेश के माध्यम से तत्काल प्रभाव से रद्द किया जाए।

दीक्षा डोगरा ने कहा कि हम हिमाचल के पढ़े-लिखे युवा हैं। डिग्री, डिप्लोमा और टैट जैसी प्रतियोगी परीक्षाएं पास करने के बाद भी हमें अस्थायी रूप से नियुक्त किया जाना और फिर दो साल बाद दोबारा परीक्षा देना अनुचित है। यह नीति योग्य उम्मीदवारों का अपमान है।

विकी ने कहा कि सरकार के पास यह अधिकार नहीं है कि एक बार नियुक्ति के बाद फिर से हमारी योग्यता को परखे। अगर सरकार को ही तय करना है कि कौन योग्य है, तो फिर कमीशन परीक्षाओं का क्या औचित्य बचता है। हमें यह नीति पूरी तरह अस्वीकार्य है।

कुलदीप ने कहा कि सरकार युवाओं को दो साल के लिए ट्रेनी मान रही है, सरकारी कर्मचारी नहीं। इसका मतलब युवा को किसी भी अधिकार से वंचित किया जा रहा है। इस दौरान प्रशासनिक अधिकारी युवाओं को शोषण कर सकते हैं क्योंकि हमारी स्थिति अस्थिर रहेगी। यह व्यवस्था पूरी तरह अन्यायपूर्ण है।

अरुण ने कहा कि युवाओं ने टैट पास किया, ट्रेनिंग ली और अब कमीशन के जरिए जॉब की तैयारी कर रहे हैं। लेकिन सरकार बार-बार नीतियां बदलकर युवाओं के साथ विश्वासघात कर रही है। हम चाहते हैं कि सरकार इस पॉलिसी को स्थायी रूप से रद्द करे।

पूजा ने कहा कि जब दो साल के बाद परीक्षा की शर्त है, तो सरकार भरोसे के साथ पहले ही स्थायी नियुक्ति क्यों नहीं देती। यह पॉलिसी केवल असुरक्षा और मानसिक तनाव को बढ़ावा देती है। हमें डर है कि इस प्रक्रिया में पारदर्शिता भी नहीं रहेगी।

 

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