हिम्मत की दाद: अस्पताल को जाने वाला रास्ता था बंद, महिला ने पथरीली सड़क पर बच्चे को दिया जन्म

Edited By Jyoti M, Updated: 07 Jul, 2025 01:20 PM

the woman gave birth to a child on a rocky road

अक्सर कहा जाता है, "जाको राखे साइयां, मार सके न कोई" - यानी जिसे भगवान बचाना चाहे, उसे कोई नहीं मार सकता। यह कहावत हिमाचल प्रदेश के ठियोग में सच साबित हुई, जहां रविवार की सुबह एक हैरान कर देने वाली घटना में एक महिला ने पथरीली सड़क पर अपने बच्चे को...

हिमाचल डेस्क। अक्सर कहा जाता है, "जाको राखे साइयां, मार सके न कोई" - यानी जिसे भगवान बचाना चाहे, उसे कोई नहीं मार सकता। यह कहावत हिमाचल प्रदेश के ठियोग में सच साबित हुई, जहां रविवार की सुबह एक हैरान कर देने वाली घटना में एक महिला ने पथरीली सड़क पर अपने बच्चे को जन्म दिया। सबसे आश्चर्यजनक बात यह है कि इस मुश्किल प्रसव के बावजूद मां और नवजात दोनों पूरी तरह स्वस्थ और सुरक्षित हैं।

यह अविश्वसनीय घटना नेपाल मूल की एक महिला के साथ घटी। वह प्रसव पीड़ा से गुजर रही थी और सिविल अस्पताल, ठियोग की ओर पैदल ही आ रही थी। नियति को कुछ और ही मंजूर था, और महिला को खुले आसमान के नीचे, अपने बच्चे को जन्म देने पर मजबूर होना पड़ा। इस दौरान उसके साथ आई एक अन्य महिला ने देवदूत बनकर प्रसव करवाने में उसकी मदद की। जिस हालात में यह प्रसव हुआ, उसे सुनकर हर कोई हैरान है और महिला की हिम्मत की दाद दे रहा है।

बिजली बोर्ड दफ्तर के पास सड़क बुरी तरह क्षतिग्रस्त होने के कारण अस्पताल की ओर जाने वाला सीधा रास्ता बंद था। यह जगह अस्पताल से महज सौ मीटर की दूरी पर थी। मजबूरन, स्थानीय व्यक्ति ने दोनों महिलाओं को वहीं उतार दिया और बाईपास से गाड़ी मोड़कर लाने की बात कही।

इसी बीच, एक मोटरसाइकिल सवार ने महिला की गंभीर हालत के बारे में अस्पताल में आपातकालीन ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर को सूचना दी। उस समय अस्पताल में स्थानीय व्यापारी और समाजसेवी, गौरव जोशी भी मौजूद थे। गौरव जोशी ने स्थिति की गंभीरता को तुरंत समझा और बिना देर किए अपनी गाड़ी में दो नर्सों को बिठाकर घटनास्थल की ओर निकल पड़े।

जब वे मौके पर पहुंचे, तो उन्होंने देखा कि महिला और उसका नवजात शिशु सड़क पर ही थे। दोनों नर्सों ने एक पल भी बर्बाद नहीं किया। वे अपने साथ लाए कंबलों में जच्चा और बच्चा को सावधानी से लपेटा और सुरक्षित रूप से अस्पताल पहुंचाया। अस्पताल पहुंचते ही तुरंत उनका इलाज शुरू किया गया। इलाज के बाद, अस्पताल के डॉक्टरों ने बताया कि मां और बच्चे दोनों की हालत स्थिर और खतरे से बाहर है।

गौरव जोशी ने बाद में बताया कि सड़क पर महिला और उसके नवजात बच्चे की हालत देखकर वे काफी विचलित हो गए थे। उन्होंने महिला की हिम्मत और नर्सों की त्वरित प्रतिक्रिया की सराहना करते हुए कहा कि इन्हीं की वजह से दोनों की जान बच पाई।

जच्चा-बच्चा की हालत स्थिर: अस्पताल प्रभारी

सिविल अस्पताल, ठियोग के प्रभारी पवन शर्मा ने इस मामले की पुष्टि की। उन्होंने बताया कि ड्यूटी पर तैनात नर्सों को सूचना मिलते ही वे तुरंत मौके पर पहुंचीं और मां-बच्चे को अस्पताल लाईं। उन्होंने जोर देकर कहा कि "जच्चा-बच्चा की हालत स्थिर है।" शर्मा ने यह भी जानकारी दी कि अस्पताल में एक एंबुलेंस हमेशा खड़ी रहती है और उसके लिए दो चालक शिफ्ट के अनुसार काम करते हैं, ताकि ऐसी आपातकालीन स्थितियों से निपटा जा सके।

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