Himachal: रेणुका जी में जल्द सुनाई देगी बाघों की दहाड़, CZA को अप्रूवल के लिए भेजा मामला

Edited By Vijay, Updated: 26 Nov, 2024 12:11 PM

the roar of tigers will soon be heard in renuka ji

हिमाचल प्रदेश के जिला सिरमौर के श्री रेणुका जी मिनी जू में जल्द बाघों की दहाड़ सुनाई देगी। इसके लिए बस कुछ और महीनों का इंतजार करना होगा। मार्च माह के अंत तक यहां महाराष्ट्र से बाघों का जोड़ा आने की उम्मीद है।

नाहन (आशु वर्मा): हिमाचल प्रदेश के जिला सिरमौर के श्री रेणुका जी मिनी जू में जल्द बाघों की दहाड़ सुनाई देगी। इसके लिए बस कुछ और महीनों का इंतजार करना होगा। मार्च माह के अंत तक यहां महाराष्ट्र से बाघों का जोड़ा आने की उम्मीद है। हालांकि महाराष्ट्र से बंगाल टाइगर के जोड़े को लाने की मंजूरी मिल गई है, लेकिन इसकी अप्रूवल के लिए मामला केंद्रीय जू प्राधिकरण (सीजैडए) को भेजा गया है। सीजैडए के प्रोटोकॉल, कंडीशन और रूट के अनुसार ही यहां बाघ आएंगे। फिलहाल मिनी जू की लाॅयन सफारी में इन नए मेहमानों के लिए आशियाना तैयार किया जा रहा है, जिसका निर्माण भी जल्द ही पूरा होगा। दिसम्बर या जनवरी माह तक इसका काम पूरा कर लिया जाएगा। बताया जा रहा है कि इंक्लोजर के निर्माण के बाद सीजैडए की टीम भी रेणुका जी मिनी जू का निरीक्षण कर सकती है। बता दें कि कई वर्षों से यहां बाघों का जोड़ा लाने के लिए वन्य प्राणी विभाग प्रयासरत है लेकिन अब इस योजना के सिरे चढ़ने की उम्मीद इसलिए परवान चढ़ती हुई दिखाई दे रही है।

कभी गूंजती थी 29 शेरों की दहाड़ 
रेणुका जी मिनी जू की लाॅयन सफारी में कभी 29 शेरों की दहाड़ गूंजती थी। यहां वर्ष 1975 में राजस्थान के जूनागढ़ से एक जोड़ा शेरों का लाया गया था। इसके बाद 90 के दशक में यहां इनकी संख्या 29 शेर-शेरनियां तक जा पहुंची थी। बताया जाता है कि एक ही गोत्र से संवर्धन होने के कारण शेरों में बीमारी फैल गई। धीरे-धीरे यहां शेर मौत के मुंह में चले गए। हालत यह रही कि रेणुका लायन सफारी से शेर कांगड़ा जिो के गोपालपुर में स्थित जू में भी  भेजे गए लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ। बताया जा रहा है कि वर्ष 2015 से पूर्व में यहां मौजूद शेरों का वंश खत्म हो गया। इसके बाद न तो यहां दोबारा से शेरों को लाया जा सका और न ही यहां अब तक बाघ पहुंच पाए। 

1.67 करोड़ से तैयार हो रहा इंक्लोजर, आधुनिक सुविधाओं से होगा लैस
वन्य प्राणी विभाग के मुताबिक बाघों के लिए मिनी जू में 4500 वर्ग मीटर के दायरे में आधुनिक व वातानुकूलित इंक्लोजर (रहने का स्थान) का निर्माण किया जा रहा है। इसके साथ ही इनके घूमने के लिए यहां बाड़ा भी तैयार किया जा रहा है। सीजैडए के नियमों के मुताबिक ही यह कार्य किया जा रहा है। इस कार्य पर 1.67 करोड़ रुपए की राशि व्यय की जा रही है। 

मिनी जू में फिलहाल ये वन्य प्राणी मौजूद
जानकारी के अनुसार रेणुका जी मिनी जू में 4 तेंदुए, 1 नर हिमालयन काला भालू के अलावा काले हिरण सहित कक्कड़, चीतल, हॉग डियर, बारहसिंगा, इंडियन गीस, लाल जंगली मुर्गे और ईमू मौजूद हैं। लिहाजा अब बाघों के रूप में मिनी जून को नए मेहमानों का इंतजार है। इनके पहुंचने से नि:संदेह मिनी जू की एक बार फिर वह रौनक लौट पाएगी, जो कभी शेरों की दहाड़ से यहां हुआ करती थी।  

क्या कहते हैं वन्य प्राणी विभाग शिमला के डीएफओ 
वन्य प्राणी विभाग शिमला के डीएफओ डाॅ. शाहनवाज अहमद ने बताया कि बाघ का जोड़ा लाने की महाराष्ट्र से मंजूरी मिल गई है। इसकी अप्रूवल को लेकर मामला सीजैडए को भेजा गया है। अप्रूवल मिलते ही महाराष्ट्र से बाघ यहां ट्रांसपोर्ट किए जाएंगे। 1.67 करोड़ से इंक्लोजर का निर्माण किया जा रहा है। जल्द ही यह कार्य पूरा कर लिया जाएगा।
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