Himachal में विलुप्त हो रही इस दुर्लभ प्रजाति का सफल प्रजनन

Edited By Kuldeep, Updated: 31 May, 2025 06:15 PM

shimla rare species breeding

हिमाचल प्रदेश वन विभाग के कुफरी स्थित हिमालयन नेचर पार्क ने वन्य जीव संरक्षण के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है।

निजी भेड़ के संरक्षण की दिशा में वन विभाग की यह बड़ी उपलब्धि, ईको टूरिज्म को भी मिलेगा बढ़ावा
शिमला (भूपिन्द्र): हिमाचल प्रदेश वन विभाग के कुफरी स्थित हिमालयन नेचर पार्क ने वन्य जीव संरक्षण के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। इसके तहत यहां पर दुर्लभ नीली भेड़ ( स्यूडोइस नैयौर), जिसे स्थानीय भाषा में भारल कहा जाता है का सफल प्रजनन किया गया है। इस भेड़ का एक बच्चा हुआ है। यह सफलता पश्चिमी हिमालय की जैव विविधता को संरक्षित करने की दिशा में एक मजबूत कदम माना जा रहा है। 2,600 मीटर से अधिक की ऊंचाई पर स्थित हिमालयन नेचर पार्क कुफरी 13.73 हैक्टेयर क्षेत्र में फैला है और देवदार, फर, स्प्रूस और बांज के घने जंगलों से आच्छादित है। यह वातावरण भारल जैसे ऊंचाई पर पाए जाने वाले वन्यजीवों के लिए एक आदर्श प्राकृतिक आवास प्रदान करता है।

भारल की मौजूदगी से हिमालयन नेचर पार्क की आकर्षण शक्ति और बढ़ गई है। पर्यटक अब इन दुर्लभ प्रजातियों को उनके प्राकृतिक जैसे परिवेश में देखने का अनुभव ले सकेंगे। यह पहल न केवल प्रकृति प्रेमियों के लिए रोमांचकारी होगी, बल्कि क्षेत्रीय पर्यटन को भी इससे बढ़ावा मिलेगा। भारल या हिमालयी नीली भेड़ एक प्रकार की बकरी है जो उच्च हिमालयी क्षेत्रों में पाई जाती है। इसे नीली भेड़ भी कहा जाता है, हालांकि यह नीली नहीं है। यह स्यूडोइस वंश का एकमात्र सदस्य है। यह पाकिस्तान, भारत, नेपाल, भूटान, म्यांमार और चीन में गांसु, निंग्जिया, सिचुआन, तिब्बत और इनर मंगोलिया के प्रांतों में पाई जाती है।

2 वर्ष पहले दार्जिलिंग से लाए गए थे 3 भारल
दो वर्ष पहले पद्मजा नायडू हिमालयन प्राणी उद्यान दार्जिलिंग के सहयोग से वर्ष 2023 में एक वन्य जीव आदान-प्रदान कार्यक्रम के तहत पार्क को 3 भारल प्राप्त हुए थे। इन्हें शुरूआत में क्वारंटीन में रखकर स्थानीय पर्यावरण के अनुसार अनुकूलित किया गया, इसके बाद इन्हें निर्धारित बाड़ों में छोड़ा गया।

भारल स्नो लैपर्ड का मुख्य शिकार
भारल हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र में एक महत्वपूर्ण कड़ी है, क्योंकि यह संकटग्रस्त हिम तेंदुए (स्नो लैपर्ड) का मुख्य शिकार है। इस प्रजाति की स्वस्थ आबादी हिम तेंदुओं के अस्तित्व के लिए अत्यंत आवश्यक है।

पार्क में अन्य प्रजातियों के संरक्षण और शैक्षिक जागरूकता काय्रक्रमों को लेकर तैयार की जा रही योजना: डा. शाहनवाज
डिप्टी कंजरवेटर ऑफ फॉरेस्ट वाईल्ड लाईफ डा. शाहनवाज भट्ट ने कहा कि भारल प्रजनन कार्यक्रम की सफलता के बाद पार्क में अन्य प्रजातियों के संरक्षण और शैक्षिक जागरूकता अभियानों को भी विस्तारित करने की योजना बनाई जा री है। उन्होंने कहिा कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय वन्यजीव संगठनों के साथ मिलकर यह पार्क पश्चिमी हिमालय की अनूठी जैव विविधता को संरक्षित करने में एक अग्रणी भूमिका निभाना चाहता है।

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