आऊटसोर्स कर्मचारियों को निकालने में विश्वास नहीं रखती सरकार : सुक्खू

Edited By Kuldeep, Updated: 27 Mar, 2023 07:12 PM

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मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा है कि सरकार आऊटसोर्स कर्मचारियों को निकालने में विश्वास नहीं रखती है। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार ने बजट में इस श्रेणी के कर्मचारियों के मानदेय में 750 रुपए की बढ़ौतरी करने के अलावा चिकित्सा व यात्रा भत्ते...

शिमला (कुलदीप): मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा है कि सरकार आऊटसोर्स कर्मचारियों को निकालने में विश्वास नहीं रखती है। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार ने बजट में इस श्रेणी के कर्मचारियों के मानदेय में 750 रुपए की बढ़ौतरी करने के अलावा चिकित्सा व यात्रा भत्ते के अलावा ई.एस.आई. की सुविधा भी प्रदान की है। उन्होंने यह जानकारी विधायक इंद्र दत्त लखनपाल और रणधीर शर्मा की तरफ से पूछे गए प्रश्न के उत्तर में दी। उन्होंने कहा कि सरकार कंपनी से आऊटसोर्स कर्मचारियों की जानकारी लेगी। उन्होंने कहा कि सरकार यह देखेगी कि किस तरह से 31 मार्च को कांट्रैक्ट टैंडर समाप्त कर्मचारियों की सेवाएं जारी रख सकती है। उन्होंने कहा कि यह बहुत गंभीर विषय है, क्योंकि एक दशक से कर्मचारी अलग-अलग माध्यमों से आऊटसोर्स पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। पूर्व भाजपा सरकार ने भी अपने कार्यकाल के अंतिम वर्ष में इस विषय पर काम करने का प्रयास किया, लेकिन वह आगे नहीं बढ़ पाई। इसके बावजूद वर्तमान सरकार जरूर इस विषय पर किसी नतीजे पर पहुंचेगी। उन्होंने कहा कि आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग की तरफ से वर्ष 2021-22 के आंकड़ों के अनुसार हिमाचल प्रदेश में सरकारी विभागों व उपक्रमों में करीब 19,916 कर्मचारी आऊटसोर्स पर तैनात हैं तथा इनकी कार्य परिस्थितियों व सेवा शर्तों को लेकर सरकार की तरफ से 1-7-2017 को दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार जल शक्ति विभाग में विभिन्न श्रेणी के 5,000 पद भरने जा रही है। उधर, विधायक होशयार सिंह की तरफ से पूछे गए एक अन्य प्रश्न के लिखित उत्तर में शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने जानकारी दी कि केंद्रीय विश्वविद्यालय में बीते 3 साल के दौरान 76 कर्मचारी नियमित आधार पर एवं 110 कर्मचारियों की आऊटसोर्स के आधार पर सेवाएं ली गई हैं।

अब तक 1,600 कर्मचारी हटाए, 31 के बाद फिर गिर सकती है गाज
जानकारी के अनुसार प्रदेश में अब तक करीब 1,600 आऊटसोर्स कर्मचारी विभिन्न कारणों के चलते नौकरी से हटाए गए हैं। इसमें सबसे पहला कारण सेवा प्रदाता कंपनी के साथ सरकार का करार समाप्त होना है। इसके अलावा कई सेवा प्रदाता कंपनियों के साथ सरकार का 31 मार्च को करार समाप्त हो रहा है। ऐसे में यदि इस करार को आगे नहीं बढ़ाया गया तो सैंकड़ों कर्मचारियों को फिर नौकरी से हटाया जा सकता है। ऐसे कर्मचारी सरकार से अपनी सेवाएं जारी रखने की मांग कर रहे हैं।

करुणामूलक मामले पर विस्तृत चर्चा के बाद होगा निर्णय
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा है कि सरकार करुणामूलक आश्रितों को नौकरी देने के मामले में विस्तृत चर्चा करने के बाद ही कोई निर्णय लेगी। उन्होंने यह जानकारी विधायक के.एल. ठाकुर की तरफ से पूछे गए प्रश्न के उत्तर में दी। उन्होंने कहा कि बजट में भी सरकार ने इसे लेकर स्पष्ट नीति बनाने की बात कही है। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में इस पर विस्तृत चर्चा होने के बाद स्थिति को स्पष्ट कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि एक ही परिवार में एक व्यक्ति पैंशन ले रहा है और दूसरे को रोजगार देना है, ऐसे में सरकार मामले का विस्तृत अध्ययन कर रही है।

 

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