शिमला टॉप 300 स्वच्छ शहरों की सूची से भी हुआ बाहर, जानिए अब तक की रैंकिंग

Edited By Jyoti M, Updated: 11 Sep, 2025 01:03 PM

shimla is also out of the list of top 300 clean cities

एक समय था जब हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला देश के सबसे स्वच्छ शहरों में से एक था, लेकिन अब हालात बदल गए हैं। लगातार पिछड़ती रैंकिंग ने शहर के स्वच्छता अभियान पर सवाल खड़े कर दिए हैं। हाल ही में जारी हुई स्वच्छ सर्वेक्षण रिपोर्ट में शिमला को 347वां...

हिमाचल डेस्क। एक समय था जब हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला देश के सबसे स्वच्छ शहरों में से एक था, लेकिन अब हालात बदल गए हैं। लगातार पिछड़ती रैंकिंग ने शहर के स्वच्छता अभियान पर सवाल खड़े कर दिए हैं। हाल ही में जारी हुई स्वच्छ सर्वेक्षण रिपोर्ट में शिमला को 347वां स्थान मिला है, जो इसकी अब तक की सबसे खराब रैंकिंग है। यह वही शहर है जो साल 2016 में देश के शीर्ष 30 स्वच्छ शहरों की सूची में 27वें नंबर पर था।

रैंकिंग में गिरावट का सफर

शिमला की यह गिरावट एक दिन में नहीं हुई है, बल्कि पिछले कुछ सालों से यह सिलसिला जारी है। साल 2016 में शिमला शहर को 27वां रैंक मिला था। हालांकि, उस समय सर्वे में कम शहर शामिल किए थे। साल 2017 में 47वां, 2018 में 144वां, 2019 में 127वां और 2020 में 65वां स्थान मिला था। 2023 में शिमला को 56वां रैंक मिला था लेकिन 2024 में यह एकदम से नीचे गिरकर 188वें रैंक पर आ गया। और अब यह 347वें स्थान पर है, जो चिंता का विषय है।

अंकों में भी गिरावट

इस साल शिमला को कुल 4798 अंक मिले। इस गिरावट का एक बड़ा कारण यह है कि रैंकिंग के लिए इस्तेमाल होने वाली हाई-टेक मशीनरी का सही उपयोग नहीं हो रहा है। शहर में करोड़ों रुपये की मशीनरी होने के बावजूद, सफाई व्यवस्था में सुधार नहीं दिख रहा है।

जनप्रतिनिधियों की भूमिका

रैंकिंग में गिरावट का एक और बड़ा कारण जनप्रतिनिधियों की उदासीनता को माना जा रहा है। सफाई व्यवस्था से दूरी बना ली है, जिससे शहर में नियमित सफाई अभियान नहीं चलाए जा रहे हैं। जनता की भागीदारी भी कम हो गई है। हालांकि, शहर के नागरिकों ने सर्वेक्षण में शहर की सफाई व्यवस्था को अच्छा बताया, जिससे शिमला को कुछ अंक मिले।

शहर की सफाई का भविष्य

इस खराब प्रदर्शन ने प्रशासन और जनता दोनों के लिए एक चुनौती खड़ी कर दी है। शिमला को अपनी पुरानी पहचान वापस पाने के लिए नई रणनीति बनानी होगी। इसमें जनप्रतिनिधियों की सक्रिय भागीदारी, आधुनिक मशीनों का सही इस्तेमाल और जनता में जागरूकता बढ़ाना शामिल है। अन्यथा, यह खूबसूरत शहर अपनी पहचान खो देगा।
 

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