Edited By Kuldeep, Updated: 17 Jun, 2025 06:54 PM

भाजपा विधायक जीतराम कटवाल के ट्री प्लांटेशन का मॉडल केंद्र सरकार को पसंद आया है। उनकी तरफ से इस संदर्भ में केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर इसको समझाया गया था।
शिमला (कुलदीप): भाजपा विधायक जीतराम कटवाल के ट्री प्लांटेशन का मॉडल केंद्र सरकार को पसंद आया है। उनकी तरफ से इस संदर्भ में केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर इसको समझाया गया था। उन्होंने पत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से जलवायु परिवर्तन पर पेरिस और दुबई में हुए सम्मेलन में ग्रीन क्रैडिट कार्यक्रम का उल्लेख भी किया था। केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने जीतराम कटवाल के पत्र का अध्ययन करने के बाद इस पर वन मंत्रालय को अमल में लाने की सलाह दी। इसके बाद केंद्र सरकार ने आगे बढ़ते हुए हिमालयी क्षेत्र के 10 राज्यों हिमाचल प्रदेश, नागालैंड, त्रिपुरा, मणिपुर, मेघालय, आसाम, सिक्किम, पश्चिम बंगाल, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर को इस पर अनुसरण करने की सलाह दी गई। इसे इतिफाक कहें या केंद्र से मिले निर्देश कि जीतराम कटवाल के ट्री प्लांटेशन मॉडल को प्रदेश में सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकार ने राजीव गांधी वन संवर्धन योजना नाम से बजट दस्तावेज में स्थान देकर इसके लिए 100 करोड़ रुपए बजट का प्रावधान किया है।
क्या है ट्री प्लांटेशन का मॉडल
भाजपा विधायक जीतराम कटवाल की तरफ से सुझाए गए ट्री प्लांटेशन मॉडल में सामुदायिक भागीदारी को सुनिश्चित करने की सलाह दी गई है। इसमें युवक मंडलों, महिला मंडलों, स्वयं सहायता समूहों, सहकारी सभाओं और विद्यार्थियों को जोड़ने की सलाह दी गई है। ठीक ऐसा ही घोषणा मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अपने बजट भाषण में की है, जिसमें बंजर भूमि पर फलदार एवं उपयोगी पौधों को लगाने का निर्णय लिया गया है। इसमें 1 से 5 हैक्टेयर तक पौधारोपण क्षेत्र प्रबंधन किया जाएगा। इसके बाद 5 वर्ष तक पौधों की जीवित प्रतिशतता 50 फीसदी या इससे अधिक होने पर दूसरे, तीसरे, चौथे व पांचवें वर्ष तक सालाना 1 लाख रुपए तथा 50 फीसदी से कम होने पर प्रोत्साहन तथा संरक्षण राशि प्रदान की जाएगी। इस प्रकार कुल 6.40 लाख रुपए प्रत्येक समूह को प्रदान किए जाएंगे।
सामुदायिक भागीदारी से पौधों की जीवित प्रतिशतता बढ़ेगी
भाजपा विधायक जीतराम कटवाल का कहना है कि किसी भी योजना को सिरे तक चढ़ाने के लिए उसमें सामुदायिक भागीदारी सुनिश्चित होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि वन विभाग की तरफ से किए जाने वाले पौधारोपण की प्रतिशतता बहुत कम है, लेकिन जब इस कार्य का दायित्व युवक मंडल, महिला मंडल, स्ययं सहायता समूह, सहकारी सभाएं और विद्यार्थी लेंगे तो निश्चित तौर पर पौधों के जीवित रहने की प्रतिशतता बढ़ेगी। यानी वन विभाग हर वर्ष जिस काम पर लाखों और करोड़ों रुपए खर्च करने पर संतोषजनक परिणाम नहीं दे सकता, उसके अच्छे परिणाम सामुदायिक भागीदारी सुनिश्चित होने से सामने आएंगे।
डीपीआर भी बनाकर भेजी
भाजपा विधायक जीतराम कटवाल ने पर्यावरण संरक्षण कार्यक्रम को लेकर अपने ट्री प्लांटेशन मॉडल को सफल बनाने के लिए डी.पी.आर. भी बनाकर भेजी है। इसमें पर्यावरण के समक्ष चुनौतियों से निपटने के उपाय भी सुझाए गए हैं। इसके लिए कार्य योजना को बनाने, सामुदायिक भागीदारी सुनिश्चित करने, प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाने, पौधों को घरों, स्कूलों व समुदाय के बीच वितरित करने, पौधारोपण के बाद निरंतर देखभाल करने, क्षेत्र के अनुसार प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने एवं नकद पुरस्कार देने एवं लंबी अवधि के लिए इन्सैंटिव देने पर बल दिया गया है। उनकी तरफ से भूस्खलन और बादल फटने जैसी घटनाओं को रोकने के लिए पौधारोपण की सलाह दी है। इसके लिए नीम, आमला, देवदार, पीपल और वट वृक्ष जैसे पौधे लगाने की सलाह दी गई है।
पौधों के धार्मिक एवं वैज्ञानिक महत्व को समझाया
भाजपा विधायक ने पौधरोपण के लिए पौधों के धार्मिक एवं वैज्ञानिक महत्व को भी समझाया है। जैसे 10 कुंओं के बराबर एक बावड़ी, 10 बावड़ी के बराबर 1 तालाब और 10 तालाब के बराबर 1 पुत्र इत्यादि उल्लेख धार्मिक ग्रंथों में आना शामिल है। शास्त्रों में पीपल, अशोक, पाकड़, वट, आम और कदम्ब के पौधे लगाने को लोगों की अलग-अलग कामनापूर्ति से भी जोड़ा गया है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से पीपल 100 फीसदी कार्बन डाइऑक्साइड सोखता है तो नीम, वट वृक्ष, इमली और कविट 80 फीसदी तक कार्बन आइऑक्साइड को सोखते हैं।