Edited By Vijay, Updated: 22 Aug, 2025 01:59 PM

बिलासपुर की गोबिंदसागर झील की तर्ज पर पौंग बांध में क्रूज शेप्ड माेटर बाेट चलाने की योजना पर फिलहाल ब्रेक लग गया है। इसकी जगह अब सैलानी यहां कश्मीर की तर्ज पर शिकारा और पैडल बोट की सैर का आनंद ले सकेंगे।
कांगड़ा: बिलासपुर की गोबिंदसागर झील की तर्ज पर पौंग बांध में क्रूज शेप्ड माेटर बाेट चलाने की योजना पर फिलहाल ब्रेक लग गया है। इसकी जगह अब सैलानी यहां कश्मीर की तर्ज पर शिकारा और पैडल बोट की सैर का आनंद ले सकेंगे। अगर सब कुछ योजना अनुसार रहा तो 15 सितंबर के बाद से पर्यटक पानी की सतह पर तैरते इन शिकारा बोट्स में बैठकर बांध की खूबसूरत वादियों का लुत्फ उठा सकेंगे। शुरूआत में 4 शिकारा बोट्स चलाई जाएंगी, जबकि पैडल बोट से रोमांच पसंद लोग प्रकृति के करीब का अनुभव ले सकेंगे।
बता दें कि कांगड़ा जिले की सीमा से सटे पौंग बांध का एक बड़ा हिस्सा वन्यजीव अभयारण्य में आता है। ऐसे में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत इस क्षेत्र में किसी भी तरह की व्यावसायिक गतिविधि विशेष अनुमति के बिना नहीं की जा सकती। यही बड़ी वजह है कि यहां क्रूज शेप्ड माेटर बाेट जैसी गतिविधियों को अनुमति नहीं मिल पा रही। क्रूज जैसी सुविधाओं के लिए बड़ा जलक्षेत्र भी चाहिए होता है, जो तकनीकी रूप से पौंग बांध में कम पड़ता है। भाखड़ा बांध प्रबंधन बोर्ड द्वारा बनाए गए इस बांध के ज़्यादातर हिस्से पर प्रदेश सरकार का सीधा नियंत्रण भी सीमित है, जिससे यहां किसी भी परियोजना को शुरू करने के लिए कई चरणों की अनुमति लेनी होती है।
पर्यटन विकास विभाग ने पहले ही शिकारा सेवा को लेकर निजी कंपनियों से अनुबंध की प्रक्रिया पूरी कर ली है। विभाग के अनुसार 15 सितंबर के बाद ये सेवाएं औपचारिक रूप से शुरू कर दी जाएंगी, जिससे स्थानीय पर्यटन को नया आयाम मिलेगा। पर्यटन विकास विभाग के उपनिदेशक विनय धीमान ने जानकारी दी कि शिकारा और पैडल बोटिंग के संचालन को लेकर लगभग सभी प्रक्रियाएं पूरी हो चुकी हैं। उन्होंने बताया कि बांध का बड़ा हिस्सा वन्यजीव अभयारण्य में होने के कारण यहां क्रूज शेप्ड माेटर बाेट शुरू करने में तकनीकी और कानूनी अड़चनें हैं।
प्रदेश सरकार द्वारा इस मामले को उच्च स्तर पर उठाया गया है। यदि भविष्य में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम या अन्य नियमों के अंतर्गत कोई ढील मिलती है या विशेष अनुमति प्राप्त होती है तो यहां पर क्रूज सेवा शुरू किए जाने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। फिलहाल, सरकार अटल बिहारी वाजपेयी इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग एंड अलाइड स्पोर्ट्स के तहत यहां साहसिक खेल गतिविधियों को बढ़ावा दे रही है, जिसमें वाटर स्पोर्ट्स भी शामिल हैं।
बांध की सुरम्य घाटियों और पक्षियों की चहचाहट के बीच शिकारा और पैडल बोट की सैर निश्चिततौर पर सैलानियों को एक नई और शांतिपूर्ण अनुभूति देगी। यह क्षेत्र पक्षी प्रेमियों के लिए पहले से ही खास है और अब शिकारा सेवा के साथ यह अनुभव और भी यादगार बनेगा। शिकारा बोट की सवारी न सिर्फ स्थानीय पर्यटन को बढ़ावा देगी, बल्कि आसपास के लोगों को रोजगार के अवसर भी मुहैया कराएगी।