Edited By kirti, Updated: 27 Jul, 2019 09:56 AM
250 करोड़ से अधिक के कथित छात्रवृत्ति घोटाले की परतें उधडऩा शुरू हो गई हैं। छात्रवृत्ति की राशि हड़पने के लिए कई निजी शिक्षण संस्थानों ने कई तरह के हथकंडे अपनाए हैं और आपसी सांठ-गांठ से बड़े घोटाले को अंजाम दिया। सूत्रों के अनुसार सी.बी.आई. की अब तक...
शिमला : 250 करोड़ से अधिक के कथित छात्रवृत्ति घोटाले की परतें उधडऩा शुरू हो गई हैं। छात्रवृत्ति की राशि हड़पने के लिए कई निजी शिक्षण संस्थानों ने कई तरह के हथकंडे अपनाए हैं और आपसी सांठ-गांठ से बड़े घोटाले को अंजाम दिया। सूत्रों के अनुसार सी.बी.आई. की अब तक की जांच में करीब 32 हजार छात्रवृत्तियां फर्जी पाई गई हैं। आरोप है कि कई निजी शिक्षण संस्थानों ने फर्जी एडमिशन व अन्य हथकंडे अपनाकर छात्रवृत्तियों की राशि हड़प डाली। कुछ राष्ट्रीयकृत बैंकों में भी छात्रों के फर्जी तरीके से खाते खोले गए। इतना ही नहीं, जांच दायरे में आए कुछ संस्थानों ने एडमिशन के दौरान ही छात्रों से हस्ताक्षर किए हुए चैक और अन्य दस्तावेज लिए तथा बाद में उनका दुरुपयोग कर छात्रवृत्ति की राशि हड़प डाली।
बड़ी संख्या में छात्रों के खाते बिना आधार कार्ड के ही बैंकों में खोल दिए गए। सूत्रों के अनुसार सी.बी.आई. की जांच में यह भी खुलासा हुआ है कि कुछ संस्थानों ने उन छात्रों के दस्तावेजों को भी अपने पास रख लिया जिनको काऊंसङ्क्षलग के बाद एडमिशन नहीं मिली। इसके साथ ही कुछ छात्रों ने बीच में ही एक संस्थान छोड़ दूसरे में एडमिशन ली। इसके बाद जब उन्होंने छात्रवृत्ति के लिए आवेदन किया तो पाया गया कि उनका नाम छात्रवृत्ति के लिए पहले ही किसी अन्य संस्थान में पंजीकृत था। ऐसे में अब जांच एजैंसी जल्द ही आरोपियों पर शिकंजा कसने की तैयारियों में है।
गौरतलब है कि शिक्षा विभाग की जांच में भारी अनियमितताएं पाए जाने पर प्रदेश की जयराम सरकार ने मामले की जांच सी.बी.आई. को सौंपी थी। स्कॉलरशिप घोटाला देश के कई राज्यों में फैला हुआ है। कई राष्ट्रीयकृत बैंकों से जुड़े अधिकारी व कर्मचारी भी जांच के दायरे में हैं। 80 फीसदी छात्रवृत्ति का बजट सिर्फ निजी संस्थानों में बांटा गया जबकि सरकारी संस्थानों को छात्रवृत्ति के बजट का मात्र 20 फीसदी हिस्सा मिला। छात्रवृत्ति आबंटन में सभी नियमों को ताक पर रखकर भ्रष्टाचार का खेल खेला गया