चिट्टा माफिया पर नकेल: अब नशे के नेटवर्क को तोड़ने के लिए पंचायतों में लगेगी पुलिस कांस्टेबलों की ड्यूटी

Edited By Jyoti M, Updated: 31 Jul, 2025 03:17 PM

police constables will be deployed in panchayats to break the chitta network

हिमाचल प्रदेश में, मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने एक महत्वपूर्ण घोषणा की है, जिसका उद्देश्य राज्य में मादक पदार्थों के दुरुपयोग, विशेष रूप से 'चिट्टा' (हेरोइन) की समस्या से निपटना है। शिमला में पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में, सीएम सुक्खू ने...

हिमाचल डेस्क। हिमाचल प्रदेश में, मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने एक महत्वपूर्ण घोषणा की है, जिसका उद्देश्य राज्य में मादक पदार्थों के दुरुपयोग, विशेष रूप से 'चिट्टा' (हेरोइन) की समस्या से निपटना है। शिमला में पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में, सीएम सुक्खू ने कहा कि पुलिस भर्ती प्रक्रिया में अब से पहली स्टेज पर ही डोप टेस्ट अनिवार्य होगा। इस टेस्ट में मुख्य रूप से चिट्टा का पता लगाया जाएगा। इस संबंध में एक विस्तृत रिपोर्ट मांगी गई है, ताकि इस प्रक्रिया को जल्द से जल्द लागू किया जा सके।

राज्य में चिट्टा के बढ़ते नेटवर्क को तोड़ने के लिए, मुख्यमंत्री ने एक नई रणनीति की घोषणा की है। इसके तहत, पांच से छह पंचायतों में एक पुलिस कांस्टेबल, एक आशा वर्कर और एक पंचायत सचिव की एक विशेष टीम बनाई जाएगी। यह टीम इन क्षेत्रों में नशे के नेटवर्क की निगरानी करेगी और उसे समाप्त करने के लिए काम करेगी। सीएम ने कहा कि इस पहल के सफल होने के बाद, अगले चरण में भांग के नशे पर भी इसी तरह की कार्रवाई की जाएगी।

सीएम ने इस बात पर जोर दिया कि सरकार ने पहली बार पीआईटी-एनडीपीएस (PIT-NDPS) एक्ट लागू किया है। यह कानून उन लोगों को हिरासत में लेने की अनुमति देता है जिन पर चिट्टा के कारोबार में संलिप्त होने का संदेह है और जिनका पिछला रिकॉर्ड भी ऐसा रहा है। इसके अलावा, मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि चिट्टे के कारोबार से अर्जित की गई संपत्ति को जब्त करने के लिए भी कानून के दायरे में आगामी दिनों में फैसला लिया जाएगा।

सुक्खू ने यह भी चेतावनी दी कि नशे के सेवन या तस्करी में शामिल सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने समाज से भी इस मुद्दे पर जागरूक होने और सरकार के प्रयासों में सहयोग करने की अपील की, ताकि सब मिलकर इस समस्या पर प्रभावी ढंग से लगाम लगा सकें। यह कदम हिमाचल को नशा-मुक्त बनाने की दिशा में एक बड़ा और निर्णायक कदम माना जा रहा है। सरकार का लक्ष्य है कि युवाओं को नशे से दूर रखकर एक स्वस्थ और सुरक्षित भविष्य का निर्माण किया जाए। यह एक सामूहिक प्रयास है जिसमें सरकार, प्रशासन और आम जनता, सभी की भागीदारी आवश्यक है।

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