मंडी बस हादसा: घायल होने पर भी नहीं टूटा हौसला, शीशा तोड़ बचाई कई जानें..फिर पेपर देने गया 'बहादुर नौजवान'

Edited By Jyoti M, Updated: 18 Jun, 2025 01:25 PM

mandi bus accident the injured were saved by breaking the glass

हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में मंगलवार सुबह एक दर्दनाक बस हादसे के बाद 21 वर्षीय मृदुल शर्मा ने जो हिम्मत और हौसला दिखाया, उसकी हर कोई तारीफ कर रहा है। अपनी चोट की परवाह किए बिना मृदुल ने न केवल दूसरे घायलों की मदद की, बल्कि उसके बाद अपनी परीक्षा...

हिमाचल डेस्क। हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में मंगलवार सुबह एक दर्दनाक बस हादसे के बाद 21 वर्षीय मृदुल शर्मा ने जो हिम्मत और हौसला दिखाया, उसकी हर कोई तारीफ कर रहा है। अपनी चोट की परवाह किए बिना मृदुल ने न केवल दूसरे घायलों की मदद की, बल्कि उसके बाद अपनी परीक्षा देने भी गया।

बस हादसा और मृदुल का साहस

यह घटना मंगलवार सुबह की है। ढलवान-कलखर संपर्क मार्ग पर कुठेड़ा से मंडी जा रही एक निजी बस पटड़ीघाट के पास अनियंत्रित होकर खाई में गिर गई। इस बस में 21 वर्षीय मृदुल शर्मा समेत 18 अन्य यात्री सवार थे। दुर्भाग्य से, इस हादसे में एक व्यक्ति की बस के नीचे दबने से मौत हो गई।

मृदुल पन्यारटू गांव से बस में चढ़ा था, जो हादसे वाली जगह से सिर्फ 300 मीटर पहले है। वह बीसीए आखिरी साल का न्यूमेरिकल मैथ का पेपर देने के लिए कॉलेज सुंदरनगर जा रहा था। हादसे में मृदुल की बाईं टांग पर चोट लगी थी। लेकिन इस बहादुर युवक ने अपनी चोट की परवाह नहीं की। जैसे ही बस खाई में गिरी, मृदुल ने सबसे पहले घायलों की मदद करने की सोची।

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घायलों का मसीहा बना मृदुल

मृदुल ने तुरंत बस में फंसे घायलों को बाहर निकालना शुरू किया। उसने बस की टूटी हुई खिड़की के कांच तोड़े और घायलों को निकालने के लिए जगह बनाई। फिर एक-एक करके कई घायलों को उस जगह से बाहर निकाला। उसने पुलिस और 108 एम्बुलेंस को भी तुरंत सूचना दी। जब उसे अपना फोन नहीं मिला, तो उसने दूसरे घायल व्यक्ति के फोन से अपने घर पर भी फोन करके हादसे की जानकारी दी और अपने परिवार के साथ गांव वालों को भी मदद के लिए मौके पर बुलाया। मृदुल की इस पहल से कई लोगों की जान बच पाई।

परीक्षा देने का अद्भुत जज़्बा

घायलों की मदद करने के बाद, मृदुल सीधा अपने घर गया। उसने कपड़े बदले और फिर टैक्सी करके कॉलेज अपनी परीक्षा देने पहुंचा। परीक्षा देने के बाद, वह सीधे अस्पताल गया और अपनी टांग की चोट का इलाज करवाया। मृदुल ने बताया कि यह हादसा उसके लिए किसी दूसरे जन्म से कम नहीं था।

मृदुल के इस जज़्बे को देखकर हर कोई हैरान है। उसके पिता खेम चंद आईटीआई में प्रशिक्षक हैं और माता नरिता देवी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता हैं। मृदुल अपने माता-पिता की इकलौती संतान है। इस युवा ने दिखाया कि संकट के समय में इंसान का हौसला ही उसकी असली पहचान बन जाती है। मृदुल शर्मा पूरे हिमाचल प्रदेश के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गए हैं।

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