लाहौल हादसा: मां की गोद और पिता की उंगलियों का सहारा ढूंढ रही हैं मासूम जुड़वां बहनें

Edited By Jyoti M, Updated: 18 Jun, 2025 11:52 AM

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हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्पीति जिले के ग्रांफू में हुए एक भयानक सड़क हादसे ने सोनीपत के एक खुशहाल परिवार को हमेशा के लिए तोड़ दिया है। इस दर्दनाक घटना में एक मां की जान चली गई, जबकि पिता और बेटा ज़िंदगी और मौत के बीच झूल रहे हैं। इस हादसे की सबसे...

हिमाचल डेस्क। हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्पीति जिले के ग्रांफू में हुए एक भयानक सड़क हादसे ने सोनीपत के एक खुशहाल परिवार को हमेशा के लिए तोड़ दिया है। इस दर्दनाक घटना में एक मां की जान चली गई, जबकि पिता और बेटा ज़िंदगी और मौत के बीच झूल रहे हैं। इस हादसे की सबसे मार्मिक तस्वीर अस्पताल के एक बेड पर बैठीं दो मासूम जुड़वां बहनें अभिका और अनिका की है, जो चुपचाप किसी परिचित चेहरे को तलाश रही हैं।

उनके चेहरों पर पसरा सन्नाटा और खालीपन देखकर हर किसी की आंखें नम हो जाती हैं। जो भी इन बच्चियों के पास आता है, अपने आंसू रोक नहीं पाता। ये मासूम निगाहें अपनी मां की ममता और पिता की उंगलियों का सहारा ढूंढ रही हैं, लेकिन उनके बचपन की खुशियां अचानक कहीं खो सी गई हैं। यह दिल दहला देने वाला हादसा उस वक्त हुआ, जब हरियाणा के सोनीपत जिले के करेउड़ी गांव के निवासी अमित अपनी पत्नी मोनिका और तीन बच्चों के साथ मनाली घूमने गए थे। छुट्टियों का आनंद ले रहा यह परिवार 17 जून को रोहतांग दर्रा से लौट रहा था। ग्रांफू के पास उनका टेंपो ट्रैवलर अचानक अनियंत्रित हो गया और करीब 30 मीटर गहरी खाई में जा गिरा।

इस भीषण दुर्घटना में अमित की पत्नी मोनिका की मौके पर ही मौत हो गई। अमित को गंभीर चोटें आई हैं और उन्हें बिलासपुर के एम्स अस्पताल में वेंटिलेटर पर रखा गया है, जहां उनकी हालत बेहद नाजुक बनी हुई है। उनका बेटा दीप भी गंभीर रूप से घायल हुआ है और मनाली के मिशन अस्पताल के आईसीयू में उसका इलाज चल रहा है। इस दुर्घटना में सौभाग्य से केवल नन्हीं जुड़वां बेटियां अभिका और अनिका ही बच पाईं। हादसे के बाद से दोनों बच्चियां सदमे में हैं। वे समझ नहीं पा रही हैं कि आखिर उनके साथ क्या हुआ है। अस्पताल के बिस्तर पर बैठी ये दोनों बहनें बार-बार दरवाजे की तरफ देखती हैं, शायद उन्हें अब भी उम्मीद है कि उनके मम्मी-पापा उन्हें लेने आएंगे।

जैसे ही इस हादसे की खबर अमित के पिता राकेश को मिली, वे तुरंत मनाली पहुंचे। अपनी पोतियों को देखते ही उनकी आंखों से आंसू बहने लगे। उनकी आंखों में बेटे की चिंता और बहू की मौत का गहरा दुख साफ झलक रहा था। इस मुश्किल घड़ी में मनाली के कई समाजसेवी देवदूत बनकर सामने आए हैं। नगर परिषद की पार्षद चंद्रा पदान और नीलम ठाकुर ने बच्चियों की देखभाल की पूरी जिम्मेदारी उठाई है। उन्होंने पूरी रात इन मासूमों को अपने पास रखा, उन्हें दिलासा दिया और हर संभव तरीके से सहारा दिया।

सभी समाजसेवी परिवार की हर संभव मदद कर रहे हैं, ताकि इन मासूम बच्चियों को अकेलापन महसूस न हो। इस हादसे ने जहां एक परिवार को तबाह कर दिया है, वहीं इंसानियत और संवेदनशीलता की एक मिसाल भी कायम की है। अब पूरा क्षेत्र इस परिवार की सलामती की दुआ कर रहा है।

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