Himachal: यहां भगवान शिव नहीं भूले अपने परम भक्त रावण की भक्ति, दशहरे के दिन नहीं जलता पुतला

Edited By Vijay, Updated: 12 Oct, 2024 02:29 PM

here the effigy of ravana is not burnt on dussehra

बैजनाथ भगवान भोलेनाथ के मंदिर व खीर गंगा घाट के लिए देशभर में प्रसिद्ध है, लेकिन बहुत कम लोगों को मालूम है कि बैजनाथ में आज भी लंकापति रावण का मंदिर है व कुंड भी मौजूद है, जहां उसने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए अपने दसों सिरों को काटकर कुंड में...

पपरोला: बैजनाथ भगवान भोलेनाथ के मंदिर व खीर गंगा घाट के लिए देशभर में प्रसिद्ध है, लेकिन बहुत कम लोगों को मालूम है कि बैजनाथ में आज भी लंकापति रावण का मंदिर है व कुंड भी मौजूद है, जहां उसने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए अपने दसों सिरों को काटकर कुंड में जला दिया था। शिव नगरी बेशक रावण को भूल गई, लेकिन भगवान शिव अभी भी अपने परम भक्त रावण की भक्ति को नहीं भूले हैं। रावण की तपोस्थली रही बैजनाथ में इसका जीता-जागता उदाहरण दशहरा पर्व है। जहां पूरे देशभर में दशहरे को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है, वहीं बैजनाथ एक ऐसा स्थान है, जहां दशहरे के दिन रावण का पुतला नहीं जलता। अगर कोई जलाता है तो उसकी मृत्यु हो जाती है। माना जाता है कि शिव मंदिर में मौजूद शिवलिंग वही शिवलिंग है, जिसे लंकापति अपने साथ लंका ले जा रहा था तथा माया के प्रभाव से शिवलिंग यहीं पर स्थापित हो गया था।

जिसने भी जलाया पुतला, उसकी हो जाती है मौत
जानकारी मुताबिक वर्ष 1965 में बैजनाथ में एक भजन मंडली में शामिल कुछ बुजुर्ग व लोगों ने उस समय बैजनाथ शिव मंदिर के ठीक सामने रावण का पुतला जलाने की प्रथा शुरू की। इसके बाद भजन मंडली के अध्यक्ष की मौत हो गई तथा अन्य सदस्यों के परिवार पर घोर विपत्ति आई। इसके 2 साल बाद बैजनाथ में दशहरा पर्व मनाना बंद कर दिया गया। हालांकि बैजनाथ से 2 किलोमीटर दूर पपरोला के ठारु गांव में भी कुछ वर्ष रावण का पुतला जलाया गया लेकिन वहां भी कुछ समय बाद दशहरा पर्व मनाना बंद कर दिया गया।

बैजनाथ में नहीं है कोई सुनार की दुकान
बैजनाथ में वर्तमान में करीब 500 दुकानें हैं लेकिन विचित्र बात है कि यहां कोई भी सुनार की दुकान नहीं है। माना जाता है कि अगर कोई यहां सुनार की दुकान खोलता है तो उसका व्यापार तबाह हो जाता है, दुकान जल जाती है या सोना काला हो जाता है। जानकारी अनुसार यहां 2 बार सुनार की दुकान खोली गई, लेकिन दुकान नहीं चल पाई, जिसके बाद से बैजनाथ में कोई सुनार की दुकान नहीं है। 

क्या कहते हैं मंदिर के पुजारी 
इस बाबत मंदिर के पुजारी सुरेंद्र आचार्य ने बताया कि बैजनाथ नगरी रावण की तपोस्थली है। शायद इसी प्रभाव के चलते रावण का पुतला जलाने का जिसने भी प्रयास किया वह मौत का शिकार हो गया। यही कारण है कि बैजनाथ में दशहरे के दिन पुतले जलाने की प्रथा को नहीं मनाया जाता है। 
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