Edited By Jyoti M, Updated: 18 Jun, 2025 03:48 PM

हिमाचल प्रदेश के जलाशयों में मछली पकड़ने पर अगले दो महीनों के लिए पूरी तरह से रोक लगा दी गई है। यह प्रतिबंध 16 जून से 15 अगस्त तक लागू रहेगा। ऐसा इसलिए किया गया है क्योंकि जलाशयों किनारे मत्स्य विभाग ने डेरा जमाया है। यह समय मछलियों के प्रजनन का...
हिमाचल डेस्क। हिमाचल प्रदेश के जलाशयों में मछली पकड़ने पर अगले दो महीनों के लिए पूरी तरह से रोक लगा दी गई है। यह प्रतिबंध 16 जून से 15 अगस्त तक लागू रहेगा। ऐसा इसलिए किया गया है क्योंकि यह समय मछलियों के प्रजनन का होता है और इस दौरान उन्हें पकड़ने से उनकी आबादी पर बुरा असर पड़ सकता है। प्रतिबंध लागू हाेने के बाद मत्स्य विभाग ने जलाशयों के किनारे डेरा जमा दिया है, ताकि मछलियाें के अवैध शिकार पर कड़ी नजर रखी जा सके।
राज्य के पांच प्रमुख जलाशयों - गोबिंदसागर, पौंग, चमेरा, कोलडैम और रणजीत सागर में इस अवधि के दौरान कोई भी मछली नहीं पकड़ पाएगा। इन जलाशयों का कुल क्षेत्रफल लगभग 43,785 हेक्टेयर है। आपको बता दें कि इन जलाशयों और प्रदेश के अन्य सामान्य व ट्राउट जल क्षेत्रों (लगभग 2,400 किलोमीटर लंबे) में 6,300 से ज़्यादा मछुआरे मछली पकड़ने का काम करते हैं। यह प्रतिबंध सीधे तौर पर इन सभी मछुआरों की आजीविका को प्रभावित करेगा।
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प्रतिबंध को लागू करने की तैयारी
इस प्रतिबंध को सख्ती से लागू करने के लिए मत्स्य विभाग ने पुख्ता इंतजाम किए हैं.
बिलासपुर में कुल 20 कैंप लगाए जाएंगे। इनमें गोबिंदसागर झील में 17 और कोलडैम में 3 कैंप शामिल हैं। साथ ही एक उड़नदस्ता भी निगरानी करेगा। पौंगडैम में 17 कैंप और एक उड़नदस्ता तैनात रहेगा। चंबा के चमेरा में कुल 5 कैंप लगाए जाएंगे। इनमें चमेरा में 3 और रणजीत सागर में 2 कैंप होंगे, और एक उड़नदस्ता भी गठित किया गया है।
यदि कोई व्यक्ति प्रतिबंध के दौरान मछली पकड़ते हुए पकड़ा जाता है, तो उसे 3 साल तक की जेल, 5,000 रुपये तक का जुर्माना, या दोनों एक साथ हो सकते हैं। यह कदम मछलियों की प्रजातियों को बचाने और उनके प्राकृतिक प्रजनन चक्र को बाधित होने से रोकने के लिए उठाया गया है, ताकि मत्स्य संपदा बनी रहे।