Kangra: डॉ. आरएन शर्मा की अनूठी पहल, बेटी के साथ मिलकर स्कूल को दी आर्थिक सहायता

Edited By Jyoti M, Updated: 29 Oct, 2024 06:18 PM

dr rn sharma s initiative can prove to be a boon in schools former mla praveen

राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला दरंग (पालमपुर) के 60 के दशक के छात्र और प्रसिद्ध शिशु-बाल विशेषज्ञ डॉक्टर आरएन शर्मा ने अपनी बेटी प्रीति शर्मा के साथ मिलकर अपनी नेक कमाई से 2 चैक स्कूल के प्रधानाचार्य अजय कुमार को भेंट किए।

पालमपुर। राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला दरंग (पालमपुर) के 60 के दशक के छात्र और प्रसिद्ध शिशु-बाल विशेषज्ञ डॉक्टर आरएन शर्मा ने अपनी बेटी प्रीति शर्मा के साथ मिलकर अपनी नेक कमाई से 2 चैक स्कूल के प्रधानाचार्य अजय कुमार को भेंट किए। इस अवसर पर स्कूल प्रशासन ने एक सादा समारोह आयोजित किया, जिसमें डॉक्टर शर्मा ने अपने स्कूली शिक्षा के समय की कई यादें सांझा कीं। उन्होंने बताया कि उनके माता-पिता की हमेशा से यही इच्छा थी कि उनका बेटा डॉक्टर बने। उन्होंने कड़ी मेहनत से स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद पीएमटी परीक्षा में अच्छे अंक हासिल किए और फिर एमबीबीएस, डीसीएच की उच्च शिक्षा प्राप्त की।

डॉक्टर शर्मा ने भारतीय सेना में सेवा के दौरान और उसके बाद भारत सरकार की ओर से लीबिया में आपातकालीन सेवाओं में अपना योगदान दिया। अपनी संघर्षमय यात्रा की कहानी सुनाते हुए, उन्होंने छात्रों और शिक्षकों को प्रेरित किया। इस अवसर पर स्कूल के पूर्व छात्र और बायर इंडिया कंपनी के महाप्रबंधक पद से सेवानिवृत्त सुनीत सिंह गुलेरिया ने भी अपनी कहानी सांझा की। उन्होंने बताया कि कैसे उन्होंने इस कंपनी में काम करके भारत और विदेशों में ख्याति अर्जित की और छात्रों को अपने लक्ष्य प्राप्ति के लिए प्रेरित किया।

पालमपुर के पूर्व विधायक प्रवीन कुमार जोकि डॉक्टर आरएन शर्मा के छोटे भाई और इसी स्कूल के छात्र रहे हैं, उन्होंने इस अवसर पर कहा कि शिक्षा के इस पावन मंदिर में डॉक्टर शर्मा और उनकी बेटी ने आर्थिक सहायता देकर एक नई और प्रेरणादायक पहल की है। प्रवीन कुमार ने गर्व के साथ बताया कि "मेरे स्कूल से निकले मोती" पट्टिका में उनका नाम सबसे पहले अंकित किया गया। 

पूर्व विधायक ने कहा इस तरह के सहयोग से स्कूल के विकास को एक नई दिशा मिलेगी। उन्होंने सभी स्कूलों के प्रमुखों से आह्वान किया है कि अपने-अपने स्कूलों से निकले ऐसे मोतियों की सालाना ओल्ड स्टूडैंट मीट आयोजित करने की परंपरा शुरू करें। ऐसा करने से जहां स्कूल प्रशासन को छोटे-छोटे काम के लिए सरकार पर आश्रित रहना पड़ता है उससे राहत मिलेगी, वहीं दूसरी तरफ स्कूल से निकले ऐसे मोतियों से स्कूली बच्चों में इस प्रकार के मुकाम हासिल करने के लिए प्रेरणा एवं प्रतिस्पर्धा जगेगी।
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