Edited By Kuldeep, Updated: 22 Jul, 2025 06:11 PM

भरमौर हलके के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय लामू में शिक्षकों की कमी को लेकर विद्यार्थी सड़क पर उतर आए हैं। मंगलवार को विद्यार्थियों ने हाथों में बैनर लेकर शिक्षकों की कमी को पूरा करने की मांग उठाई और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।
भरमौर (उत्तम ठाकुर): भरमौर हलके के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय लामू में शिक्षकों की कमी को लेकर विद्यार्थी सड़क पर उतर आए हैं। मंगलवार को विद्यार्थियों ने हाथों में बैनर लेकर शिक्षकों की कमी को पूरा करने की मांग उठाई और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। इस दौरान कक्षाओं का भी बहिष्कार किया। यही नहीं लगभग 3 घंटे तक चोली-लामू क्वांरसी मार्ग पर चक्का जाम कर दिया। विद्यार्थियों ने प्रदर्शन के माध्यम से प्रदेश में सरकार की शिक्षा नीति और प्राथमिकताओं पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। तहसीलदार होली देवेंद्र गर्ग एवं पुलिस चौकी होली से पुलिस टीम मौके पर पहुंची और विद्यार्थियों से बात की। साथ ही स्टाफ की नियुक्ति जल्द करने का आश्वासन दिया। इसके बाद विद्यार्थियों ने अपना प्रदर्शन खत्म किया।
विद्यार्थियों के अभिभावकों ने भी सरकार व प्रशासन के प्रति रोष जताया है। उनका कहना है कि स्कूल में अध्यापकों की नियुक्ति न करना बच्चों के भविष्य से जानबूझकर खिलवाड़ किया जा रहा है। अध्यापकों की कमी के कारण बच्चे असमंजस की स्थिति में हैं। कई बच्चे स्कूल छोड़कर अन्य स्कूलों में चले गए हैं, लेकिन जो गरीब बच्चे अपने घर द्वार शिक्षा ग्रहण करते हैं वे कहां जाएं। गत वर्ष प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह तथा स्थानीय विधायक को भी समस्या से अवगत करवाया था, लेकिन कोई कार्रवाई न होना चिंता का विषय है।
उल्लेखनीय है कि भरमौर जैसे दुर्गम क्षेत्रों में शिक्षा हमेशा से एक चुनौती रही है। कोविड के बाद शिक्षकों के रिक्त पदों को न भरना और बुनियादी ढांचे की अनदेखी से हालात और भी गंभीर हो गए हैं। स्कूली बच्चों की इस अनसुनी आवाज ने सरकार को अब स्पष्ट चेतावनी दे दी है। प्रदेश के अन्य दूरस्थ क्षेत्रों से भी लगातार शिक्षकों की कमी की शिकायतें सामने आती रही हैं, लेकिन यह पहली बार है जब बच्चों ने खुद अपने हक के लिए सड़कों पर उतर कर मोर्चा खोला है।
कांग्रेस सरकार की शिक्षा के प्रति लापरवाही का प्रमाण : जनक राज
भरमौर के विधायक डाक्टर जनक राज ने कहा कि सरकार के खिलाफ बच्चों द्वारा लगाए गए यह नारे न केवल शिक्षकों की कमी की ओर इशारा करते हैं, बल्कि उस असंतोष को भी दर्शाते हैं, जो भरमौर जैसे आदिवासी और दूरस्थ क्षेत्र में वर्षों से पनप रहा है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार की शिक्षा के प्रति लापरवाही का यह प्रमाण है ये बच्चे सड़कों पर इसलिए उतरे हैं इन्हें पढ़ाने वाला कोई नहीं है।
वह इस विषय को पहले भी बार-बार विधानसभा में उठा चुके हैं, लेकिन सरकार की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने लामू सहित पूरे प्रदेश में अध्यापकों की कमी को पूरा करने के लिए मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप करने की मांग की है। साथ ही चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर अध्यापकों के पद शीघ्र नहीं भरे गए तो आंदोलन और अधिक व्यापक होगा।