Edited By Kuldeep, Updated: 16 Oct, 2024 03:39 PM
पूर्व केंद्रीय मंत्री व हमीरपुर से भाजपा सांसद अनुराग सिंह ठाकुर ने जिनेवा में 149वीं अंतर-संसदीय संघ (आईपीयू) सभा को संबोधित किया, जिसमें उन्होंने संयुक्त राष्ट्र मामलों की स्थायी समिति में भारत का प्रतिनिधित्व किया।
हमीरपुर (राजीव): पूर्व केंद्रीय मंत्री व हमीरपुर से भाजपा सांसद अनुराग सिंह ठाकुर ने जिनेवा में 149वीं अंतर-संसदीय संघ (आईपीयू) सभा को संबोधित किया, जिसमें उन्होंने संयुक्त राष्ट्र मामलों की स्थायी समिति में भारत का प्रतिनिधित्व किया। संयुक्त राष्ट्र प्रणाली के वित्तपोषण पर अपने हस्तक्षेप में, अनुराग सिंह ठाकुर ने संयुक्त राष्ट्र के प्रति भारत की दृढ़ प्रतिबद्धता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत पिछले 6 वर्षों से संयुक्त राष्ट्र के नियमित बजट के लिए अपने वित्तीय दायित्वों को लगातार पूरा करने वाले केवल 7 देशों में से एक है।
उन्होंने भारत के जिम्मेदार दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला, जिसमें फिलिस्तीन के लिए उनरवा को 5 मिलियन का वार्षिक योगदान और ग्लोबल साउथ का समर्थन करने के लिए 150 मिलियन का भारत-संयुक्त राष्ट्र विकास साझेदारी कोष शामिल है। अनुराग सिंह ठाकुर ने संयुक्त राष्ट्र के मौजूदा वित्तीय संकट पर भी चिंता व्यक्त की, जो प्रमुख दाता देशों द्वारा योगदान का भुगतान न करने से और बढ़ गया है, जिसके कारण ख़र्चों में कटौती के उपाय किए गए हैं, जोकि प्रमुख कार्यक्रमों की प्रगति को खतरे में डालते हैं।
इसके बावजूद भारत ने संयुक्त राष्ट्र का समर्थन करने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हुए पहले ही 33 मिलियन का अपना 2024 का योगदान अग्रिम रूप से दे दिया है। अनुराग सिंह ठाकुर ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधारों का आह्वान किया, जिसमें अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और कम प्रतिनिधित्व वाले एशिया जैसे गैर-प्रतिनिधित्व वाले क्षेत्रों के बेहतर प्रतिनिधित्व की वकालत की गई। संयुक्त राष्ट्र संधियों पर अपने दूसरे संबोधन में, उन्होंने वैश्विक शासन को बनाए रखने और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने में इन संधियों के महत्व को रेखांकित किया।
उन्होंने संधि अनुसमर्थन के लिए भारत के संवैधानिक ढांचे पर विस्तार से बताया, जिसके लिए संधियों को बाध्यकारी बनाने के लिए संसदीय अनुमोदन की आवश्यकता होती है।अनुराग सिंह ठाकुर ने भारत की संधि-निर्माण प्रक्रिया की पारदर्शिता और जवाबदेही की प्रशंसा की, जहाँ संसदीय जाँच यह सुनिश्चित करती है कि घरेलू कानून अंतर्राष्ट्रीय दायित्वों के साथ सामंजस्य रखते हैं। उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक शासन को मजबूत करते हैं और राष्ट्रीय संप्रभुता की रक्षा करते हैं। उन्होंने वैश्विक शासन, लोकतांत्रिक मूल्यों और विदेश नीति के प्रति पारदर्शी दृष्टिकोण के प्रति भारत की स्थायी प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला।
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