भारत में कोविड प्रकोप से पहले एपीआई कच्चे माल की कालाबजारी शुरू : सुमित सिंगला

Edited By Vijay, Updated: 22 Dec, 2022 10:02 PM

sumit singla

अपनी जीरो कोविड पॉलिसी के चलते चीन ने खुद का बड़ा नुक्सान किया और अपनी जनता में हाई इम्युनिटी नहीं बनने दी। इसके विपरित भारत में 95 फीसदी आबादी इम्यून हो गई जबकि चीन में मात्र 15 फीसदी ही रही।

बीबीएन: अपनी जीरो कोविड पॉलिसी के चलते चीन ने खुद का बड़ा नुक्सान किया और अपनी जनता में हाई इम्युनिटी नहीं बनने दी। इसके विपरित भारत में 95 फीसदी आबादी इम्यून हो गई जबकि चीन में मात्र 15 फीसदी ही रही। ओमिक्रॉन के जिस वैरिएंट बीएफ.7 को लेकर अभी हल्ला मचाया जा रहा है, उसकी हकीकत ये है कि देश में जुलाई से लेकर अक्तूबर तक इस वैरिएंट के 4 से अधिक मरीज मिल चुके हैं जबकि सोशल मीडिया पर ऐसा ढोल पीटा जा रहा है मानों ये मरीज बीते 24 घंटे में ही मिले हों। ओमिक्रॉन की जो तीसरी लहर देश में आई थी उसने बड़ी आबादी को संक्रमित किया था और विशेषज्ञों ने उसे नैचुरल वैक्सीन भी बताया। यही कारण है कि तीसरी लहर और उसके बाद कोरोना भारत में नुक्सान नहीं पहुंचा सका और यह स्थिति अभी आगे भी कायम रहेगी। हालांकि सतर्कता और सुरक्षा सभी को बरतनी चाहिए। 

एफआईआई फैडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री हिमाचल के उपाध्यक्ष सुमित सिंगला ने कहा कि  इसमें कोई शक नहीं कि चीन में कोविड महामारी ने अपने पांव पूरी तरह पसार रखे हैं। इसके साथ और भी देश इसकी चपेट में आए हैं। भारत में अभी तक 2-3 केसों की पुष्टि हुई है। उन्होंने कहा कि पहले भी कोविड महामारी में कालाबाजारी बहुत शिखर पर रही थी, जबकि अभी भारत में कोविड महामारी ने अपने पांव नहीं पसारे हैं, जिसके विपरीत 48 से 72 घंटे में फार्मा एपीआई कच्चे माल में 25 से 30 प्रतिशत तेजी देखने को मिल रही है जबकि मार्कीट में मांग से ज्यादा दवाओं की सप्लाई है। 

सुमित सिंगला ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया व उच्च अधिकारियों से मांग है कि पहले भी कोविड के दौरान एपीआई कच्चे माल के उद्योगों व ट्रेडरों ने कालाबाजारी की थी उस पर सरकार अभी से ही निगरानी रखी जाए, जिससे उद्योगों को उत्पादन करने में किसी समस्या का सामना न करना पड़े व सस्ते दामों पर दवाई लोगों तक पहुंच सके। उन्होंने आंकड़ा देते हुए कहा कि पैरासिटामोल पीसीएम जो 525 रुपए मिलती थी, उसकी कीमत 650 से ज्यादा तक पहुंच गई है, वहीं एजिथ्रोमाइसिन जिसका मूल्य 7300 रुपए प्रति टन था वह 11 हजार से ऊपर, अमॉक्सीलीन ट्राईहाइड्रेट की कीमत 2800 से बढ़कर 3200 रुपए, क्लेवयेलनलेट की कीमत 20 हजार से ज्यादा तक पहुंच गई है। सुमित सिंगला ने मांग की है कि इस कालाबाजारी को रोकने हेतु ठोस कदम उठाए जाएं।

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