Edited By Vijay, Updated: 25 Aug, 2025 11:49 PM

इतिहास में पहली बार 2 महाशक्तियां एक साथ नजर आएंगी। कुल्लू जिले के अधिष्ठाता बड़ा छमाहूं और मंडी जिले के देव मार्कंडेय ऋषि के बीच हारगी उत्सव कुल्लू जिले के फगवाना स्थित शेंशधार में 28 अगस्त से शुरू होगा, जोकि 1 सितम्बर तक चलेगा।
बालीचौकी (फरेंद्र ठाकुर): इतिहास में पहली बार 2 महाशक्तियां एक साथ नजर आएंगी। कुल्लू जिले के अधिष्ठाता बड़ा छमाहूं और मंडी जिले के देव मार्कंडेय ऋषि के बीच हारगी उत्सव कुल्लू जिले के फगवाना स्थित शेंशधार में 28 अगस्त से शुरू होगा, जोकि 1 सितम्बर तक चलेगा। सृष्टि के रचयिता देव बड़ा छमाहूं के हारियानों के निमंत्रण को देव मार्कंडेय ऋषि कमेटी ने स्वीकार कर लिया है। बता दें कि दोनों देवताओं और उनके हारियानों के बीच पहले से ही हारगी उत्सव को आयोजित करने की इच्छा थी जिसे देवता ने पूरा किया है। अब उत्सव की तैयारियों में कमेटी जुट गई है। हारगी उत्सव 5 दिनों तक चलेगा, जिसमें दोनों देवताओं के बीच भव्य मिलन होगा और इसके साक्षी हजारों लोग बनेंगे। इसी के साथ वाद्ययंत्रों की धुनों पर नाटी का दौर भी जारी रहेगा। देव बड़ा छमाहूं के पालसरा दीपक, कारदार मोहन सिंह, भंडारी पूर्ण सिंह व गूर झाबे राम व प्रकाश ने बताया कि हारगी उत्सव में मंडी जिले के बालीचौकी के देव मार्कंडेय ऋषि बतौर मेहमान आएंगे। यह उत्सव दोनों जिलों के लिए बड़ी उपलब्धि सिद्ध होगा।
800 हारियानों संग जाएंगे देवता मार्कंडेय ऋषि, पुत्र प्राप्ति व चरम रोग दूर करने में हैं सक्षम
देवता मार्कंडेय ऋषि अपने सात बिहा के 800 से अधिक लाव-लश्कर के साथ कुल्लू जिले के फगवाना स्थित शेंशधार जाएंगे। देवता पुत्र प्राप्ति व चरम रोग दूर करने में सक्षम हैं। देवता के गूर जयदेव, कारदार भूमे राम, पुजारी रूप लाल शर्मा, भंडारी श्याम सिंह व नरेंद्र ने बताया कि दोनों देवताओं के हारियानों के बीच उत्सव भाईचारे के लिए भी जाना जाएगा। उन्होंने बताया कि उत्सव के लिए तैयारी शुरू कर दी है।
महाप्रलय के बाद हुई थी देव बड़ा छमाहूं की उत्पत्ति
महाप्रलय के बाद जब सृष्टि की दोबारा रचना हुई तो उसी समय देव छमाहूं की उत्पत्ति हुई जिसका पुराणों व शास्त्रों में प्रमाण है। सृष्टि की रचना के लिए ब्रह्मा, विष्णु, महेश को आदि व शक्ति का आह्वान करना पड़ा। इस तरह 5 शक्तियां सृष्टि की रचना में जुट गईं। जब पूरी सृष्टि की रचना कर ली गई और अंधकार समुद्र में समाहित सभी ग्रहों को अपने-अपने स्थान पर स्थापित किया गया तो सृष्टि की रचना लगभग पूर्ण हो चुकी थी लेकिन अंधकार समुद्र में काफी समय तक डूबे रहे। सभी ग्रहों से जो ऊर्जा उत्पन्न हुई वह भयावह थी और उस ऊर्जा ने एक बार फिर से उथल-पुथल मचानी शुरू की।
कुल्लू, मंडी व सराज छमाहूं देवता की धरती
वर्तमान में छमाहूं देवता की धरती कुल्लू व मंडी, सराज है। माना जाता है कि छमाहूं आज भी सृष्टि की चारों दिशाओं में विराजमान हैं। वर्तमान में छमाहूं के 4 रथ हैं और पांचवां रथ शक्ति का है, जबकि आदिब्रह्म का रथ नहीं बल्कि सुंदर स्थान है जिसे हंसकुंड के नाम से जाना जाता है। सराज घाटी में छमाहूं की देउली प्रमुख स्थान रखती है। छमाहूं के 4 रथों को 4 भाइयों व शक्ति को बहन के रूप में माना जाता है, जबकि आदिब्रह्मा को घाटी के देवता गुरु के रूप में मानते हैं। इन सभी देवी-देवताओं का पृथ्वी पर अवतार स्थान सराज घाटी का दलयाड़ा गांव है, जहां आज भी यह स्थान छमाहूं की अवतार भूमि मानी जाती है।