Himachal: स्ट्रीट वैंडर्ज को लेकर लिए जाएंगे आम जनता के सुझाव, फिर बनेंगे नियम

Edited By Vijay, Updated: 03 Oct, 2024 08:30 PM

suggestions will be taken from the public

राज्य की जनता और वैंडरों के सुझाव से स्ट्रीट वैंडर्ज के लिए नियम बनाए जाएंगे। इसके लिए राज्य के लोग शहरी विकास विभाग को ई-मेल...

शिमला (संतोष) : राज्य की जनता और वैंडरों के सुझाव से स्ट्रीट वैंडर्ज के लिए नियम बनाए जाएंगे। इसके लिए राज्य के लोग शहरी विकास विभाग को ई-मेल, पत्र के माध्यम से अपने सुझाव व आपत्तियां लिखित रूप में दे सकेंगे, जिसके लिए व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाएगा। इन आपत्तियों व सुझावों सहित अन्य सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए स्ट्रीट वैंडर्ज के लिए पाॅलिसी बनाने के लिए गठित समिति की 4 नवम्बर को होने वाली दूसरी बैठक में विचार-विमर्श किया जाएगा और आगामी कार्रवाई करते हुए इसके लिए नियम तय किए जाएंगे।

यह बात स्ट्रीट वैंडर्ज के लिए पाॅलिसी बनाने के लिए गठित समिति के सभापति एवं उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने राज्य सचिवालय के मुख्य समिति कक्ष में आयोजित पहली बैठक की अध्यक्षता करने के बाद मीडिया से मुखातिब होते हुए कही। बैठक में समिति सदस्य एवं ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह, समिति सदस्य एवं लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह, समिति सदस्य अनिल शर्मा, सतपाल सिंह सत्ती, रणधीर शर्मा तथा हरीश व प्रधान सचिव (शहरी विकास विभाग) देवेश कुमार, विधानसभा सचिव यशपाल शर्मा तथा आयुक्त नगर निगम शिमला भूपेंद्र अत्री उपस्थित रहे।

जानकारी के अनुसार राज्य में स्ट्रीट वैंडर्ज की समस्या के स्थायी समाधान के लिए विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया द्वारा गठित समिति की बैठक में सभी सदस्यों ने अपने-अपने सुझाव दिए। समिति ने शहरी विकास विभाग को निर्देश दिए कि स्ट्रीट वैंडर्ज पाॅलिसी को लेकर आम जनता और वैंडरों से भी सुझाव लिए जाएं। इन सुझावों पर 4 नवम्बर को फिर से बुलाई गई बैठक में चर्चा होगी। समिति के सभापति व उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि प्रदेश के हित में जो संभव होगा, समिति वह सिफारिश सरकार से करेगी।

उन्होंने कहा कि स्ट्रीट वैंडर्ज की समस्या शहरों के साथ-साथ अब ग्रामीण इलाकों में भी हो गई है, जिसके लिए पंचायत स्तर पर इन पर निगरानी रखने के लिए सरकार को सुझाव दिया जाएगा। उन्होंने कहा केंद्र ने जो स्ट्रीट वैंडर एक्ट बना रखा है, वह समूचे देश के लिए है, लेकिन राज्य सरकार अपनी भौगोलिक परिस्थितियों के अनुरूप नियम तय करेगी। उन्होंने कहा कि कुछ मामले पेचीदा भी होते हैं, जिसके लिए कानूनी राय भी ली जाएगी, वहीं रेट्स व श्रेणियों को पृथक करने आदि की दिशा में भी समिति काम करेगी।
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