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Himachal: बहन ने लगाई जान की बाजी, अपनी किडनी देकर भाई को दी नई जिंदगी

Edited By Jyoti M, Updated: 18 Jun, 2025 10:53 AM

sister put her life at stake

फतेहपुर तहसील के हौरी गांव से एक ऐसी दिल छू लेने वाली खबर सामने आई है, जिसने प्यार, त्याग और अटूट रिश्तों की एक नई मिसाल पेश की है। यहां 38 वर्षीय अंजू बाला ने अपनी एक किडनी दान कर अपने 41 वर्षीय बड़े भाई स्वरूप को नया जीवन दिया है। स्वरूप पिछले...

कांगड़ा। फतेहपुर तहसील के हौरी गांव से एक ऐसी दिल छू लेने वाली खबर सामने आई है, जिसने प्यार, त्याग और अटूट रिश्तों की एक नई मिसाल पेश की है। यहां 38 वर्षीय अंजू बाला ने अपनी एक किडनी दान कर अपने 41 वर्षीय बड़े भाई स्वरूप को नया जीवन दिया है। स्वरूप पिछले काफी समय से किडनी की गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे और उनकी जान बचाने का एकमात्र रास्ता किडनी ट्रांसप्लांट ही था।

ऐसे मुश्किल समय में, जब अक्सर लोग हिम्मत हार जाते हैं, अंजू बाला ने अपनी जान की परवाह न करते हुए अपने भाई को बचाने का बीड़ा उठाया। उन्होंने बिना किसी हिचकिचाहट के अपनी एक किडनी दान करने का फैसला किया। यह सिर्फ एक अंगदान नहीं, बल्कि एक बहन के असीम प्रेम और त्याग की पराकाष्ठा थी।

टांडा मेडिकल कॉलेज के विशेषज्ञों की सर्जिकल टीम ने इस जटिल किडनी ट्रांसप्लांट ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। ऑपरेशन के बाद अब दोनों भाई-बहन स्वस्थ हैं और तेजी से ठीक हो रहे हैं। यह टांडा मेडिकल कॉलेज में किया गया 12वां सफल किडनी ट्रांसप्लांट ऑपरेशन था, जो इस संस्थान की चिकित्सा क्षमताओं का भी प्रमाण है।

डॉक्टर्स और स्टाफ का अहम योगदान

इस सफल ऑपरेशन के पीछे टांडा मेडिकल कॉलेज की पूरी टीम का अथक परिश्रम और विशेषज्ञता शामिल थी। ऑपरेशन वाली टीम में टांडा के नेफ्रो विभाग के एचओडी डॉ. अभिनव और डॉ. अमित शर्मा जैसे अनुभवी डॉक्टर शामिल थे। पीजीआई चंडीगढ़ से भी डॉ. आशीष, डॉ. संजीव, डॉ. कुशल और डॉ. पीयूष ने आकर इस ऑपरेशन में महत्वपूर्ण सहयोग दिया।

समन्वयक नीरज जामवाल और कल्पना शर्मा ने भी व्यवस्थाओं को सुचारू बनाए रखने में अहम भूमिका निभाई। एनेस्थीसिया टीम में डॉ. ननिश शर्मा, डॉ. मोनिका पठानिया, डॉ. विशाल वशिष्ठ और डॉ. निधि ने मरीजों को सुरक्षित रखने में मदद की।

ओटी सहायक अनिल कुमार, विकास, यतिन और स्टाफ नर्स नरश्मि, रुवानी, प्रेम लता और सारिका ने भी ऑपरेशन थिएटर में सहयोग कर इस प्रक्रिया को सफल बनाने में अपना योगदान दिया। टांडा के नेफ्रोलॉजी विभाग के एचओडी डॉ. अभिनव ने बताया कि यह ट्रांसप्लांट पूरी तरह से सफल रहा है और दोनों मरीजों की हालत स्थिर है। अंजू बाला और स्वरूप की यह कहानी वास्तव में प्रेरणादायक है, जो हमें रिश्तों की गहराई और निस्वार्थ प्रेम की शक्ति का अहसास कराती है।

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