नशे के लिए बेच डाला जूतों का शोरूम, पत्नी टूटी चप्पल गठवाकर करती रही गुजारा

Edited By Vijay, Updated: 17 Nov, 2022 11:15 PM

shoe showroom sold for drugs

कभी पति का शहर के प्रमुख बाजार में जूतों का शोरूम हुआ करता था। चिट्टे की लत ने ऐसा कहर ढाया कि उसकी पत्नी अपनी पुरानी चप्पल को मोची से बार-बार गठवाती रही और प्राइवेट नौकरी पर जाती रही। इतने रुपए भी नहीं बचे थे कि वह नई जूती खरीद सके।

ऊना (विशाल स्याल): कभी पति का शहर के प्रमुख बाजार में जूतों का शोरूम हुआ करता था। चिट्टे की लत ने ऐसा कहर ढाया कि उसकी पत्नी अपनी पुरानी चप्पल को मोची से बार-बार गठवाती रही और प्राइवेट नौकरी पर जाती रही। इतने रुपए भी नहीं बचे थे कि वह नई जूती खरीद सके। कुछ ऐसी ही कहानी एक युवा की है जो संभ्रांत परिवार में पैदा हुआ और शू-शोरूम का मालिक भी रहा। चिट्टे की लत में ऐसा समय आया कि सब कुछ बिक गया और परिवार कंगाली की स्थिति में आ गया। युवा अवस्था में स्कूल के समय 9वीं कक्षा में जिंदगी में नशे की शुरूआत हुई। सिगरेट के कश लगाए और यहां से शुरूआत हुई जोकि चिट्टे पर जाकर खत्म हुई। सिगरेट के बाद शराब और बीयर भी पी और फिर अफीम जैसे नशे भी जिंदगी की दिनचर्या में शामिल हो गए। युवक की मानें तो लगभग 14 वर्ष की उम्र में जब नशे करने शुरू किए तो अपने आप में एक गर्व की फीलिंग आती थी कि जो हम कर रहे हैं वह सही कर रहे हैं। नशे ने जिंदगी को जकड़ना शुरू किया और 10वीं के बाद पढ़ाई में मन नहीं लगा और शहर में कई सरकारी और निजी स्कूल होने के बावजूद आगे पढ़ाई जारी नहीं रखी। 

नशा करके आना और छिपकर कमरे में सो जाना
युवक की संगत में ऐसे कई युवक शामिल हो गए थे जोकि पहले से ही नशे की चपेट में थे। पिता के पास अच्छा खासा रुपया था जिसके चलते युवक को रुपए की कोई कमी नहीं थी। दोस्त बनते गए और नए से नया नशा किया जाने लगा। रात को शराब पीकर घर पहुंचना और छिपते हुए कमरे में पहुंचकर सो जाना। यह उसकी दिनचर्या हो गई थी। परिवार की मिली ढील का युवक ने नाजायज फायदा उठाना शुरू कर दिया। इसी बीच पिता ने उसे जूतों का शोरूम खोलकर दे दिया। शादी भी कर दी गई और उसका एक बेटा भी हुआ। उसे तब तक अफीम की काफी लत लगी हुई थी। 

दुकान भी बेच डाली और घर का सामान भी
नशे की लत पूरी करने के लिए वह युवक अपनी ही दुकान से रुपए चोरी करने लग गया। परिवार उस पर अंकुश लगाने लगा तो वह इससे झल्ला उठा। दुकान और घर का सामान उठाकर चोरी छिपे बेचने लग गया। शोरूम के नाम पर बैंक से 15 लाख रुपए कर्जा ले लिया जोकि नशे में ही उजाड़ दिया। कुछ समय बाद जूतों का शोरूम बेच डाला।

परिवार से मारपीट और करता रहा हंगामा
बकौल युवक  उसने नशे में अपने आपको झोंक दिया और परिवार से दूर होता चला गया। नशे के लिए वह रुपए की डिमांड करता और पूरी न करने पर पत्नी और परिवार वालों के साथ मारपीट भी करता। भरे मोहल्ले में स्थित अपने घर के बाहर खड़े होकर ऐसा हंगामा करता कि पूरे परिवार का तमाशा बन जाता था। 

पत्नी के पर्स से चुराता था रुपए और पत्नी के पास नहीं बचता था किराया
युवक ने नशे में अपना जीवन गुजारना शुरू कर दिया और उसकी पत्नी को परिवार पालने के लिए एक निजी स्कूल में अध्यापिका के तौर पर नौकरी करनी पड़ गई। युवक अपनी पत्नी के पर्स से भी रुपए चुरा कर नशे की लत पूरी करता था। हालत यह हो गई थी कि पत्नी के पास स्कूल जाने के लिए बस किराये के रुपए भी नहीं बचते थे। कभी वह लिफ्ट लेकर स्कूल पहुंचती थी तो कभी किसी से रुपए उधार लेकर बस किराया अदा करती थी। जिसके पति का कभी जूतों का शोरूम हुआ करता था वह पत्नी अपनी टूटी हुई चप्पल को मोची से बार-बार सिलवाती और पहनती रही। इतने रुपए नहीं होते थे कि वह नई जूती खरीद सके।

100 रुपए के चिट्टे से हुई हैरोइन की एंट्री
युवक की मानें तो अफीम के नशे में उसको काफी संतुष्टी होती थी। एक दिन उसको अफीम नहीं मिली और वह अपनी दुकान में बैठा था। उसका एक दोस्त आया जिसने उसकी तोड़ पूरी करने के लिए 100 रुपए मांगे और उस 100 रुपए के चिट्टे की लाइन उसने इस तरह खींची कि सुधबुध खो बैठा। ऐसी लत लगी कि उसने अपने उस दोस्त को दोबारा स्वयं कांटैक्ट किया और फिर खुद चिट्टा खरीदने लग गया। शोरूम में ध्यान नहीं रहा और दुकान से गायब रहने लगा। 

मजबूर मां कहती रही, तुझे तो मौत भी नहीं आती
परिवार ने युवक को नशे से दूर रखने के लिए काफी यत्न किए लेकिन कोई साकार नहीं हो पाया। थकी हारी मां ने उसको यहां तक कह डाला कि रोज अखबारों में पढ़ती हूं कि नशे से युवाओं की मौत हो रही है, तूने पूरे परिवार का जीवन नर्क कर दिया है लेकिन तुझे तो मौत भी नहीं आती। इतना कहकर मां भी रो देती थी और युवक को नशे छोड़ने के लिए कहती रही।

चिट्टे के इतने इंजैक्शन लगाए कि नसें ही हो गईं खत्म
युवक ने चिट्टे को इंजैक्शन में भरकर खुद को लगाना शुरू कर दिया। इतने इंजैक्शन उसने स्वयं को लगाए कि आखिर में उसको नशे के इंजैक्शन लगाने के लिए नसें ही नहीं मिलती थीं जिससे वह और अधिक खीज जाता था। सारा दिन नशे की लत में पड़े रहना उसकी आदत बन गया था।

बहन ने भरी नशा निवारण केंद्र की फीस
युवक ने जब नशे में सब हदें लांघ दीं तो उसको एक नशा निवारण केंद्र में छोड़ा गया। परिवार के पास रुपए नहीं थे तो चंडीगढ़ में नौकरी करने वाली युवक की बहन ने उसकी नशा निवारण केंद्र की फीस भरी। यहां 3 माह रहने के बाद भी युवक के हालात नहीं बदले लेकिन उसके बाद परिवार के सहयोग और नशेड़ी मित्रों से दूरी के बाद उसने नशे से तौबा की। आज युवक नशे को छोड़ चुका है लेकिन अपने पिता और दादी को याद करके आंखें जरूर भर लेता है। पिता को वह कुछ बनकर नहीं दिखा पाया और नशे में उसने कई साल बर्बाद कर लिए।

अब दूसरों को नशे छोड़ने के लिए करता है प्रेरित
युवक ने नशा छोड़ने के बाद काफी समय अपने परिवार के साथ बिताया और धीरे-धीरे सब सामान्य होने लगा। नशे ने ऐसी छाप युवक के दिमाग पर छोड़ी कि वह अब कारोबार करने की बजाय नशे की दलदल में फंसे लोगों को नशा छोडऩे के लिए प्रेरित करता है। युवक ने इसके लिए केंद्र भी खोले हैं जहां वह युवाओं को नशा छोड़ने के लिए सहायता करता है। युवक का कहना है कि नशा तो परिवार का एक सदस्य करता है लेकिन इससे पूरा परिवार तबाह हो जाता है। नशे का नुक्सान पूरे परिवार को झेलना पड़ता है इसलिए सभी को हर तरह के नशे से दूर रहना चाहिए।

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