Edited By Kuldeep, Updated: 26 Apr, 2025 06:29 PM

पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री शांता कुमार ने कहा कि नशे के बढ़ते प्रकोप ने पूरे हिमाचल प्रदेश की युवा पीढ़ी को बर्बादी की कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है।
पालमपुर (भृगु): पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री शांता कुमार ने कहा कि नशे के बढ़ते प्रकोप ने पूरे हिमाचल प्रदेश की युवा पीढ़ी को बर्बादी की कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है। इसके बढ़ने के कई कारण हैं परन्तु सबसे बड़ा कारण है बढ़ती जनसंख्या, इसके कारण बढ़ती गरीबी और बेरोजगारी, निराशा और हताशा से नौजवान भटकते हैं और फिर नशे में फंसते हैं। बढ़ती जनसंख्या अब प्रबंधन के लिए असंभव हो गई है। इसी कारण नौजवानों की आत्म हत्याएं भी बढ़ रही हैं और अपराध भी बढ़ रहे हैं। बढ़ती जनसंख्या को रोकने से बहुत सी समस्याओं का समाधान हो सकता है। उन्होंने कहा कि नशे के प्रकोप का एक बड़ा कारण यह है कि इसके व्यापार में बहुत अधिक लाभ है।
उन्होंने कहा कि जब वह मुख्यमंत्री थे तो उन्हें बताया गया था कि कुल्लू से पठानकोट तक एक किलोग्राम नशा ले जाने और पहुंचाने के लिए एक लाख रुपए मिलते हैं। अब तो और भी बढ़ गया होगा। नशे का व्यापार करने वाले करोड़पति हो जाते हैं। शांता कुमार ने कहा कि एक बड़ा कारण यह भी है कि नई तकनीक ने युवा पीढ़ी को संस्कार विहीन बना दिया है। भारत में सबसे पहले संस्कार माता-पिता और परिवार के बजुर्गों से मिलता था। आज का युवा हाथ में मोबाइल आने के कारण परिवार के किसी मुखिया के पास बैठने को तैयार नहीं है और न कुछ सुनने को तैयार है।
एक बहुत बड़े विद्वान ने कहा है कि कानून हत्यारे को फांसी दे सकता है परन्तु कानून अच्छा काम करने का संस्कार नहीं दे सकता। आज की युवा पीढ़ी को परिवार से संस्कार मिलना बंद हो गया और समाज में निराशा है, अपराध है, हताशा है और नशा है। इस संबंध में उन्होंने अन्य सांसदों से मिलकर प्रधानमंत्री से यह मांग की थी कि अब युवा पीढ़ी को संस्कार देने का काम शिक्षा विभाग को करना होगा। योग और नैतिक शिक्षा को एक अनिवार्य विषय बना कर प्राइमरी से लेकर कॉलेज तक पढ़ाया जाए। कानून और बाकी उपाय भी बहुत जरूरी हैं परन्तु संस्कार के बिना नई पीढ़ी को सही रास्ता नहीं दिखाया जा सकता।