Edited By Kuldeep, Updated: 08 Jun, 2025 07:21 PM

हिमाचल ने देश में पहली बार दूध पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एम.एस.पी.) लागू कर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है।
शिमला (संतोष): हिमाचल ने देश में पहली बार दूध पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एम.एस.पी.) लागू कर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है। पशुपालकों से प्रतिदिन 2.32 लाख लीटर दूध खरीदा जा रहा है। सरकार 51 रुपए प्रति लीटर के समर्थन मूल्य पर करीब 38,400 पशुपालकों से रोजाना औसतन 2.25 लाख लीटर गाय का दूध और करीब 1,482 भैंस पालकों से प्रतिदिन 61 रुपए प्रति लीटर के समर्थन मूल्य पर 7,800 लीटर दूध खरीदा जा रहा है। यह दाम पशुपालकों को स्थिर और सुनिश्चित आय प्रदान करने में महत्वपूर्ण साबित हो रहे हैं, वहीं सहकारी संस्थाओं को 6 करोड़ रुपए वार्षिक सहायता देकर सरकार ने न केवल किसानों की आय में वृद्धि की है बल्कि सरकार दुर्गम और पहाड़ी क्षेत्रों में दूध आपूर्ति की चुनौती को देखते हुए पशुपालकों को 2 रुपए प्रति लीटर का परिवहन भत्ता प्रदान कर रही है।
हिम गंगा योजना से ग्रामीण स्तर पर डेयरी उत्पादन में आया बदलाव
सरकार की महत्वाकांक्षी योजना हिम गंगा से ग्रामीण स्तर पर डेयरी उत्पादन में बड़ा बदलाव आया है। इस योजना के अंतर्गत हमीरपुर और कांगड़ा जिला में 268 नई दुग्ध सहकारी समितियां बनाई गई हैं, जिनमें से हमीरपुर में 11 और कांगड़ा में 99 समितियां पंजीकृत हो चुकी हैं। हमीरपुर की 46 समितियों में से 20 महिला समितियों का नेतृत्व महिलाएं कर रही हैं, जो ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाने की सरकार की प्रतिबद्धता का परिचायक है। कांगड़ा जिला में कुल 222 सहकारी समितियां स्थापित की जा चुकी हैं, जिनसे 5,166 किसान जुड़कर संगठित तौर पर दुग्ध उत्पादन और बिक्री सुनिश्चित कर रहे हैं।
सरकार ने बकरी दूध खरीद के लिए भी एक पॉयलट परियोजना आरंभ की है, जिसके तहत बकरी पालकों से प्रतिदिन लगभग 100 लीटर दूध 70 रुपए प्रति लीटर की दर से खरीदा जा रहा है। इस योजना से वर्तमान में 15 बकरी पालक लाभान्वित हो रहे हैं। दूध सहकारी समितियों को अतिरिक्त प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए राज्य सरकार ने परिवहन भत्ते को 1.50 रुपए से बढ़ाकर 3 रुपए प्रति लीटर कर दिया है। यह प्रावधान सोसायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट, 1860 और हिमाचल प्रदेश को-आप्रेटिव सोसायटीज एक्ट, 1968 के अंतर्गत पंजीकृत सभी समितियों पर लागू है।
दुग्ध सुधार सिर्फ आंकड़ों तक नहीं सीमित : सुक्खू
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि वर्तमान सरकार द्वारा किए गए दुग्ध सुधार केवल उत्पादकों के आंकड़ों तक सीमित नहीं है। यह प्रदेश को एक ऐसा स्थायी और समावेशी पारिस्थितिकी तंत्र प्रदान करने की दिशा में प्रयास है, जिससे किसानों की आय में वृद्धि, महिला सशक्तिकरण और सहकारी संस्थाओं को मजबूती मिलेगी। उन्होंने कहा कि हिमाचल की आत्मनिर्भर ग्रामीण अर्थव्यवस्था की यात्रा में दुग्ध क्षेत्र एक प्रेरक मिसाल है, जिसके माध्यम से राज्य एक ऐसा मॉडल विकसित करेगा जो अन्य राज्य के लिए उदाहरण होगा।