Himachal: करुणामूलक संघ की मांग, मृत्यु की वरिष्ठता के आधार पर बहाल की जाए नौकरियां

Edited By Kuldeep, Updated: 28 May, 2025 05:32 PM

shimla compassionate association demand

प्रदेश सरकार करुणामूलक नौकरियां मृत्यु की वरिष्ठता के आधार पर बहाल करें। हिमाचल प्रदेश करुणामूलक संघ ने यह मांग की है। इस संबंध में सरकार को एक पत्र भी लिखा गया है।

शिमला (राक्टा): प्रदेश सरकार करुणामूलक नौकरियां मृत्यु की वरिष्ठता के आधार पर बहाल करें। हिमाचल प्रदेश करुणामूलक संघ ने यह मांग की है। इस संबंध में सरकार को एक पत्र भी लिखा गया है। संघ के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार ने संपर्क किए जाने पर कहा कि करुणामूलक आश्रितों को राहत देने के लिए शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर की अध्यक्षता में गठित कैबिनेट सब कमेटी अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप चुकी है। जो बातें निकल कर सामने आ रही हैं, उसके अनुसार रिपोर्ट में वार्षिक आय सीमा को 2.50 लाख से बढ़ाकर 3 लाख करने और 1 सदस्य की वार्षिक आय (62,500 रुपए) की शर्त को खत्म करने की सिफारिश की गई है। ऐसे में सरकार कैबिनेट सब कमेटी की सिफारिशों को लागू धरातल पर उतारा जाए। साथ ही जितने भी केस पूर्व में आय या किसी अन्य कारण से रिजैक्ट हुए हैं, उन केसों को दोबारा से कंसीडर किया जाए। अजय कुमार ने कहा कि उन सभी को नौकरियां प्रदान की जाए, जो नई सिफारिशों के दायरे में आते हों।

अजय कुमार ने कहा कि सरकार को स्पष्ट किया गया है कि आय सीमा बढ़ाने और 1 सदस्य की सालाना आय शर्त को हटाने का फायदा तभी है, जब 3 लाख के दायरे में जितने भी केस वर्तमान में आ रहे हैं, उनको नौकरी मिल सके। साथ ही उन्होंने 22 अगस्त 2022 की अधिसूचना को रद्द करने और कैबिनेट सब कमेटी की सिफारिशों के आधार पर करुणामूलक आश्रितों परिवारों को राहत देने के लिए जल्द नए सिरे से अधिसूचना जारी करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि कई परिवार ऐसे भी हैं, जो बीते 15-20 वर्ष से नौकरी का इंतजार कर रहे हैं। ऐसे में पीड़ित परिवारों को नौकरी मुहैया करवाने में कोई भेदभाव न हो तथा सरकार सभी पहलुओं को देखते हुए अधिसूचना जारी करें।

ये उठाई मांग
कैबिनेट सब कमेटी की सिफारिशों के अनुसार 3 लाख के दायरे में जितने भी केस आते हैं, उन्हें 5 प्रतिशत कोटे की सीलिंग हटाकर योग्यता के अनुसार नौकरियां दी जाएं। जिन विभागों, बोर्ड, निगमों और यूनिवर्सिटी में खाली पद नहीं हैं, उनसे करुणामूलक केस अन्य विभागों में शिफ्ट करके नौकरियां दी जाएं। मृत्यु की तिथि की वरिष्ठता के आधार पर नौकरियां दी जाएं। इन्हें महिला या पुरुष की श्रेणियां में न बांटा जाए।

ये दिया सुझाव
बिना किसी भेदभाव के मृत्यु की वरिष्ठता के आधार पर पुराने केसों के तहत वर्ष 2015 तक का पहला बैच निकाला जा सकता है। इसी तरह दूसरे बैच में वर्ष 2016 से 2025 तक के केस निकालने पर निर्णय लिया जा सकता है।

3,234 के आसपास केस
प्रदेश में सरकारी विभागों और सार्वजनिक उपक्रमों में लंबित पड़े करुणामूलक केसों की संख्या 3,234 के आसपास है। इनमें से सरकारी विभागों में 1,531 और निगमों-बोर्डों में 1,703 मामले शामिल हैं। ऐसे में देखना होगा कि सरकारी करुणामूलक आश्रितों को राहत देने के लिए क्या कदम उठाती है।

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