Edited By Kuldeep, Updated: 17 Dec, 2025 10:09 PM

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की तरफ से वित्तीय वर्ष 2026-27 के बजट की तैयारियां शुरू हो गई हैं। इसके तहत योजना विभाग की तरफ से शीघ्र विभागीय स्तर पर बैठकों का दौर शुरू होगा।
शिमला (कुलदीप): मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की तरफ से वित्तीय वर्ष 2026-27 के बजट की तैयारियां शुरू हो गई हैं। इसके तहत योजना विभाग की तरफ से शीघ्र विभागीय स्तर पर बैठकों का दौर शुरू होगा। इसमें मुख्य रूप से 63 में से 35 सरकारी विभागों को प्राथमिकताएं और अपेक्षाएं रखने के लिए आमंत्रित किया जाएगा। इस दौरान राज्य सरकार के 9 बिंदुओं पर प्रमुखता से फोकस रहेगा, जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, ग्रामीण अर्थव्यवस्था, सामाजिक सुरक्षा, हरित ऊर्जा, पर्यटन, डिजिटाइजेशन, हाईड्रो एनर्जी और फूड प्रोसैसिंग शामिल है।
इन्हीं बिंदुओं को आधार बनाकर राज्य सरकार हिमाचल प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने के संकल्प के साथ आगे बढ़ रही है। बैठक के दौरान विभागों से आरंभिक बजट प्रस्ताव भी दिए जाएंगे, 500 करोड़ रुपए से लेकर 1,000 करोड़ रुपए तक हो सकते हैं। विभागीय स्तर पर बैठकों का दौर पूरा होने के बाद विधायक प्राथमिकताओं की बैठक भी होगी। इसमें विधायक अपनी प्राथमिकताओं को देने के साथ मित्तव्ययता उपायों, वित्तीय संसाधन जुटाने एवं बेहतर प्रशासन के संदर्भ में सुझाव दे सकेंगे। विधायक प्राथमिकता के अलावा वित्त विभाग की तरफ से आम जनता व हितधारकों से सुझाव मांगे जाएंगे, जिसमें से अच्छे सुझावों का समावेश आगामी बजट में करने का प्रयास किया जाएगा।
अधिकारियों की गंभीरता पर भी नजर रखेगी सरकार
विभागीय स्तर पर आयोजित होने वाली बैठक में अधिकारियों की गंभीरता पर भी सरकार नजर रखेगी। कई बार यह देखने को मिला है कि योजना विभाग की बैठक से अधिकारी नदारद रहते हैं। यानी जिस बैठक में अधिकारियों को आना चाहिए, वहां कई बार बाबुओं को भेज दिया जाता है। बावजूद इसके लिए सचिवालय में सेवाएं देने वाले अधिकारी परिसर में होने वाली बैठक के लिए चंद कदम की दूरी पैदल तय करने में गुरेज करते हैं। इसके अलावा कई विभागीय प्रमुख भी बैठकों में आना उचित नहीं समझते। ऐसे में विभागीय बैठकें तभी फलदायी साबित हो सकती हैं, जब अफसरशाही अनुशासित रहेगी।
60 हजार करोड़ के करीब रहता है हिमाचल का बजट
हिमाचल प्रदेश का वार्षिक बजट 60 हजार करोड़ रुपए के आसपास रहता है। इसमें बजट के 100 रुपए में से 25 रुपए वेतन, 20 रुपए पैंशन, ब्याज अदायगी पर 12 रुपए, ऋण अदायगी पर 10 रुपए, स्वास्थ्य संस्थानों की ग्रांट पर 9 रुपए तथा शेष 24 रुपए पूंजीगत सहित कार्यों पर व्यय हो रहे हैं।