चम्बा में सीटू के बैनर तले केंद्र सरकार के खिलाफ गरजे मजदूर, आक्रोश रैली निकाली

Edited By Vijay, Updated: 16 Feb, 2024 07:51 PM

protest in chamba

केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच व किसान मोर्चा के आह्वान पर देशव्यापी हड़ताल व ग्रामीण बंद के चलते चम्बा में सीटू के बैनर तले आंगनबाड़ी, मिड-डे मील, आऊटसोर्स, पनविद्युत परियोजनाओं, एनएचपीसी कर्मियों व अन्य मजदूरों ने धरना-प्रदर्शन किया। इस मौके...

चम्बा (काकू): केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच व किसान मोर्चा के आह्वान पर देशव्यापी हड़ताल व ग्रामीण बंद के चलते चम्बा में सीटू के बैनर तले आंगनबाड़ी, मिड-डे मील, आऊटसोर्स, पनविद्युत परियोजनाओं, एनएचपीसी कर्मियों व अन्य मजदूरों ने धरना-प्रदर्शन किया। इस मौके पर चम्बा शहर में एक आक्रोश रैली भी निकाली गई। वहीं जिला मुख्यालय में डीसी कार्यालय के बाहर और ब्लॉक स्तर पर चुवाड़ी में प्रदर्शन किया गया। इस मौके पर केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की गई।
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आर्थिक संसाधनों को आम जनता से छीनकर अमीरों के हवाले कर रही मोदी सरकार : नरेंद्र
सीटू जिला अध्यक्ष नरेंद्र कुमार ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार पूरी तरह पूंजीपतियों के साथ खड़ी हो गई है और आर्थिक संसाधनों को आम जनता से छीनकर अमीरों के हवाले करने के रास्ते पर आगे बढ़ रही है। सामाजिक सुरक्षा को खत्म करने की नीति पर आगे बढ़कर यह सरकार इंडिया ऑन सेल, बंधुआ मजदूरी व गुलामी की थ्योरी को लागू कर रही है। इससे केवल पूंजीपतियों, उद्योगपतियों व कार्पोरेट घरानों को फायदा होने वाला है तथा गरीब और ज्यादा गरीब होगा। मिड-डे मील वर्कर की अनदेखी की जा रही है, मगर उनके लिए न तो कोई संतोषजनक वेतन है और न ही सामाजिक सुरक्षा है। 25 बच्चों के नाम पर कई मिड-डे मील वर्कर को निकाला जा रहा है। हाल ही में केंद्र सरकार ने बजट घोषित किया, जिसमें आंगनबाड़ी स्कीम में करोड़ों रुपए की कटौती कर दी। दोनों योजनाओं को सरकार निजी हाथों में सौंपना चाहती है। इस कारण सड़कों पर हजारों लोग उतरे हैं।
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ठेकेदार कर रहे मजदूरों का शोषण
एनएचपीसी में रखे गए ठेका कर्मी आज ठेकेदारों और कंपनी के रहम पर नौकरी कर रहे हैं। कोई श्रम कानून नहीं है। जंगलराज बना हुआ है। लोगों को बिना किसी कारण निकाला जा रहा है। हाईड्रो प्रोजैक्ट में श्रम कानून नाममात्र हैं। कंपनी ठेकेदार मजदूरों का शोषण कर रही है।

गरीबों को खत्म करने पर आमादा है सरकार
जिला महासचिव सुदेश ने कहा कि मोदी की गारंटी, अच्छे दिन का वायदा करने वाली व गरीब हितैषी का दम भरने वाली मोदी सरकार गरीबों को खत्म करने पर आमादा है। मजदूरों के 26 हजार रुपए न्यूनतम वेतन की मांग ज्यों की त्यों खड़ी है। आम भारतीय की आय 50 प्रतिशत से अधिक बढ़ने का दावा करने वाली मोदी सरकार को अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) ने बेनकाब कर दिया है। आईएलओ ने हालिया जारी आंकड़ों में स्पष्ट किया है कि भारत के करोड़ों मजदूरों का वास्तविक वेतन महंगाई व अन्य खर्चों के मद्देनजर घटा है। यह सरकार जनता को मूर्ख बनाने का कार्य कर रही है।

अंतरिम बजट में गरीबों व महिलाओं को आर्थिक तौर पर कमजोर किया
महिला सशक्तिकरण व नारी उत्थान के नारे देने वाली केंद्र सरकार ने गरीबों व महिलाओं को हालिया अंतरिम बजट में आर्थिक तौर पर कमजोर किया है। सरकार ने मनरेगा के बजट में भारी उदासीनता दिखाई है। केंद्र सरकार ने पिछले 5 वर्षों में आंगनबाड़ी कर्मियों के वेतन में एक भी रुपए की बढ़ौतरी नहीं की है। पिछले 15 वर्षों में मिड-डे मील कर्मियों के वेतन में एक भी रुपए की बढ़ौतरी नहीं की गई है। मजदूरों व कर्मचारियों के लिए खजाना खाली होने का रोना रोने वाली केंद्र सरकार ने पूंजीपतियों से लाखों करोड़ रुपए के बकाया टैक्स को वसूलने पर एक शब्द तक नहीं बोला है। इसके विपरीत पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए कार्पोरेट टैक्स को घटा दिया गया है। टैक्स चोरी करने वाले पूंजीपतियों को सरकार ने पिछले 5 वर्षों में लगातार संरक्षण दिया है।
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